Big action of Chandigarh Housing Board

चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड की बड़ी कार्रवाई, अब डिफाल्टरों के मकान होगे कैंसल

Big action of Chandigarh Housing Board

Big action of Chandigarh Housing Board

Big action of Chandigarh Housing Board- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)। चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड को डिफॉल्टरों ने तगड़ी आर्थिक चपत लगाने की ठान रखी है। डिफॉल्टरों ने बोर्ड का 31 मार्च 2023 तक करीब 50 करोड़ रुपया देना है। बोर्ड ने बीते दिनों डिफॉल्टरों को उनकी अलॉटमेंट रद्द करने की चेतावनी जरूर दी थी लेकिन इसकी वसूली करने के लिए बोर्ड ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहा है। इसका नतीजा यह है कि न केवल डिफॉल्टरों की सूची बल्कि उनकी डिफॉल्टर राशि भी लगातार बढ़ती जा रही है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि डिफॉल्टरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शहर के विभिन्न इलाकों में स्मॉल फ्लैट डिफॉल्टरों की संख्या 13,434 तक पहुंच चुकी है। इनसे 44 करोड़, 26 लाख, 26 हजार 728 रुपये की भारी भरकम रकम वसूल की जानी है लेकिन ये डिफॉल्टर सीएचबी को हाथ पल्ला नहीं पकडऩे दे रहे।

सबसे अधिक रेंट डिफॉल्टर चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की अफोर्डेबल रेंटल हाऊसिंग स्कीम के तहत धनास में स्मॉल फ्लैट के रिहायशियों के हैं। इनकी संख्या इस वक्त की जानकारी मुताबिक 6,977 है। इन  डिफॉल्टरों पर चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड का 17 करोड़, 86 लाख, 56 हजार, आठ रुपये बकाया है। इसी तरह सेक्टर 38 वेस्ट में सीएचबी की वेबसाइट पर डाली गई सूची अनुसार 918 डिफॉल्टर हैं जिन्हें 5 करोड़, 83 लाख, 15 हजार 412 रुपये की राशि का भुगतान करना है। सेक्टर 49 के हालात भी कमोबेश ऐसे ही हैं। यहां 875 डिफॉल्टर बताये जा रहे हैं जिनसे 5 करोड़, 13 लाख, 34 हजार 48 रुपये का बकाया वसूलना है।

सेक्टर 56 में सीएचबी के जो फ्लैट हैं वहां 713 डिफॉल्टर हैं जिनसे 5 करोड़, 37 लाख, 3 हजार 64 रुपये की राशि सीएचबी को लेनी है। रामदरबार में भी 459 डिफॉल्टरों की सूची सीएचबी ने तैयार की है। इनसे 4 करोड़ 30 लाख 25 हजार 199 रुपये की राशि वसूली जानी है। मौली जागरां में 1344 डिफॉल्टर बताये जा रहे हैं जिनसे सीएचबी ने रेंट पर दिये गए फ्लैटों की एवज में 3 करोड़ 10 लाख, 50 हजार 442 रुपये की राशि वसूल करनी है। मलोया के स्मॉल फ्लैटों के 1966 रेंट डिफॉल्टर हैं। सीएचबी ने इनसे रेंट की ऐवज में 2 करोड़ 33 लाख, 56 हजार, 960 रुपये की राशि की वसूली करनी है।

इंडस्ट्रियल एरिया एक में भी सीएचबी की प्रापर्टी के 92 रेंट डिफॉल्टर हैं। इनसे 31 लाख, 85 हजार 595 रुपये की राशि वसूल की जानी है। इसी तहर मलोया के अफोर्डेबल हाऊसिंग रेंटल कांप्लेक्स में भी 1550 रेंट डिफॉल्टर हैं जिन पर 5 करोड़ 71 लाख 50 हजार 152 रुपये की राशि बकाया है। अगर मलोया के डिफॉल्टरों को अन्य स्थानों के डिफॉल्टरों में जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 14 हजार 984 बैठती है जिसका डिफॉल्टर अमाऊंट 49 करोड़, 97 लाख, 76 हजार 880 रुपये बनता है। सीएचबी की ओर से अपलोड की गई डिफॉल्टर सूची में यह डिफॉल्टर रेंट राशि 31 मार्च 2023 तक की बताई गई है। अगर इसमें एक माह और जोड़ लें तो यह डिफॉल्टर राशि 50 करोड़ रुपये से भी ऊपर पहुंच चुकी है।

