श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया

Sri Krishna Janmashtami Festival was Organized

Sri Krishna Janmashtami Festival was Organized

मोहाली: Sri Krishna Janmashtami Festival was Organized: श्री सनातन धर्म मंदिर सभा सन्नी एनक्लेव सेक्टर 125, खरड़ मोहाली द्वारा मन्दिर परिसर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान से आमंत्रित संस्थान के संस्थापक एवं संचालक दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी वैष्णवी भारती जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण जी ने भक्तों को माधुरी व दिव्य लीलाओं का ऐसा रस पिलाया कि वह दुनिया के दुखो व परेशानियों से हमेशा के लिए मुक्त हो गए वह सदैव उसी रस मे डूबे रहते थे  उन्होने बताया कि आज समाज मे भी लोग दुखो को भुलने एवं दृष्टिकोण अहसास को बदलने के लिए नशे का  सहारा लेते है। लेकिन फिर भी उसे नजात नही पा पाते। नशा खोरी हमारे समाज में महामारी की तरह फैल रही है। किन्तु व्यक्ति पहले उसे शौंक या मजे मजे में लेता है। फिर वो उसके चक्रव्यूह में ऐसा फसता है कि चाहते हुए भी इससे छूट नही पाता। कहीं तनाव मे आकर, कहीं दोस्तो के दबाव में आकर नशे का सेवन करता है। 

साध्वी जी ने बताया कभी कभी व्यक्ति में एक विशेष तरह की सुखानुभूति पाने की तलब उठती है एक ऐसी खुशी ऐसा उछाव उल्लास जो उसे अपने दैनिक कार्य व्यवहारों से नहीं मिलता। ऐसी स्थिति मे वह नशे का सहारा लेता है। जिसके असर मे वो महसूस करता है। किन्तु ऐसी कौन सी चीज है जो उसके कदमों को इस और जाने से अवरूद्ध कर दे। जिससे वो नशे के प्रलोभन पूर्ण प्रभाव को अनसुना कर दे ये तभी संभव है जब उसके भीतर प्रयोगात्मक रूप से आत्मविश्वास और विवेक शक्ति जागृति होगी। जब उसे अपने बोझिल पलों को अलौकिक आंनद से भरने की बेहतर तकनीक दे दी जायगी। यदि आप एक व्यक्ति को कहे तू अपनी झोपडी छोड़ दे, क्या वह इस बात का पालन करेगा? कभी नहीं परन्तु यदि आप अपने शब्दों को बदल दे और कहे तू झोपडी छोड़ कर महल ले ले तब वह खुशी से अपने आप ही झोपडी छोड़ देगा। जब उसे सांसारिक नशे से बेहतर नशा मिल जायेगा तो वह सिर्फ कुछ पलो तक शरीर को आनंद देने वाले नशे को छोड़ देगा। हमारे महापुरूष कहते है सुरा त्वमसि सुष्मिणि हे परब्रह तू श्रेष्ठतम और तीव्रतम सुरा अर्थात मदिरा है। जब पूर्ण गुरू के द्वारा शिष्य ब्रह्मज्ञान प्राप्त करता है तभी उस सच्चिदानंद परमात्मा रूपी रस को प्राप्त कर के फिर आनंद को प्राप्त कर सकता है। कार्यक्रम को विराम प्रभु की पावन आरती द्वारा दिया गया। प्रभु की पावन आरती में श्री सनातन धर्म मंदिर सभा के सभी सदस्य उपस्थित हुए।