Obstacles in giving land for construction of Haryana Legislative Assembly!

हरियाणा विधानसभा के  निर्माण को जमीन दिये जाने में अड़चन !

Obstacles in giving land for construction of Haryana Legislative Assembly!

Obstacles in giving land for construction of Haryana Legislative Assembly!

पीएमओ ने शहर की कुछ संस्थाओं के पत्र पर लिया संज्ञान, लिखा था कि चंडीगढ़ के मूल स्वरूप से हो रही छेड़छाड़, पहले से ट्रैफिक व्यस्त मध्यमार्ग पर वीआईपी मूवमेंट से होंगी दिक्कतें

स्पेशल सेक्रेट्री विनोद कांवले को मामले में तुरंत एक्शन लेकर पीएमओ को एक्शन बताने को कहा

चंडीगढ़ (साजन शर्मा) चंडीगढ़ प्रशासन ने भले ही हरियाणा को नई विधानसभा बनाने के लिए 10 एकड़ जमीन अलॉट करने का प्रस्ताव दे दिया हो लेकिन प्राइम मिनिस्टर ऑफिस ने इसका कड़ा संज्ञान लिया है। प्राइम मिनिस्टर ऑफिस ने मामले में स्पेशल सेक्रेट्री, यूटी को इसको लेकर आगे एक्शन लेने को कहा है। इस पत्र के बाद बात उठने लगी है कि कहीं दोबारा जमीन अलॉट करने का प्रस्ताव खटाई में न पड़ जाए।

चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता व हरियाणा सरकार को शहर में जमीन अलॉट करने के तीन प्रस्ताव दिये गए थे। ज्ञानचंद गुप्ता इस मामले में सक्रिय होकर जमीन हासिल करने की कोशिशों में जुटे थे। हाल ही में उनके अनुरोध पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी प्रशासन द्वारा सुझाई गई तीन जमीनों की न केवल साइट देखी बल्कि कौन सी जमीन ज्यादा बेहतर रहेगी इसका भी जायजा लिया।

हरियाणा सरकार को मध्यमार्ग पर स्थित रेलवे लाइट प्वाइंट से आईटी पार्क की ओर जा रही सडक़ पर दाहिने तरफ 10 एकड़ जमीन दिखाई गई जिस पर हरियाणा सरकार ने भी मोहर लगा दी क्योंकि यह जमीन न केवल वर्तमान पंजाब-हरियाणा सेक्रेट्रिएट से महज छह मिनट की दूरी पर मौजूद है बल्कि पंचकूला से भी इसकी दूरी छह-सात मिनट की ही है। यानि पंचकूला के सभी सरकारी कार्यालयों से यह साइट कुछ ही दूरी पर मौजूद है।

इसके अलावा कलाग्राम के ठीक सामने मनीमाजरा टाऊन के साथ की जमीन भी हरियाणा को दिये जाने का प्रस्ताव दिया गया था। तीसरा राजीव गांधी आईटी पार्क में भी जमीन दिये जाने का प्रस्ताव था लेकिन हरियाणा सरकार को रेलवे लाइट प्वाइंट से आईटी पार्क की ओर जाती सडक़ पर दाहिने तरफ खाली पड़ी जमीन ही पसंद आई। चंडीगढ़ प्रशासन ने प्रस्ताव दिया था कि जमीन की वर्तमान कलेक्टर रेट के हिसाब से जो भी लागत होगी, वह या तो हरियाणा सरकार से ले ली जाएगी और या फिर इसके बदले हरियाणा आईटी पार्क के साथ सटती अपनी जमीन से 10 एकड़ जमीन उन्हें दे देगा। बाकि जो भी लेन देन होगा वह कर लिया जाएगा।

जमीन अलॉटमेंट को लेकर विवाद भी उठने लगा था कि आखिर चंडीगढ़ की बेशकीमती जमीन को हरियाणा विधानसभा के लिए क्यों अलॉट किया जा रहा है? सैकेंड इनिंग एसोसिएशन ने इसको लेकर न केवल पीएम ऑफिस बल्कि पंजाब के राज्यपाल व यूटी के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित के पास भी विरोध जताया था। अब पीएमओ ऑफिस ने स्पेशल सेक्रेट्री विनोद कांवले को इस संदर्भ में पत्र भेजकर एक्शन लेने को लिखा है।

एक्शन क्या होगा, फिलहाल इस बारे तो जानकारी नहीं है लेकिन जिस हिसाब से ऐतराज उठा था, उसमें सवाल उठाए गए थे कि इससे चंडीगढ़ का मूल स्वरूप बिगड़ेगा। लड़ाई पंजाब-हरियाणा की है लेकिन इसमें पिस शहर के लोग रहे हैं। मध्यमार्ग पर पहले ही जबरदस्त ट्रैफिक रहता है। पूरे पंचकूला व हिमाचल प्रदेश का ट्रैफिक यहीं से होकर गुजरता है। दूसरा रेलवे लाइट प्वाइंट होने से रेलवे स्टेशन जाने का भी यही रूट है। अगर इस मार्ग पर हरियाणा विधानसभा बनती है तो न केवल मध्यमार्ग पर और ज्यादा ट्रैफिक का दबाव बढ़ेगा बल्कि पहले से व्यस्त ट्रैफिक को संचालित करने में कई दिक्कतें आएंगी क्योंकि इससे इलाके में वीआईपी मूवमेंट बढ़ जाएगी। खासतौर से विधानसभा लगने के समय में तो और भी ज्यादा परेशानी बढ़ेगी। पीएमओ ने इसी ऐतराज के चलते एक्शन लेने को कहा है।