Haryana proved successful in crop residue management

फसल अवशेष प्रबंधन में सफल साबित हुए हरियाणा सरकार के प्रयास, देखें क्या कहती है NASA  की रिपोर्ट

Haryana proved successful in crop residue management

Haryana proved successful in crop residue management

NASA की वेबसाइट से पराली जलाने की तस्वीरें जारी

10 नवंबर (24 घंटे पहले) के पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों के पराली जलाने के दिखाए हालात

पंजाब की तुलना में हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी

Haryana proved successful in crop residue management- फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को जागरूक करने के प्रयास धरातल पर सफल साबित हुए हैं । जिसकी पुष्टि (America) अमेरिका की नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) द्वारा हाल में उत्तरी भारत में पराली जलाने व आगजनी की घटनाओं की सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों पर आधारित रिपोर्ट से भी हुई है। एजेंसी द्वारा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि पिछले 24 घंटे में हरियाणा में पराली जलाने के मामले और भी कम हुए हैं जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब के तीन चौथाई हिस्से पर पराली जलने की लाइव इमेज देखी जा सकती है।

नासा की तरफ से जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों में यह स्पष्ट हो जाता है कि हरियाणा में पहले के मुकाबले पराली जलाने के केस कम हुए हैं जबकि पड़ोसी राज्य में आज भी पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि पिछले 24 घंटे से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार हरियाणा के पराली जलाने की बेहद कम घटनाएं दर्ज की गई हैं जो सरकार के सफल अवशेष प्रबंधन कार्यक्रम का ही परिणाम है। सरकारी आकड़ों के अनुसार भी (Haryana) हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में इस साल 25 प्रतिशत की कमी आई है जबकि पंजाब में इन घटनाओं में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

पराली न जलाने को लेकर हरियाणा सरकार ने ना केवल जागरूकता अभियान किसानों के बीच चलाया है बल्कि हरियाणा सरकार द्वारा पराली न जलाने व पराली के उचित प्रबंधन के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। किसानों को पराली की गांठ बनाने के लिए 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि और पराली प्रबंधन के उपकरणों पर सब्सिडी दी जाती है। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरण 50 प्रतिशत तथा (Custom Hiring Centre) कस्टम हायरिंग सेन्टर पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। अगर (Farmer) किसान करनाल और पानीपत के इथिनॉल टू प्लांट में पराली की गांठे बनाकर ले जाता है तो उन्हें 2  हज़ार रूपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाती है । अगर किसान किसी गौ शाला में पराली ले जाता है तो उसे 1500 रूपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यही नहीं रेड जोन क्षेत्र में पराली ना जलाने पर पंचायत को सरकार 10 लाख रूपये तक पुरस्कार देती है ।  पिछले वर्ष पराली प्रबंधन के लिए सरकार ने 216 करोड़ का प्रावधान किया था।

इसके अलावा हरियाणा सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को 72 हजार से अधिक यंत्र दिए हैं, जिन्हें इस साल 80000 तक पहुंचाने का लक्ष्य सरकार ने रखा है,जिससे कि किसान जमीनी स्तर पर ज्यादा से ज्यादा फसल अवशेषों का प्रबंधन कर सकें। इसके अलावा हरियाणा में ही 24 तरह के उद्योगों ने पराली खरीदने की सहमति सरकार को दी है जिसके तहत हर जिले में कमांड एरिया खोला जाएगा और उन कमांड एरिया सेंटर के जरिए ही पराली खरीदी जाएगी। सरकार ने इसके लिए एक नया पोर्टल भी बनाया है जिस पर पराली खरीदने वाले ठेकेदारों और उद्योगों की जानकारी उपलब्ध रहेगी और जो किसान पराली बेचना चाहता है वह पोर्टल के माध्यम से सीधा संपर्क कर सकता है। पिछले साल लगभग 1.75 लाख टन पराली की खरीद (Biogas Plant) बायोगैस प्लांट के द्वारा हरियाणा में की गई। इसी क्रम में हरेडा द्वारा भी बायोमास ऊर्जा प्लांट लगाने का फैसला किया गया है। पराली का उपयोग बिजली बनाने में करने के लिए कुरुक्षेत्र, कैथल,फतेहाबाद एवं जींद में 49.08 मेगावाट क्षमता की बारे में योजनाएं स्वीकृत सरकार द्वारा की गई हैं,कुरुक्षेत्र में कैथल में भी इन परियोजनाओं पर काम प्रगति में है।

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