स्वच्छता अभियान : गंदगी से युद्ध छेड़ने की आवश्यकता
Swachhata Abhiyaan
Swachhata Abhiyaan: यह दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि जिस चंडीगढ़ को स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में सुपर स्वच्छ लीग की 3 से 10 लाख की जनसंख्या श्रेणी में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ हो, उसी का नगर निगम ऐसा कृत्य करे, जिससे न केवल उसकी छवि धूमिल हो, बल्कि केंद्रीय मंत्री की प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुँचे। यह अत्यंत विचित्र व हास्यास्पद है कि जहाँ स्वच्छता अभियान चलाना था, वहाँ सफाई की बजाय जानबूझकर कूड़ा डालकर औपचारिकता निभाई गई। यह जनता के बीच गलत संदेश देता है।
प्रशासन को चाहिए था कि ऐसे नेताओं को उन स्थलों पर ले जाया जाता, जहाँ वास्तव में गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। यदि वहां स्वच्छता अभियान चलाया जाता, तो जनमानस में एक सकारात्मक संदेश जाता। नागरिक भी इस सोच से प्रभावित होते कि उनके क्षेत्र में उच्चाधिकारी एवं केंद्रीय मंत्री आने वाले हैं, जिससे वे अपने क्षेत्र को स्वच्छ बनाए रखने का प्रयास करते। यदि सरकार ऐसे आयोजनों को गंभीरता से ले, तो देश और राज्य की कई समस्याओं का समाधान सम्भव है।
उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत चंडीगढ़ के सेक्टर-22 की मार्केट में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने झाड़ू लगाकर स्वच्छता का संदेश दिया। स्पष्ट है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं रही होगी कि नगर निगम के अधिकारी क्या कर रहे हैं। चंडीगढ़ अपेक्षाकृत स्वच्छ शहर माना जाता है, किंतु प्रतिदिन सुबह-सवेरे मार्केट क्षेत्रों में गंदगी बिखरी होती है, जिसे निगम के सफाईकर्मी हटाते हैं।
अब मंत्री को गंदगी से भरे स्थान पर तो नहीं ले जाया जा सकता, किंतु प्रतीकात्मक रूप से जहाँ कुछ सफाई की आवश्यकता हो, वहाँ अभियान चलाना उचित होता? किंतु नगर निगम ने उसी स्थान पर रात में जानबूझकर कूड़ा डलवाया, और फिर वहीं केंद्रीय मंत्री से झाड़ू लगवाई। इस घटना का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि निगम के वरिष्ठ अधिकारियों को इस सबकी पूर्ण जानकारी रही होगी, फिर भी कार्रवाई केवल जूनियर कर्मचारियों पर करते हुए दो सैनेटरी इंस्पेक्टर्स को निलंबित कर दिया गया। यह आदेश निगम आयुक्त द्वारा जारी किए गए। प्रश्न यह है कि इस प्रकार की दिखावटी गतिविधि की आवश्यकता ही क्यों पड़ी?
यदि मंत्री को अत्यधिक गंदे क्षेत्रों में नहीं ले जाया जा सकता था, तो उन्हें ऐसे स्थानों पर ले जाया जाता जहाँ सामान्य रूप से भी सफाई की स्थिति ठीक रहती है। आखिर उद्देश्य तो केवल स्वच्छता का संदेश देना था। परंतु यह अफसरशाही की कार्यशैली का अनोखा उदाहरण है कि जिस स्थान पर कार्यक्रम होना था, वहाँ रातों-रात गंदगी फैलवा दी गई।
निस्संदेह, स्वच्छता अभियान को वर्षभर चलाए जाने की आवश्यकता है, लेकिन जब केंद्रीय मंत्री, राज्य सरकार के मंत्री अथवा अन्य विशिष्टजन इस प्रकार के कार्यक्रमों की शुरुआत करते हैं, तो उनका उद्देश्य जनमानस को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना होता है।
यह भी स्मरणीय है कि केंद्र सरकार द्वारा 2023 में आयोजित सर्वेक्षण में चंडीगढ़ का स्थान 11वां था। इस दृष्टि से बीते समय में चंडीगढ़ प्रशासन, नगर निगम के अधिकारियों एवं निर्वाचित प्रतिनिधियों ने मिलकर कार्य में सुधार करते हुए 2024-25 के सर्वेक्षण में दूसरा स्थान प्राप्त किया। किंतु वर्षों से यहाँ रहने वाले नागरिक कैसे भूल सकते हैं कि चंडीगढ़ को ‘सिटी ब्यूटीफुल’ कहा जाता है?
यदि यहाँ सुंदरता व स्वच्छता न हो, तो और कहाँ होगी? किन्तु यह विडंबना है कि देश के अन्य शहर अब अधिक स्वच्छ और बेहतर प्रबंधन वाले हो गए हैं। कभी महज़ 10 लाख की जनसंख्या के लिए बसाया गया यह छोटा सा शहर, अब स्वच्छता में पिछड़ता जा रहा है।
कहा जाता है कि अधिकारियों का मोह अब चंडीगढ़ से समाप्त हो चुका है — वे जैसे-तैसे यहाँ आते हैं और कुछ समय पश्चात चले जाते हैं। चंडीगढ़ के पार्क, मार्केट, सेक्टर, सार्वजनिक स्थल, सड़कें, वॉशरूम और गलियारे, सब कहीं न कहीं गंदगी से प्रभावित हैं। ऐसे स्थानों पर ही नेताओं को ले जाने की आवश्यकता है, जिससे उन्हें भी शहर की वास्तविक स्थिति का बोध हो सके।
इसलिए सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह उठता है कि नगर निगम के अधिकारी एवं महापौर ने यह क्यों नहीं सोचा कि गंदे क्षेत्रों से इस प्रकार का अभियान आरंभ किया जाना चाहिए, ताकि वे स्वयं भी शहर में व्याप्त गंदगी का अनुभव कर सकें।