Karwa Chauth Vrat 2023 Time, Date and History Know Here

Karwa Chauth 2023: सुहागने अपनी पति की लंबी उम्र के लिए रखती है करवा चौथ व्रत, चलिए जानते है कैसे हुई इसकी शुरुआत और बहुत कुछ 

Karwa Chauth Vrat 2023 Time

Karwa Chauth Vrat 2023 Time, Date and History Know Here

Karwa Chauth 2023: हर साल सुहागन स्त्रियों द्वारा करवाचौथ का व्रत रखा जाता है। महिलाएं इस व्रत का बेसब्री से इंतजार करती हैं, क्योंकि यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। सबसे पहले ये जानना बहुत जरूरी है की करवा चौथ व्रत क्या है। दरअसल, 'करवा चौथ' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, 'करवा' यानी 'मिट्टी का बरतन' और 'चौथ' यानि 'चतुर्थी'। इस त्योहार पर मिट्टी के बरतन यानी करवे का विशेष महत्व माना गया है। सभी विवाहित स्त्रियां साल भर इस त्योहार का इंतजार करती हैं और इसकी सभी विधियों को बड़े श्रद्धा-भाव से पूरा करती हैं।

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करवा चौथ का त्योहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर यह व्रत पहली बार किसने रखा था। कैसे इस व्रत की शुरूआत हुई, धार्मिक मान्यताओं में करवा चौथ का व्रत रखने की अलग-अलग कथाएं मौजूद है। आइए इसके बारे में गहराई से जानते है... 

पहला व्रत किसने रखा था ?
ये सबके मन में हर साल यही बात सोचने को आती है की करवा चौथ का महत्व क्यों इतना खास है और ये व्रत कैसे रखा गया और किसने रखा होगा पहला व्रत ? तो आपको हम बतादें कि एक कथा के अनुसार सबसे पहले करवा चौथ का व्रत माता पार्वती ने भोलेनाथ के लिए रखा था। इसी व्रत से उन्हें अखंड सौभाग्‍य की प्राप्ति हुई थी। इसलिए करवाचौथ में महिलाएं अपने माता पार्वती और भोलेनाथ की पूजा करती हैं, जिससे उन्हें अखंड सौभाग्‍य का आर्शिवाद प्राप्त हो। 


इसके साथ ही करवाचौख का व्रत महाभारत काल की एक कथा में भी पढ़ने को मिलता है। इस कथा के अनुसार एक बार अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्‍या करने के लिए गए थे, लेकिन तभी उनके दूसरे भाईयों पर गहरा संकट आ गया। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे इस समस्या का निपटारा होगा, तब द्रोपदी अपनी समस्या लेकर श्रीकृष्‍ण के पास पहुंची। श्री कृष्ण ने उन्हें पांडवों की रक्षा के लिए कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन करवा का व्रत करने को कहा। श्री कृष्ण के कहने पर द्रोपदी ने यह व्रत रखा और पांडवों को संकटों से मुक्ति मिल गई।

करवा चौथ व्रत कथा का महत्व
ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ की पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब पूजा के साथ इस कथा का पाठ किया जाता है। जो स्त्रियां करवा चौथ के दिन पूजन के साथ इस कथा का पाठ करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं करवा माता उनके पति को दीर्घायु देती हैं और साहूकार की बेटी की ही तरह उनके पति पर भी सदैव भगवान गणपति की कृपा बनी रहती है। करवा चौथ के दिन इस व्रत का एक कैलेंडर सामने रखकर करवा माता का ध्यान करते हुए यदि स्त्रियां इस कथा का पाठ करती हैं और दूसरों को भी कथा सुनाती हैं तो उनका सौभाग्य अखण्ड बना रहता है।

करवा मैया की आरती
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
ओम जय करवा मैया…
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।
ओम जय करवा मैया…
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।
ओम जय करवा मैया…
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया…
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ओम जय करवा मैया…

2023 में करवा चौथ का तिथि और समय 
इस साल करवा चौथ का त्योहार 1 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। हालांकि, चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर 2023 मंगलवार को रात 9:30 से ही शुरू हो जाएगी, जो 1 नवंबर रात को 9:19 बजे तक रहेगी। ऐसे में करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को ही किया जाएगा, पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम को 5:36 से लेकर 6:54 तक रहेगा।

करवाचौथ 2023 पूजा विधि
करवा चौथ के दिन सुबह सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े धारण करें। भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें और दिन भर निर्जला व्रत करें। पूजा के दौरान घर में मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और फलक पर करवा का चित्र बनाकर शाम के समय माता पार्वती और शिवजी की तस्वीर लगाकर पूजा अर्चना करें। पूजा की थाली में दीप, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, रोली, सुहाग का सामान और मिठाई रखें और मिट्टी के करवा में जल रखकर पूजा करें। इसके बाद चांद निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और छलनी से चांद को देखने के बाद अपने पतिदेव को देखें, उनका आशीर्वाद लेकर अपने व्रत को संपन्न करें।