Sakal Jain society expressed anger against Jharkhand government

सकल जैन समाज ने किया झारखंड सरकार के खिराफ रोष प्रकट, जैन तीर्थों पर हमले के विरोध में विधायक के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

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Sakal Jain society expressed anger against Jharkhand government

अर्थ प्रकाश/आर. के. जैन

Sakal Jain society expressed anger against Jharkhand government : यमुनानगर। जिला सकल जैन समाज (Sakal Jain Samaj) ने सामूहिक रूप से अपने तीर्थ क्षेत्रों की सुरक्षा व पवित्रता के लिये विद्यायक घनश्याम अरोड़ा (Vidyayak Ghanshyam Arora) के माध्यम से भारत सरकार को एक ज्ञापन सौंपा व झारखंड सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया। दिगम्बर समाज के प्रधान अजय जैन, श्वेताम्बर समाज के प्रधान विनोद जैन, स्थानक समाज के प्रधान राकेश जैन तथा तेरापंथ समाज के प्रधान राजेश डुंगरवाल जैन, जगाधरी दिगम्बर समाज के प्रधान नरेन्द्र जैन, बूडिय़ा दिगम्बर जैन समाज (Digambar Jain Samaj) के प्रधान भूषण जैन व जिला जैन मिलन प्रधान महेश जैन ने समूहिक रूप से जानकारी देते हुये बताया कि झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित श्री सम्मेद शिखर जी, जिसे पारसनाथ के नाम से भी जाना जाता है, और यह क्षेत्र जैन धर्म का अनादि निधन, सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र है, जहां से 24 में से 20 जैन तीर्थंकर सिद्धालय गये है। माना जाता है कि इस तीर्थ क्षेत्र का कण-कण इतना पवित्र है कि यदि कोई व्यक्ति निर्मल भावों से एक बार वंदना कर लेता है उसको कभी नरक तिर्यंचगति का बंध नहीं होता है। ऐसे पावन तीर्थ क्षेत्र पर कुछ समय से अप्रिय घटनाएं हो रही है, जो कि निन्दनीय है। तीर्थ क्षेत्र की स्वतंत्र पहचान, पवित्रता और संरक्षण हेतू सम्मेद शिखर जी बचाओं आंदोलन चलाया जा रहा है। इसके समर्थन में पांच सूत्रीय मांगों का ज्ञापन (Memorandum of five point demands) सम्पूर्ण भारत वर्ष से सभी समाजों के द्वारा स्थानीय प्रशासन के माध्यम से भारत सरकार को भेजा जा रहा है। 

ये हैं पांच सूत्रीय मांगें / These are the five point demands

उन्होंने आगे बताया कि पांच सूत्रीय मांगें 1. पारसनाथ पर्वतराज (Parasnath Parvatraj) को वन्यजीव अभ्यारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिये घोषित मास्टर प्लान में धार्मिक पर्यटन सूची से बाहर किया जाये, 2. तीर्थक्षेत्र (Pilgrimage) को बिना जैन समाज की सहमती के वन्यजीव अभ्यारण्य का एक भाग व तीर्थ माना जाता है, इसको नष्ठ करने वाली झारखंड सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को अविलम्भ रद्द किया जाये,  3.इस तीर्थक्षेत्र और मधुबन को मांस-मदिरा बिक्री मुक्त पवित्र जैन तीर्थ स्थल (holy jain pilgrimage site) घोषित किया जाये। 4.पर्वतराज की वन्दना मार्ग को अतिक्रमण, वाहन संचालन व अभक्ष्य समग्री बिक्री मुक्त कर यात्री पंजीकरण, समान जांच हेतु  सी. आर. पी. एफ. व स्कैनर, सी. सी. टी. वी. कैमरे सहित दो चेक पोस्ट चिकित्सा सुविधा सहित बनाये जाएं।  5.पर्वतराज (Parvatraj) से पेड़ों का अवैध कटान, पत्थरों का अवैध खनन और महुआ के लिये आग लगाना प्रतिबंधित हो।

श्री सम्मेद शिखर जी पर्यटन के रूप में समाज को स्वीकार्य नहीं / Shri Sammed Shikhar ji is not acceptable to the society in the form of tourism

जैन समाज ने आह्वाहन करते हुये कहा कि श्री सम्मेद शिखर जी पर्यटन (Shree Sammed Shikhar Ji Tourism) के रूप में समाज को बिलकुल भी स्वीकार्य नहीं है। जैन समाज नहीं चाहता है कि यहां पर पर्यटन रूपी सुविधाओं की शुरुआत की जाये। अतीत में कई बार पर्यटकों टोंकों पर जूते-चप्पल लेजाकर उसकी पवित्रता को भंग करते है, वहीं कुछ अन्य यात्री यहां आकर मांस-मदिरा का प्रयोग करते है जो कि इस तीर्थक्षेत्र की पवित्रता को तार-तार करता है। जैन समाज (Jain society) इस प्रकार के कार्यों का घोर विरोध करता है और इसको पवित्र धार्मिक जैन तीर्थ घोषित करने की अपील करता है। जैन समाज यहां की बुनियादी सुविधाओं के बदले इसकों पर्यटन क्षेत्र में बदलना कभी स्वीकार नहीं करता है। इस अवसर पर भारी संख्या में समस्थ जैन समाज के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे।

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