सरकारी विभागों पर भी मेहरबानी

ऐसा नहीं है कि केवल फ्लैटों में रह रहे लोग ही डिफॉल्टर हैं। चंडीगढ़ प्रशासन के अंडर चीफ इंजीनियर और उनके नीचे काम कर रहे यूटी के बिजली विभाग की ही मिसाल लें तो धनास में इस विभाग को ग्राउंड फ्लोर पर 2109, 2110, 2111, 2112 फ्लैट नंबर अलॉट हैं। इस विभाग ने केवल एक बार ही सीएचबी को इन रेंट पर लिये गए फ्लैटों की ऐवज में 3200 रुपये की राशि का भुगतान किया है। जानकारी के अनुसार इस विभाग पर 1 लाख 30 हजार रुपये की राशि बतौर रेंट बकाया है। यानि सरकारी महकमे जिन्होंने यहां फ्लैटों पर कब्जा कर रखा है वह भी सीएचबी को रेंट नहीं दे रहे। न तो आवंटियों और न ही सरकारी विभागों के खिलाफ सीएचबी कोई सख्त कार्रवाई कर पा रहा है। बताया जा रहा है कि कई अलॉटी तो ऐसे हैं जिन पर बीते दस साल में 2.5 लाख रुपये तक की डिफॉल्टर रकम बन चुकी है। इनके मकान कैंसिल करने की चेतावनी जरूर चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड देता है लेकिन अभी तक कोई सख्त कार्रवाई न तो आम पब्लिक और न ही सरकारी विभागों पर की जा सकी है।

हर पांच साल बाद बढ़ता है किराया

अफोर्डेबल स्मॉल हाऊसिंग स्कीम के तहत सबसे पहले 800 रुपये का किराया था। हर पांच साल के बाद इसे बढ़ाया जाना था। फिर पांच साल बाद यह बढक़र 960 रुपये पहुंच गया। अगस्त 2023 में धनास के फ्लैटों के आवंटन को दस साल की मियाद हो जाएगी। इसके बाद इन फ्लैटों का किराया 1152 रुपये हो जाएगा। 15 साल बाद इन फ्लैटों का किराया 1382 रुपये कर दिया जाएगा। चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने फ्लैट लाइसेंस फीस पर फ्लैट आवंटियों को 20 साल के लिये दिये हैं।

करीब 100 डिफॉल्टरों के आवंटन कैंसिल: यशपाल गर्ग

चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के सीईओ यशपाल गर्ग के मुताबिक इसको लेकर हर सप्ताह बोर्ड की ओर से हियरिंग हो रही है। डोर टू डोर सर्वे में जो अलॉटी डिफॉल्टर पाये गए हैं उनमें से करीब 100 के आवंटन कैंसिल किये जा चुके हैं। अखबार में भी पब्लिक नोटिस दिया गया है कि डिफॉल्टर 31 मई तक अपने पैसे जमा करायें। उन्होंने कहा है कि लोगों को इस नोटिस की ओर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर फ्लैट का आवंटन एक बार कैंसिल हो गया तो फाइनेंस सेक्रेट्री के पास हियरिंग लगेगी। एक बार तो घर खाली करना पड़ेगा। दोबारा री-स्टोर भी हो गया तो री-स्टोरेशन चार्ज भी लगेंगे। डिफॉल्टर राशि के अलावा भी अतिरिक्त पैसा आवंटियों को जमा कराना पड़ेगा। यशपाल गर्ग के मुताबिक गरीब लोग हैं लिहाजा उन्हें मौका दिया जा रहा है लेकिन प्रक्रिया के तहत कार्रवाई होगी। उनके मुताबिक कई विभाग जिनमें सोशल वेलफेयर विभाग है, पुलिस विभाग है और एजूकेशन विभाग ने कुछ पैसा जमा कराया था। जिन विभागों ने अभी नहीं दिया उन्हें नोटिस भेजा जाएगा।