कर्ज उतारने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान को चीन को सौंप सकता है पाकिस्तान

कर्ज उतारने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान को चीन को सौंप सकता है पाकिस्तान

कर्ज उतारने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान को चीन को सौंप सकता है पाकिस्तान

कर्ज उतारने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान को चीन को सौंप सकता है पाकिस्तान

पाकिस्तान अपने बढ़ते कर्ज का भुगतान करने के लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर क्षेत्र (पीओके) गिलगित-बाल्टिस्तान (जीबी) को चीन को लीज पर दे सकता है। काराकोरम नेशनल मूवमेंट के अध्यक्ष, मुमताज ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि अलग-थलग और उपेक्षित, गिलगित बाल्टिस्तान विश्व शक्तियों के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए भविष्य का युद्ध का मैदान बन सकता है।  कश्मीर का सबसे उत्तरी भाग चीन की सीमा से लगा हुआ है और मुमताज ने आशंका व्यक्त की है कि कर्ज उतारने के लिए पाकिस्तान इसे कभी भी चीन को सौंप सकता है। हालांकि पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि मुमताज लोगों के बीच गलत खबर फैला रहे हैं।

गिलगित बाल्टिस्तान चीन के दक्षिण एशियाई विस्तार के लिए वरदान
मुमताज ने कहा कि पाकिस्तान जिस गिलगित-बाल्टिस्तान को अवैध रूप से अपने कब्जे में कर रहा है, वह चीन के दक्षिण एशियाई विस्तार के लिए वरदान होगा। मुमताज ने कहा कि अगर पाकिस्तान चीन को गिलगित-बाल्टिस्तान सौंप देता है तो उसे इसके लिए चीन की तरफ से मोटी रकम मिल सकती है जो उसके मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने में मदद कर सकती है। लेकिन यह कदम उसे भारी भी पड़ सकता है  क्योंकि अमेरिका कभी भी नहीं चाहेगा कि चीन का प्रभाव किसी भी तरह से बढ़े। अमेरिका भविष्य में आईएमएफ, विश्व बैंक और अन्य वैश्विक एजेंसियों से धन प्राप्त करने से निकट भविष्य के लिए पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट भी कर सकता है।

गिलगित-बाल्टिस्तान का बुरा हाल: पाकिस्तानी मीडिया
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान की आबादी घटती जा रही है। सक्षम लोग अपने परिवारों के साथ पलायन कर रहे हैं।  एक रिपोर्ट में चिंताजनक रूप से कहा गया है कि पाकिस्तान में होने वाली सभी आत्महत्याओं में से नौ प्रतिशत जीबी में होती हैं। देश के बाकी हिस्सों को बिजली उपलब्ध कराने के बावजूद गिलगित-बाल्टिस्तान के पास सिर्फ दो घंटे बिजली उपलब्ध है, क्योंकि यह क्षेत्र पाकिस्तान के राष्ट्रीय ग्रिड का हिस्सा नहीं है। इसके अलावा, यह भोजन की कमी से ग्रस्त है और इसका जल विद्युत या अन्य संसाधनों पर कोई नियंत्रण नहीं है।