राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार रामविलास वेदांती का रीवा में निधन, अयोध्या में होगा अंतिम संस्कार
Ramvilas Das Vedanti Passes Away
अयोध्याः Ramvilas Das Vedanti Passes Away: राम मंदिर आंदोलन के सूत्रधार पूर्व सांसद डॉक्टर राम विलास दास वेदांती का सोमवार को निधन हो गया है. मध्य प्रदेश रीवा में इलाज के दौरान 67 वर्षीय डॉ. रामविलास दास वेदांती ने अंतिम सांस ली. रीवा में प्रवास के दौरान रविवार को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वेदांती के निधन से अयोध्या में शोक लहर है. मध्य प्रदेश से पार्थिव शरीर लेकर उनके उत्तराधिकारी थोड़ी देर में अयोध्या आएंगे. अयोध्या में पूरे रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वेदांती के निधन पर शोक जताया है.
राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का जीवन संघर्ष से भरा रहा और अपने पूरे जीवन सनातन के लिए लग रहे. राम जन्मभूमि में राम मंदिर का जो स्वरूप आज नजर आ रहा है, उसमें डॉक्टर रामविलास वेदांती का बड़ा योगदान रहा है. उनका जाना सनातन आंदोलन के लिए एक बड़ी क्षति मानी जा रही है. भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश का मानना है कि आने वाले समय में सनातन से जुड़े जो भी आंदोलन है, उनमें रामविलास वेदांती के जीवन से प्रेरणा मिलती रहेगी.
7 अक्टूबर 1958 को जन्मे डॉ. रामविलास वेदांती शुरू से ही हिंदू धार्मिक नेता के रूप में सक्रिय रहे. वे विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) से जुड़े और राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के अग्रणी योद्धाओं में शुमार हुए. 1980 के दशक से राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर उन्होंने देशव्यापी अभियान चलाया. वेदांती राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य थे और अयोध्या में राम वैदेही मंदिर धर्मशाला से जुड़े रहे.
1992 का 6 दिसंबर राम मंदिर आंदोलन का निर्णायक दिन था. बाबरी ढांचे के विध्वंस में वेदांती की भूमिका विवादास्पद रही. वे खुद कई बार कह चुके थे कि कारसेवकों को ढांचा गिराने का निर्देश दिया था. उन्होंने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि मैंने ढांचा तुड़वाया और लाखों कारसेवकों ने मिलकर इसे गिराया. इस बयान से वे विवादों में घिरे, लेकिन राम भक्तों के लिए वे नायक बन गए. बाबरी विध्वंस मामले में उन्हें आरोपी बनाया गया, हालांकि बाद में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया.
दो बार सांसद चुने गए थेः भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अशोक पांडेय ने बताया कि राजनीतिक जीवन में भी वेदांती सक्रिय रहे. 1996 और 1998 में वे भाजपा से प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. रामलहर का उन्हें पूरा लाभ मिला. उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी और अन्य भाजपा नेताओं का बचाव यह कहते हुए किया कि विध्वंस में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.
राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे ने बताया कि वेदांती के जीवन में विवाद कभी कम नहीं हुए. वे स्पष्टवादी थे और राम मंदिर को लेकर कभी समझौता नहीं किया. 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और 2024 में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को उन्होंने अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सपना पूरा होना बताया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर निर्माण को उन्होंने अपने जीवन के दो बड़े संकल्पों की पूर्ति माना. अंतिम दिनों में भी वे रामकथा और धार्मिक प्रवचन में सक्रिय थे. रीवा में रामकथा के दौरान ही उनकी तबीयत बिगड़ी. एयर एम्बुलेंस कोहरे के कारण लैंड नहीं कर पाई. उनका पार्थिव शरीर अयोध्या लाया जा रहा है, जहां अंतिम संस्कार होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया. डॉ. वेदांती का जीवन राम भक्ति, संघर्ष और विवादों का संगम था. राम मंदिर आज भव्य रूप में खड़ा है, लेकिन उनके जैसे योद्धाओं की कुर्बानियां ही इसकी नींव हैं. उनका जाना आंदोलन के एक युग का अंत है.
अयोध्या के संतों ने जताया शोकः डॉ रामविलास दास वेदांती के निधन पर अयोध्या के संत धर्माचार्य दुःख प्रकट की है। मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास उत्तराधिकारी कमल नयनदास, महंत रामशरण दास, महंत जनमेजय शरण, महंत अवधेश दास, महंत मैथिली रमन शरण, महंत मिथिलेश नंदनी शरण, महंत जगदीश दास, महंत संत रामदास, महंत जगत गुरु राम दिनेश आचार्य, महंत गिरीश दास समेत सभी संतो ने शोक जताया है. संतों ने कहा कि राम मंदिर के लिए उन्होंने अपने जीवन को समर्पित कर दिया था. सनातन धर्म के लिए लगातार प्रचार-प्रसार कर रहे थे. निधन से आज हिंदुत्व के लिए बड़ी अपूर्णीय छति है.