श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने दिया इस्तीफा, देश में राजनीतिक संकट गहराया

श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने दिया इस्तीफा, देश में राजनीतिक संकट गहराया

श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने दिया इस्तीफा

श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने दिया इस्तीफा, देश में राजनीतिक संकट गहराया

कोलंबो: भूख, बेरोजगारी और बेहाली से परेशान श्रीलंका(Srilanka) की स्थिति काफी बिगड़ती जा रही है और ऐसा लग रहा है कि, पूरा देश काफी तेजी के साथ गृहयुद्ध की तरफ बढ़ चला है। दूसरी तरफ श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे(Mahinda Rajapaksa) ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले वो इस्तीफा नहीं देने के लिए अड़े हुए थे। हालांकि, प्रदर्शनकारी अभी भी राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे का इस्तीफा मांग रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने सौंपा इस्तीफा

राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों के साथ सरकारी समर्थकों की झड़प के बाद श्रीलंकाई पुलिस ने सोमवार को कोलंबो में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका के अलग अलग हिस्सों में लाखों लोग सड़कों पर उतर गये हैं और सरकार के खिलाफ भारी प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सरकार के समर्थकों ने भी प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है, जिससे देश के कई हिस्सों में काफी तनावपूर्ण स्थिति है, जबकि राजधानी कोलंबो में गॉल फेस में सरकार समर्थक और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में कई लोग घायल हुए हैं। आपको बता दें कि, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग को लेकर गॉल फेस में हजारों लोग पिछले कई दिनो से जमा हैं और प्रदर्शनकारियों ने साफ कर दिया है, कि जबतक राजपक्षे परिवार सत्ता छोड़कर नहीं जाता है, प्रदर्शन चलता रहेगा। जिसके बाद अब जाकर प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया है।

कई जगहों पर तनावपूर्ण हालात

समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसक झड़पों में कम से कम 78 लोग घायल हुए हैं। एएफपी ने कहा कि, राजपक्षे के समर्थकों ने लाठियों और क्लबों से लैस होकर राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर नौ अप्रैल से जमे निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने सरकार समर्थकों पर आंसू गैस के गोले दागे और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बनाए टेंट और शिविरों को तोड़ दिया। वहीं, सोमवार को आई रिपोर्टों से संकेत मिला था, कि महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर सकते हैं और अब उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। वहीं, उनके छोटे भाई और श्रीलंका राष्ट्रपति गोटबाया के नेतृत्व वाली सरकार पर देश के सबसे खराब आर्थिक संकट से उबरने के लिए अंतरिम प्रशासन बनाने का दबाव है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि राजपक्षे सरकार अपने समर्थको को जमा कर रही थी, ताकि प्रदर्शनकारियों पर प्रेशर बनाया जा सके।

जनता के सामने झुकी सरकार

वहीं, राजनीतिक सूत्रों ने पहले कहा था कि, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सोमवार यानि आज प्रधानमंत्री पद से हटने की पेशकश कर सकते हैं। 76 वर्षीय महिंदा राजपक्षे पर, अपनी ही श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के भीतर से इस्तीफा देने के लिए भारी दबाव बन गया था, और इसके बाद ही उन्होंने अपने समर्थकों को विरोधियों पर दवाब बनाने के लिए इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। वहीं, महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे, जो श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं, वो चाहते थे कि महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दे। लेकिन, वो खुद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा नहीं देना चाहते हैं। सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति चाहते हैं कि प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाए, जिसमें सभी पार्टी शामिल हों। लेकिन, विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया है।

इस्तीफे पर था सस्पेंस बरकरार

हालांकि, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफा देने पर सस्पेंस बरकरार था। सत्तारूढ़ गठबंधन के असंतुष्ट नेता दयासिरी जयशेखर ने कहा था कि, 'वह सीधे इस्तीफे की पेशकश नहीं कर सकते हैं'। जयशेखर ने कहा था कि, "मुझे लगता है कि वह कहेंगे कि वर्तमान संकट के लिए मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है, इसलिए मेरे इस्तीफे का कोई कारण नहीं है"। उन्होंने कहा कि वह गेंद को गोटबाया राजपक्षे के पाले में डाल देंगे, जैसे कि आप चाहें तो मुझे बर्खास्त कर दें। बढ़ते दबाव के बावजूद 72 वर्षीय गोटाबाया और प्रधानमंत्री महिंदा ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया है। राजपक्षे कबीले के ताकतवर महिंदा राजपक्षे को रविवार को पवित्र शहर अनुराधापुर में सार्वजनिक गुस्से का सामना करना पड़ा। ईंधन, रसोई गैस और बिजली कटौती को समाप्त करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी गुस्साई जनता ने उनके खिलाफ काफी नारेबाजी की थी और भला-बुरा कहा था।

क्या चाहते हैं प्रदर्शनकारी?

रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि पूरा राजपक्षे परिवार राजनीति छोड़ दे और देश की कथित चोरी की संपत्ति लौटा दे। शक्तिशाली बौद्ध पादरियों ने भी अंतरिम सरकार का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल पर इस्तीफा देने का दबाव डाला है। रविवार को, श्रीलंका के मुख्य विपक्षी पार्टी एसजेबी ने कहा कि उसने देश में जारी राजनीतिक अनिश्चितता के बीच अपने नेता साजिथ प्रेमदासा को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए राष्ट्रपति गोटाबाया द्वारा पेश किए गये एक प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। वहीं, राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने देश में आपातकाल लगा दिया है।

श्रीलंका में तेजी से बिगड़ते हालात

पेट्रोल और गैस की लंबी कतारें लगने के कारण जनता का विरोध हर दिन गति पकड़ता है और धीरे धीरे जनता का सब्र जवाब देने लगा है। वहीं, देश में बिजली कटौती का समय और बढ़ाए जाने की संभावना जताई जा रही है। जिसके खिलाफ लोगों का गुस्सा काफी भड़क उठा है, जिसे देखते हुए शुक्रवार को एक विशेष कैबिनेट बैठक में राष्ट्रपति राजपक्षे ने शुक्रवार आधी रात से आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी। महज एक महीने में यह दूसरा आपातकाल घोषित किया गया है। इसने लोगों की गुस्सा को और भी ज्यादा भड़काने का काम किया है। श्रीलंका में आर्थिक संकट का मुख्य वजह देश में विदेशी मुद्रा का खत्म होना है। जिसका अर्थ है, कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर सकता है, जिससे इन सामानों की तीव्र कमी और बहुत अधिक कीमतें हो जाती हैं।