मानवता के रक्षक गुरु तेग बहादुर जी: एक शहादत जो इतिहास बदल गई

मानवता के रक्षक गुरु तेग बहादुर जी: एक शहादत जो इतिहास बदल गई

Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2025

Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2025

Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2025: गुरु तेग बहादुर जी —सिख परंपरा के नौवें गुरु—के जीवन और बलिदान का स्मरण मात्र किसी धार्मिक अनुयाई की श्रद्धा तक सीमित नहीं है; यह संपूर्ण मानवता के आत्मबल, स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा का प्रतीक है। जिस दौर में सत्ता और अत्याचार के सामने लोगों का अस्तित्व खतरे में था, उस समय गुरु तेग बहादुर ने अपने त्याग, धैर्य और दृढ़ता से यह सिद्ध किया कि धर्म केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि सत्य और मानवता की रक्षा का मार्ग है।

1621 में अमृतसर में जन्मे त्यागमल—जो बाद में ‘तेग बहादुर’ बने—बचपन से ही वीरता, विवेक और त्याग का अद्भुत संगम थे। केवल 14 वर्ष की आयु में युद्धभूमि में दिखाई गई उनकी निर्भीकता ने उनके व्यक्तित्व को नई पहचान दी। आगे चलकर उन्होंने गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु हरगोबिंद साहिब जी तक की शिक्षाओं को आत्मसात करते हुए पूरे भारत में आध्यात्मिक यात्रा की और मानवता के लिए नए उपदेश केंद्र स्थापित किए।

गुरु तेग बहादुर को ‘हिंद दी चादर’ कहा जाना आकस्मिक नहीं है। मुगल शासन की धार्मिक कठोरता के विरुद्ध, उन्होंने न केवल सिखों के बल्कि पूरे हिंदू समाज और कमजोर समुदायों के अधिकारों की रक्षा का दायित्व लिया। वे न तो किसी एक धर्म के प्रतिनिधि थे, न किसी संप्रदाय के; वे उन मूल्यों के प्रहरी थे, जिन पर एक सभ्य समाज की नींव खड़ी होती है—धर्म की स्वतंत्रता, मानव गरिमा, विचार की स्वतंत्रता और न्याय।

उनकी शहादत इतिहास में पहली बार मानवाधिकारों की रक्षा के लिए दिए गए सर्वोच्च बलिदान के रूप में दर्ज है। जब कश्मीरी पंडित संरक्षण की गुहार लेकर आए, गुरु तेग बहादुर ने उनके लिए अपना सिर कुर्बान करके एक ऐसा उदाहरण स्थापित किया जिसकी मिसाल विश्व इतिहास में दुर्लभ है। आज भी यह बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि सत्ता की शक्ति भले ही विशाल हो, लेकिन सत्य और धर्म के पक्ष में खड़ी आवाज़ ही अंततः इतिहास बदलती है।

गुरु तेग बहादुर का जीवन हमें बताता है कि डर, अत्याचार या लालच के सामने झुकना नहीं, बल्कि सत्य पर अडिग रहना ही वास्तविक शक्ति है। आधुनिक भारत, जो विविधता और स्वतंत्रता की पहचान है, के नागरिकों के लिए गुरु तेग बहादुर का संदेश पहले से अधिक प्रासंगिक है। जब समाज विभाजन, असहिष्णुता या कट्टरता की ओर बढ़ता है, तब गुरु तेग बहादुर की शिक्षाएँ एक दीपक की तरह राह दिखाती हैं:
मानवता सर्वोपरि है, और अन्याय के विरुद्ध खड़ी हुई आवाज़ ही महान होती है।

आज जब हम उनकी जयंती या शहादत को स्मरण करते हैं, यह केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं बल्कि वह अवसर है जब हम तय करें कि क्या हम भी उस मूल्यों की रक्षा के लिए तैयार हैं, जिनके लिए ‘हिंद दी चादर’ ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान केवल अतीत का अध्याय नहीं—यह भविष्य का मार्गदर्शन है।

Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2025
नवनीत कौर
समाजसेवी और एस्ट्रोलॉजर