gifts to government employees in punjab

पंजाब में सरकारी कर्मचारियों को तोहफा

Editorial

gifts to government employees in punjab

आम आदमी पार्टी ने पंजाब में जिन उम्मीदों की पौध लगाई थी, उस पर अब फूल महकने लगे हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार जनकल्याण के फैसले ले रही है, जिससे विभिन्न वर्गों को फायदा हो रहा है। हालांकि अभी प्रदेश में बहुत कुछ होना बाकी है, लेकिन यह भी जरूरी है कि पंजाब का स्थायी विकास सुनिश्चित हो। सरकार को लोकलुभावन फैसलों के साथ दूसरे ऐसे निर्णय भी लेने चाहिए जोकि राज्य को विकास के पैमाने पर दूसरे राज्यों से कहीं आगे लेकर जाएं।
 

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों को दिवाली का बड़ा तोहफा दिया है। मंत्रिमंडल की बैठक में पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली को सैद्धांतिक मंजूरी देने के अलावा महंगाई भत्ते की राशि को भी बढ़ाया गया है। देश में इस समय पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर जिस प्रकार का माहौल कायम है, उसमें पंजाब सरकार का यह निर्णय काफी बड़ा है। प्रत्येक राज्य में कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं, हालांकि इस स्कीम के संबंध में केंद्र सरकार की राय जुदा है। पंजाब में आप ने सरकारी कर्मचारियों से वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आती है तो पुरानी पेंशन स्कीम को लागू किया जाएगा। अब जब हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, तब पंजाब में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर आम आदमी पार्टी सरकार ने भाजपा के सम्मुख अपना राजनीतिक पैंतरा भी चल दिया है। भाजपा की केंद्र एवं राज्य सरकारें पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की इच्छुक नहीं हैं।

पंजाब में भी वर्ष 2004 में तत्कालीन कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने इस स्कीम को लागू किया था। इसके तहत प्रत्येक कर्मचारी के निर्धारित पे स्केल के मुताबिक 10 फीसदी कटौती मूल वेतन से होती थी, वहीं 14 फीसदी इसमें राज्य सरकार अपना योगदान देती थी। अब सवाल यह था कि इस स्कीम के तहत किस कर्मचारी को कितनी पेंशन मिलेगी, यह साफ नहीं हो पा रहा। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड के बाद पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने वाला पंजाब देश का चौथा राज्य बन गया है। कर्मचारियों को पुरानी और मौजूदा पेंशन चुनने का भी विकल्प दिया जाएगा। पंजाब में इस फैसले को लेने के बाद अब दूसरे राज्यों में आप इसे जोर-शोर से भुनाएगी। हालांकि पंजाब में पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के निर्णय पर सवाल भी उठ रहे हैं। राज्य में सरकारी कर्मचारियों को देने के लिए वेतन नहीं है, यह भी सामने आया है कि विधायकों का वेतन भी अधर में लटका हुआ है। ऐसे में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए सरकार फंड कहां से लाएगी।
   

वैसे, पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का वादा हरियाणा में भी जजपा की ओर से किया गया था। अब सत्ता में हिस्सेदार जजपा पर इसका दबाव बन रहा है कि वह भी इसकी मांग बुलंद करे। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का फैसला कर चुकी है। नई दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार भी पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का प्रस्ताव पास करके केंद्र को भेज चुकी है। अब पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार ने भी दिवाली का तोहफा देते हुए कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में हरियाणा में भी इसकी मांग पुरजोर हो गई है। कर्मचारी संगठनों ने पंजाब के संदर्भ में हरियाणा में भी इस निर्णय को लागू करने की मांग उठा दी है। हरियाणा में कांग्रेस इसे मुद्दा बना चुकी है, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा  ऐलान कर रहे हैं कि सत्ता में आने के बाद वे इसे लागू करेंगे। हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग है और उसे भी अपने हित प्रिय हैं। ऐसे में यह बेहद लुभावना चुनावी मुद्दा होगा।
 

केंद्र के स्तर पर कांग्रेस भी इसके लिए तैयार हो चुकी है। वैसे पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने में कई तरह की कानूनी अड़चनें भी हैं। राजस्थान में गहलोत सरकार ने फैसला तो ले लिया, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया जा सका है। केंद्र के स्तर पर क्योंकि यह फैसला लिया गया था, ऐसे में केंद्र ही पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का निर्णय ले सकता है। राज्य सरकारें अगर अपने स्तर पर फैसला करती हैं तो उन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। वैसे हरियाणा के कर्मचारी संगठन पेंशनर्स की बेसिक पेंशन बढ़ोतरी का मुद्दा भी उठा रहे हैं। सर्व कर्मचारी संघ, हरियाणा ने इसके लिए मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है। वहीं रिटायर्ड कर्मचारी संघ, हरियाणा का कहना है कि 2014 में भाजपा ने विधानसभा चुनावों के समय घोषणा-पत्र में रिटायर्ड कर्मचारियों को पंजाब के समान पेंशन व फैमिली पेंशन देने का वादा किया था।

सरकार बनते ही भाजपा अपने वादे से मुकर गई। जाहिर है, यह मुद्दा अब हरियाणा में भी पूरे जोर-शोर से उठाया जाएगा, सरकार को इसके लिए तैयार रहना होगा। पंजाब के संदर्भ इसके व्यापक मायने हैं। हालांकि किसी पुरानी स्कीम को लागू करने के पहले राज्य सरकार को इसका अंदाजा लगा लेना चाहिए कि राज्य का खजाना इसका बोझ उठा भी पाएगा या नहीं। पंजाब में उद्योग-धंधे, रोजगार, शिक्षा-चिकित्सा आदि इस समय चिंताजनक स्थिति में है। अगर लोकलुभावन योजनाओं पर ही सरकार पैसा खर्च करती रही तो फिर ठोस विकास पर कब काम होगा।