Inappropriate statements in election campaign

Editorial:चुनाव प्रचार में अनुचित बयान, गतिविधि का जनता ले रही संज्ञान

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Inappropriate statements in election campaign

Public is taking cognizance of inappropriate statements and activities during election campaign: लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव प्रचार धीमे-धीमे चरम पर पहुंच रहा है, लेकिन नेताओं के बयानों की गर्मी भी रिकॉर्ड तोडऩे लगी है। भारतीय राजनीति उसी समाज से निकलती है, जो कि हमारे आसपास होता है। विरोधी के प्रति ऐसे भाव जाहिर करना जिससे उसे मानसिक एवं शारीरिक रूप से हानि हो, समाज में लोगों का शगल होता है। इसी प्रकार राजनीति में भी यही बात लागू होती है। आजकल देशभर में नवरात्र का पर्व जारी है। सनातन संस्कृति में नवरात्र वह समय होता है, जब हिंदू संवत्सर का नववर्ष आरंभ होता है और देवी आराधना के माध्यम से जीवन के उत्सर्ग का प्रयास किया जाता है। हिंदू समाज में यह मान्यता होती है कि इन दिनों में नॉनवेज का सेवन पाप है और इस मान्यता की पालना के लिए वे न केवल इससे दूर रहते हैं, अपितु इसकी बात तक नहीं करते। हालांकि बीते दिनों राजद के नेता तेजस्वी यादव की ओर से जैसा वीडियो प्रसारित किया गया, उससे न केवल नवरात्र के दौरान हिंदू समाज की भावनाएं आहत हुई हैं, अपितु इससे यह प्रश्न भी उत्पन्न हुआ है कि क्या राजनेताओं को इसका संपूर्ण अधिकार है कि वे अपने सही या गलत कार्यों के माध्यम से जनता के सार्वजनिक या निजी जीवन को प्रभावित करते रहें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वक्त को भांपने वाले राजनेता हैं। वे जानते हैं कि मुद्दे कहां से हासिल किए जाते हैं। उन्होंने कांग्रेस और राजद के इन नेताओं के उन वीडियो की चर्चा करते हुए अगर उन्हें जनता की आस्था एवं श्रद्धा पर हमला करार दिया है तो यह विचारणीय बात है। राहुल गांधी ने बिहार में अपनी यात्रा के दौरान राजद सुप्रीमो और पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के साथ मटन बनाने के वीडियो को साझा किया था, यह समय सावन का था। सावन हिंदू समाज के लिए भगवान शिव की आराधना का समय होता है। इस दौरान भी मांस और प्याज-लहसुन आदि से दूरी बनाई जाती है। बावजूद इसके राहुल गांधी एवं राजद प्रमुख ने अपनी पाककला का नमूना वीडियो बनाकर  और उसे वायरल करके किया।

इसी प्रकार अब नवरात्रि के दौरान बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने हेलीकॉप्टर की यात्रा करते हुए मछली के सेवन का वीडियो जारी किया। उनकी तरफ से दावा किया गया कि भाजपा नेताओं के बौद्धिक स्तर को जांचने के लिए यह वीडियो उन्होंने जारी किया। क्या कोई यह बताएगा कि आखिर इस तरह की गतिविधि से किसका बौद्धिक स्तर सामने आता है।

खानपान एक बेहद निजी मामला होता है, फिर कोई क्या खा रहा है, वह इसको सार्वजनिक कर रहा है तो गैरकानूनी नहीं है। लेकिन अगर एक निर्धारित समय और अवसर पर जानबूझकर कोई ऐसी गतिविधि कर रहा है, तो इसे किसी की भावनाओं से खिलवाड़ करना ही समझा जाएगा। तेजस्वी यादव को अगर यह लगता है कि इस प्रकार के वीडियो के जरिए उन्होंने कोई बड़ा संदेश किसी खास वर्ग को दे दिया है तो यह उनकी भूल कही जा सकती है। होना तो यह चाहिए कि विपक्ष में रहते सकारात्मक तरीके से सरकार की नीतियों और कमियों की आलोचना की जाए। लेकिन जनता को भडक़ाने के मकसद से अगर कोई ऐसे ऊटपटांग कार्य करेगा तो जनता इस बात को बखूबी समझेगी।

 गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि भाजपा ने राक्षस और डाकू को टिकट दिया है। इसी प्रकार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बयान है कि कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 को नाजायज बच्चे की तरह लाड़ दिया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि विपक्ष बिग बॉस के घर जैसा है, जहां प्रतिस्पर्धी एक-दूसरे के कपड़े फाड़ रहे हैं। इसी प्रकार अकाली नेता सुखबीर बादल का भाजपा में जाने वालों का डीएनए टेस्ट कराने जैसा बयान आया है। क्या इस प्रकार के बयानों को गरिमापूर्ण कहा जा सकता है। ये बयान मुंबइया फिल्मों की तरह हैं, जिनसे किसी प्रकार को कोई संदेश नहीं जाता सिवाय यह प्रदर्शित होने की कि किसी के मन में दूसरे के प्रति कितनी कटुता है। एक समय ऐसे राजनीतिक थे, जिन्हें सुनने के लिए जनता घंटों इंतजार करती थी और उनका कहा एक-एक शब्द सुना जाता था। हालांकि नेताओं के पास कहने को सारगर्भित नहीं रह गया है।

यह समाज पर भी असर डाल रहा है, क्योंकि मीडिया की सुर्खियां यही बातें और हरकतें बनती हैं। स्वस्थ समाज के निर्माण का कार्य कभी बंद नहीं हो सकता, अगर विचार और सोच को संवर्धित नहीं किया जाएगा तो अगली पीढ़ी उसी को सच मानेगी जोकि आज उसके समक्ष प्रदर्शित हो रहा है। समाज और राजनीति को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।    

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