उद्यमी व स्टार्टअप इनोवेशन के साथ-साथ बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति भी हों जागरूक: आर डी नजीम

Entrepreneurs and startups should be aware of intellectual property rights

Entrepreneurs and startups should be aware of intellectual property rights

पीएचडीसीसीआई ने एमएसएमई के सहयोग से शुरू की दो दिवसीय आईपी यात्रा

विभिन्न सत्रों में होगा ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, जीआई टैगिंग पर मंथन

शिमला। केंद्रीय सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के सहयोग से पीएचडी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा हिमाचल प्रदेश में उद्यमियों तथा स्टार्टअप्स को बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने के लिए राजधानी शिमला में आज से  दो दिवसीय नेशनल आईपी यात्रा कार्यक्रम शुरू हुआ।

 उद्घाटन सत्र पर बतौर मुख्य अतिथि पधारे खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले, परिवहन तथा उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आईएएस आर डी नज़ीम  ने कहा युवा प्रतिभाएं स्टार्टअप के माध्यम से औद्योगिक क्षेत्र में इनोवेशन को बढ़ावा दे रही हैं।

 प्रदूषण कम करने से लेकर स्वच्छ ऊर्जा खपत को अपनाने या प्लास्टिक की समस्याओं के समाधान अब युवा स्टार्टअप के माध्यम से कर रहे हैं।ऐसे में बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।  पीएचडी चैंबर का इस आयोजन के लिए आभार व्यक्त करते हुए नज़ीम ने कहा कि इससे नवोदित उद्यमियों, स्टार्टअप्स और एमएसएमई पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा आज किसी भी उद्योग के लिए जितना जरूरी उत्पाद के उत्पादन है उससे कहीं जरूरी ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन, कॉपीराइट लेना अनिवार्य है।

 इससे पहले आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए पीएचडीसीसीआई के स्थानीय निदेशक अनिल सौंखला ने कहा कि यह यात्रा केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि हिमाचल में स्टार्टअप तथा उद्यमियों के लिए एक आंदोलन की शुरुआत है। आगामी सत्रों में उत्पाद पंजीकरण, बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे सभी शंकाओं का समाधान किया जाएगा।

कार्यक्रम का संचालन कर रही पीएचडीसीसीआई की निदेशक कंचन ज्युतशी ने देश विदेश में प्रसिद्ध कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय जैसे उत्पादों का उदाहरण देते हुए कहा कि हिमाचल के उद्यमी अपने ट्रेड मार्क का पंजीकरण करवाकर उसकी विश्व स्तर पर मार्केटिंग कर सकते हैं।

एनएसआईसी के पूर्व चेयरमैन एवं एमडी तथा पीएचडीसीसीआई के सलाहकार डॉ. एचपी कुमार ने बताया कि भारत मे वर्ष 2016 में आईपीआर पॉलिसी लागू हुई है। इसके बारे में जागरूकता फैलाने  की दिशा में इस तरह के कार्यक्रम बेहद लाभदायक सिद्ध होते हैं। 

एमएसएमई डीएफओ सोलन के सहायक निदेशक पार्थ अशोक ने कहा ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, जीआई टैगिंग आईपीआर का हिस्सा हैं। उन्होंने एमएसएमई द्वारा उद्योगों के हित में चलाई जा रही योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी सांझा की। इस अवसर पर विशेष रूप से पधारे कौंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्री रिसर्च (सीएसआईआर) के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. सुखजिंदर सिंह ने कहा कि युवा स्टार्टअप शुरू करने से पहले उस उत्पाद के बारे में शोध करें। अपने उत्पाद की सुरक्षा के लिए आईपीआर के अंतर्गत पंजीकरण करवाएं। दो दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र के बाद आयोजित टेक्निकल सैशन के दौरान यूनाइटिड एंड यूनाइटिड की एसोसिएट साक्षी अग्रवाल तथा हनीत पपरेजा ने विभिन्न विषयों पर प्रस्तुति देते हुए इस क्षेत्र की चुनोतियो पर चर्चा की।