कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 से हरियाणा को बाहर रखना खिलाड़ियों का अपमान: सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने लोकसभा में उठाया मेजबानी का मुद्दा
- By Gaurav --
- Thursday, 11 Dec, 2025
Keeping Haryana out of the Commonwealth Games 2030 is an insult to the athletes:
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज लोकसभा के नियम 377 के तहत कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 से हरियाणा को बाहर रखने पर गहरी आपत्ति जताते हुए इसे खिलाड़ियों का अपमान करार दिया और मांग करी कि हरियाणा को सह-आयोजक (co-host) राज्य के रूप में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी का अधिकार प्राप्त करना पूरे देश के लिए गौरव का विषय है, परंतु हरियाणा को मेज़बानी योजना से बाहर रखना न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि भारतीय खेल इतिहास और खिलाड़ियों के योगदान की घोर उपेक्षा है।
दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी मांग करी कि भविष्य में 2036 ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन की की मेजबानी के प्रयासों को केंद्र सरकार का पूरा सहयोग मिले, ताकि राज्य वैश्विक खेल आयोजनों की मेज़बानी की दिशा में अपनी क्षमताओं को और सुदृढ़ कर सके।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हरियाणा के खिलाड़ियों की उपलब्धियों को जानबूझकर नज़रअंदाज़ क्यों कर रही है? भारत की कुल जनसंख्या का मात्र 3% होने के बावजूद, हरियाणा भारत के अंतरराष्ट्रीय पदकों में लगभग 50% का योगदान देता है। ओलंपिक, एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स—हर मंच पर हरियाणा के खिलाड़ी वर्षों से भारत का झंडा ऊँचा करते आए हैं। ऐसे में, 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे महत्वपूर्ण आयोजन में हरियाणा की भागीदारी और प्रतिनिधित्व अत्यंत स्वाभाविक और न्यायोचित है।
दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी कहा कि यदि कॉमनवेल्थ गेम्स के कुछ आयोजन हरियाणा में होंगे तो इससे युवा खिलाड़ियों को वैश्विक प्रतियोगिताओं का न सिर्फ अनुभव मिलेगा, बल्कि प्रदेश में खेल-इकोसिस्टम को मजबूत आधार मिलेगा और साथ ही उन्नत स्टेडियमों, प्रशिक्षण केंद्रों और आधुनिक खेल अवसंरचना के रूप में अनेक फायदे मिलेंगे। यदि भारत सरकार वास्तव में देश के खेलों को मजबूत करना चाहती है, तो उसे हरियाणा जैसे प्रदर्शनकारी प्रदेशों को पीछे नहीं धकेलना चाहिए, बल्कि अग्रिम पंक्ति में लाना चाहिए।
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