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'ताम्रजल' से करें दिन की शुरुआत, रखता है दिल का ख्याल

Start your day with 'Tamar Jal', it takes care of your heart

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Start your day with 'Tamar Jal', it takes care of your heart- तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, पानी को जब 8 से 10 घंटे तक तांबे के बर्तन में रखा जाता है, तो उसमें तांबे के सूक्ष्म कण घुल जाते हैं और वह 'ताम्रजल' बन जाता है, जो शरीर के लिए औषधि की तरह काम करता है। यह पानी शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।  

एनआईएच के नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के 2012 में प्रकाशित एक स्टडी रिपोर्ट में 'ताम्रजल' का जिक्र है। 'ताम्रजल' कितना प्रभावशाली है, अध्ययन इसको लेकर ही हुआ। पाया गया कि तांबे में रखा जल ई. कोलाई बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता, उन्हें खत्म कर देता है।

वैज्ञानिकों ने पाया कि तांबे में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर को भीतर से साफ करने का काम करते हैं। वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में पाया है कि तांबे में कीटाणु मारने की ताकत होती है। अगर पानी को कुछ घंटों तक तांबे के बर्तन में रखा जाए, तो उसमें मौजूद कुछ हानिकारक बैक्टीरिया मर सकते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, तांबे के बर्तन में रखे गए पानी को पीने से खून साफ होता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है। जब कोलेस्ट्रॉल सही स्तर पर रहता है, तो हृदय रोगों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। इससे ब्लॉकेज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं से बचाव होता है। इसके अलावा, तांबे का पानी पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है, जिससे खाना अच्छे से पचता है और शरीर को पूरा पोषण मिलता है। इससे मोटापा नहीं बढ़ता, यह इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है।

सुबह खाली पेट तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। यह न केवल हृदय को मजबूत बनाता है, बल्कि संपूर्ण शरीर की कार्यप्रणाली को संतुलित रखता है। आज के समय में जब हृदय रोग तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में यह प्राकृतिक उपाय बहुत उपयोगी हो सकता है। यह सस्ता, सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित तरीका है, जिसके फायदे ज्यादा हैं।