नियमित स्वास्थ्य जांच और प्रारंभिक निदान कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण: डॉ गौरव प्रकाश पीजीआई चंडीगढ़।

नियमित स्वास्थ्य जांच और प्रारंभिक निदान कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण: डॉ गौरव प्रकाश पीजीआई चंडीगढ़।

Diagnosis Important in Cancer Treatment

Diagnosis Important in Cancer Treatment

चंडीगढ़,  28 अप्रैल। Diagnosis Important in Cancer Treatment: कैंसर शरीर के किसी भी अंग या टिश्यू में पनप सकता है। यह विश्व स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण (second leading cause of death) है और दुनिया भर में व्यक्तियों, परिवारों, समुदायों और स्वास्थ्य प्रणालियों पर अत्यधिक शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय तनाव (emotional and financial stress) डालता है। स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) के अनुसार, हमारे देश में हर साल 13 लाख से अधिक कैंसर के मामले सामने आते हैं, जबकि इसी अवधि के दौरान यह बीमारी 8.5 लाख से अधिक लोगों की जान ले लेती है। इस दौरान उन्होंने कैंसर बीमारी के लक्षणों और डायग्नोसिस पर प्रकाश भी डाला। 

डॉ गौरव प्रकाश ने कहा कैंसर से जुड़े लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है, सबसे आम संकेतों में अत्यधिक थकान, गले में स्तन में या स्कीन के नीचे गांठ, बनना वजह   वजन कम होना, त्वचा का पीलापन या त्वचा का लाल होना, घाव जो ठीक नहीं होते,  बार-बार यूरिन पास करना मल के साथ ब्लड आना, लगातार खांसी या सांस लेने में परेशानी, खाना निगलने में कठिनाई,  लगातार अपच या खाने के बाद बेचैनी,  लगातार चलने वाला  बुखार या रात को पसीना, बिना चोट के रक्तस्राव शामिल हैं।

नियमित स्क्रीनिंग क्यों महत्वपूर्ण है, पर बात करते हुए डॉ गौरव प्रकाश   ने बताया कि स्क्रीनिंग का मतलब उन सरल जांचों से है, जिससे हम कैंसर की बीमारी को कोई लक्षण से पहले ही पता कर सकते  हैं। इनमें रक्त, मूत्र, डीएनए और मेडिकल इमेजिंग आधारित जांच शामिल हैं। स्क्रीनिंग का उद्देश्य उन लोगों की संख्या को कम करना है जो बीमारी से विकसित हो सकते हैं या मर सकते हैं, या कैंसर से होने वाली मौतों को पूरी तरह से रोक सकते हैं।

डॉ गौरव प्रकाश ने कहा कि जांच और निदान से बीमारी का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है। स्तन कैंसर के रोगी मैमोग्राफी या डॉक्टर के द्वारा   क्लिीनकल ब्रेस्ट जांच, सेल्फ ब्रेस्ट जांच और एम आर आई  से गुजरते हैं, जबकि सर्वाइकल कैंसर की जांच में पैप स्मीयर, हृयूमन पेपिलोमावायरस टेस्ट शामिल हैं। कोलोरेक्टल (कोलन) स्क्रीनिंग में कोलोनोस्कोपी, सिग्मायोडोस्कोपी, फेकल ऑकल्ट ब्लड टेस्ट (एफओबीटी), और स्टूल डीएनए टेस्ट शामिल हैं। प्रोस्टेट स्क्रीनिंग में डिजिटल रेक्टल परीक्षा (डीआरई) और प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (पीएसए) टेस्ट शामिल हैं। कैंसर की जांच, पुष्टि और निगरानी के तरीकों में अल्ट्रासाउंड, डिजिटल मैमोग्राफी, ट्रू-कट बायोप्सी, एमआरआई, सीटी-स्कैन और पीईटी-स्कैन और एमआर-स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी उन्नत तकनीकें शामिल हैं। इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री (आईएचसी), इन सीटू हाइब्रिडाइजेशन (आईएसएच, सीएसएच), आरटी-पीसीआर (रियल टाइम- पीसीआर), फ्लो साइटोमेट्री, माइक्रोएरे, नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) और लिक्विड बायोप्सी जैसी अन्य तकनीकें शामिल हैं।

डॉ प्रकाश ने कहा कि एक बार कैंसर का निदान हो जाने के बाद, ट्यूमर बोर्ड में एक सर्जन, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट और अन्य प्रमुख विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जो आगे उपचार  की रूप  रेखा तैयार करते  हैं। कैंसर का इलाज का इलाज करने के तीन प्रमुख साधन है  जैसे सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी। आजकल, रोबोटिक  सर्जरी और  न्यूनतम इंवेसिव सर्जरी   कम दर्दनाक हो गई है। मेडिकल फील्ड में   बहुत नई दवाइयां आई है जैसे टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी/चेक-प्वाइंट इनहिबिटर शामिल हैं। प्रेसिजन मेडिसिन एक मरीज की व्यक्तिगत विशेषताओं पर आधारित है। रेडिएशन तकनीकों ने भी पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

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