poisoned wine

जहरीली शराब : धंधाबाजों को राजनैतिक संरक्षण देने वालों पर अंकुश जरूरी

Editorial

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Poisoned Wine जहरीली शराब से मौतों का मामला एकबार फिर देश में सुर्खियां बन रहा है, पंजाब, हरियाणा, यूपी समेत दूसरे राज्यों के बाद अब बिहार में फिर जहरीली शराब ने 31 लोगों की जान ले ली। यह तब है, जब सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकर को राज्य में जहरीली शराब के बनने से रोकने में विफल रहने पर फटकार लगा चुका है।

जाहिर है, देशभर में जहरीली शराब Poisoned Wine  को बनाने का धंधा चलता रहता है, लेकिन समय रहते न सरकार ध्यान देती है और न ही उसकी पुलिस। लेकिन जब हादसा घट जाता है और मौतें सुर्खियां बन जाती हैं, तब सभी का ध्यान इस तरफ जाता है। बिहार में इन मौतों के बाद विधानसभा Assembly में हंगामा हो रहा है, हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार Chief Minister Nitish Kumar ने जिस प्रकार का बयान दिया है, वह चिंता की बात है। राज्य में उस समय भी जहरीली शराब Poisoned Wine से मौतें हो रही थीं, जब नीतीश कुमार भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रहे थे, लेकिन अब जब वे राजद के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं तब भी हो रही हैं। हालांकि राजद के वे नेता जोकि उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार Chief Minister Nitish Kumar  की भर-भर कर आलोचना कर रहे थे, वे आज उनके बचाव में खड़े नजर आ रहे हैं। यह व्यवस्था है जोकि अपनी सुविधा के अनुसार रंग बदलती रहती है।

Chief Minister Nitish Kumar  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह बयान सही नहीं ठहराया जा सकता है कि जब प्रत्येक को यह मालूम होता है कि उस चीज के सेवन से क्या हानि हो सकती है, बावजूद इसके अगर कोई उसका सेवन कर रहा है तो उस हानि के लिए वही जिम्मेदार होना चाहिए। मुख्यमंत्री Chief Minister ने यह भी कहा है कि लोगों को याद रखना चाहिए कि शराब नहीं पीनी चाहिए, जो शराब पियेगा वह तो मरेगा ही। वास्तव में एक सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह जनता को ऐसी बुराई से रोकने के लिए हरसंभव कोशिश करे, लेकिन यह कहना उचित जान नहीं पड़ता है कि हमें क्या, लोगों को खुद मालूम होना चाहिए कि जहरीली शराब Poisoned Wine पीना कितना हानिकारक है।

हैरानी इसकी भी है कि जहरीली शराब से मौतों पर मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार Minister Sunil Kumar का भी अजीब बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अंग्रेजों ने भी कानून बनाया, लेकिन इसके बाद भी रेप और हत्या हो रही है न। शराबबंदी भी वैसे ही है। शराब से मौत तो दूसरे राज्यों में भी हो रही है। हालांकि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव Deputy CM Tejashwi Yadav  का बयान भी चर्चा में है, जिसमें इस मामले को लेकर विधानसभा में विपक्ष के हंगामे को उन्होंने सदनों की कार्यवाही को बाधित करके जनता के पैसे की बर्बादी करने वाला बताया है।

उनका यह भी कहना है कि जो लोग अब शराबबंदी को लेकर सवाल कर रहे हैं, वे एकसमय उसके समर्थन में थे। दरअसल, बिहार Bihar वह राज्य है, जिसने अपने यहां पूर्ण शराबबंदी लागू की हुई है। राज्य में न शराब बन सकती है और न ही बिक सकती है। ऐसे में उन लोगों की पौ बारह हो गई है, जोकि इस धंधे में हैं और अवैध शराब liquor बनाकर लोगों की जान ले रहे हैं।

 वास्तव में यह बहस का विषय नहीं होना चाहिए कि शराब हानिकारक है या नहीं। यह भी कोई चर्चा का विषय नहीं है कि जो जहरीली शराब Poisoned Wine  पियेगा वह मरेगा ही। जहर का काम मारना है, वह वही करेगा। ऐसे में मुख्यमंत्री Chief Minister या फिर उनकी सरकार के लोगों को ऐसे प्रवचन नहीं देने चाहिए। सवाल यही है कि अगर राज्य में पूर्ण शराबबंदी है तो फिर इसके धंधाबाजों को वह राजनीतिक संरक्षण कौन प्रदान कर रहा है, जिसके आधार पर वे न पुलिस के हाथ आते हैं और न ही अदालत उनका कुछ बिगाड़ पाती है। यह अनवरत चलने वाली कवायद होनी चाहिए कि पुलिस ऐसे लोगों पर अंकुश लगाए और उनकी धरपकड़ कर अवैध शराब की तस्करी और उसके बनने की जगहों पर छापेमारी करे। बेशक, मौतों के बाद सरकार ऐसी कवायद करती है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।  

Bihar बिहार में विपक्ष और सरकार के बीच जहरीली शराब Poisoned Wine से मौतों के मामले में अगर तलवारें खींच गई हैं तो यह हाल फिलहाल का मुद्दा नहीं है। विपक्ष के समय भी ऐसा हो चुका है, हालांकि अब मुख्यमंत्री Chief Minister पर आरोप लग रहा है कि उनकी नाक के नीचे बिहार Bihar  में शराब बिक रही है। राज्य में बीते विधानसभा Assembly चुनाव के दौरान अवैध शराब तस्करी का मुद्दा प्रमुखता से उठा था, लेकिन नई सरकार के गठन के बाद भी शराब तस्करी चलती रही। आखिर वह कौनसा राजनीतिक दल political party और सरकार होगी जोकि अवैध शराब बनाने और तस्करी करने को रोक पाएगी। इन हालात में तो यह संभव नहीं लगता। मुख्यमंत्री Chief Minister का बयान यह बताने को काफी है कि इस रोग का इलाज संभव नहीं है। क्या तब सर्वोच्च न्यायालय की ओर से पंजाब और अन्य राज्यों के संदर्भ में जो बात कही जा रही है, वह ऐसे ही जारी रहेगी। जब दबाव आए तो सरकार हाथ-पैर मारने लगती है लेकिन जैसे ही मामला रफा-दफा होता है तो फिर सब कुछ सामान्य हो जाता है। सरकार को यह सोचना चाहिए कि इस तरह के हादसों में आम आदमी ही मरता है, क्योंकि जो रुसूखदार है, जिसके पास पैसा है वह महंगी और असली वाली शराब  का सेवन करेगा लेकिन जो जरूरतमंद है वह अपनी आदत से मजबूर होकर ऐसी सस्ती और जहरीली शराब की तरफ ही जाएगा।

बेशक, शराब पीने को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता, लेकिन राज्य सरकार को सोचना चाहिए कि क्या अब शराबबंदी की जरूरत रह गई है। क्यों नहीं सरकार हरियाणा की भांति शराबबंदी को खत्म कर वैध तरीके से इसकी बिक्री सुनिश्चित करती और इसके साथ सरकार धंधाबाजों को कौन राजनैतिक दल संरक्षण दे रहा है उस तरफ भी ध्यान देने की जरूरत है, ताकि इस तरह के संरक्षण देने वाले राजनैतिक Political लोगों पर शिकंजा कसा जा सके। 

 

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