Diplomatic response to China

Editorial : चीन को मिले कूटनीतिक जवाब, सीमा पर भारत की तैयारी हो और पुख्ता  

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Diplomatic response to China

Diplomatic response to China : चीन से लगी सीमा पर हालात स्थिर लेकिन अप्रत्याशित होना वाकई में चिंता की बात है। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे  (Army Chief General Manoj Pandey) की इस स्वीकृति पर अचंभित नहीं हुआ जा सकता। बीते कुछ वर्षों में चीन ने जिस प्रकार से भारत के प्रति अपने विस्तारवादी सोच के मंसूबे जाहिर किए हैं, उसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है। बीते वर्ष तो चीन के सैनिकों के साथ सीमा पर अनेक बार टकराव हुआ है। अब सेना प्रमुख के इस खुलासे कि पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (line of actual control) के उस पार चीनी सेना की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, यह बताता है कि ड्रैगन सीमा पर भारत के साथ यह टकराव जारी  रखना चाहता है। इसके पीछे चीन की आंतरिक राजनीति है वहीं हालिया वर्षों में चीन की पूरी दुनिया पर हुकूमत करने की चाह भी बलवती हुई है। यही वजह है कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देश चाहते हंैं कि चीन को रोकने के जत्न किए जाने चाहिए।

भारत और चीन (India and China) के कूटनीतिक संबंधों में कभी स्थिरता नहीं आ पाई है। देश में चीन के साथ संबंधों को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। विपक्ष खासकर कांग्रेस चीन की ओर से भारतीय जमीन हथियाने और मोदी सरकार की ओर से कथित रूप से कुछ नहीं किए जाने का आरोप लगाती है। हालांकि विपक्ष की राजनीति अपनी जगह है, लेकिन यह सच है कि बीते वर्षों में भारत ने सैन्य रूप से खुद को आश्चर्यचकित रूप से समृद्ध और विकसित किया है। अब भारतीय सेना की पहुंच सीधे पाकिस्तान और चीन (Pakistan and China) की सीमा तक है और बेहद शॉर्ट नोटिस पर सेना सीमा पर पहुंच कर एक्शन ले सकती है। ऐसा उन हाईवेज-रोड, ब्रिज के निर्माण से संभव हुआ है, जोकि एक निवेश की भांति देश में हुआ है। सेना के पास अब भयंकर सर्दी में भी सीमा पर डटे रहने के लिए संसाधन हैं, हथियार हैं। अरुणाचल प्रदेश के त्वांग में दिसंबर महीने में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प के बाद से चीन को इसका एहसास हुआ है कि गलवान में अप्रत्याशित धोखा अब और अंजाम नहीं दिया जा सकता।

सेना प्रमुख जनरल पांडे (Army Chief General Pandey) का यह कहना देश को बखूबी आश्वस्त करता है कि एलएसी पर भारतीय सेना की तैयारी बहुत उच्च स्तर की है। उन्होंने यह भी जाहिर किया है कि  सीमा पर तमाम क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में सैनिकों की तैनाती के साथ-साथ अस्त्र-शस्त्रों का जरूरत के अनुसार भंडार है। यह जरूरी भी है कि भारत की तैयारी उसके विरोधी देशों से बीस हो। बेशक, देश की भावना कभी भी पहले हमला करने की नहीं रही है, लेकिन अगर हमला होता है तो फिर इसका निर्णायक जवाब दिया जाना आवश्यक है। चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के मंसूबे दीवार पर लिखी इबारत की भांति हैं। वहां साफ-साफ भारत का विरोध और उसकी तरक्की को रोकने की कुचालों का विवरण लिखा हुआ है। ऐसे में भविष्य मेंं होने वाले किसी भी नए घटनाक्रम के लिए भारतीय सेना (Indian Army) का सचेत और सबल होना आवश्यक है।

इसके अलावा भारतीय सेना (Indian Army)  की ओर से अपने तोपखाना रेजीमेंट के दरवाजे महिलाओं के लिए खोलने का फैसला भी सराहनीय है। एयर डिफेंस और आर्मी एविएशन कोर के बाद यह तीसरी अहम ब्रांच है, जिसमें महिलाएं कॉम्बैट रोल में शामिल की जाएंगी। इससे निश्चित रूप से जहां सेना की सक्षमता में इजाफा होगा, वहीं महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। अभी तक महिला सैनिकों को युद्ध के दौरान मोर्चे पर नहीं भेजा जाता रहा है। इसके अलावा सेना ने गलवान और यांगत्से सेक्टर में चीनी सैनिकों से हुई झड़पों से सबक लेते हुए सेना के जवानों के लिए प्रशिक्षण के नए प्रयोग शुरू किए हैं। इस प्रशिक्षण में बिना हथियारों की आमने-सामने की लड़ाई के लिए जवानों को मार्शल आर्ट सिखाई जा रही है। जाहिर है, इस प्रकार के नए कार्यक्रम सेना की तीनों शाखाओं के लिए आवश्यक हैं। केंद्र सरकार ने बीते वर्ष सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) को लागू किया था, अब इस योजना के व्यापक फायदे सामने आने लगे हैं। विपक्ष इस योजना को गैर जरूरी बता रहा है, जिस पर बहस खत्म नहीं हुई है। लेकिन अब युवाओं की अग्निवीर (Agniveer) बनने की उत्कंठा का अंदाजा उन भर्ती रैलियों से मिल जाता है, जहां हजारों की तादाद में युवा पहुंच रहे हैं।

बढ़ते भारत के साथ सेना का विकास भी आवश्यक है। भारतीय सेना (Indian Army)   नई चुनौतियों और संभावनाओं के मद्देनजर खुद को तैयार रख रही है। हालांकि देश में सेना को राजनीति में नहीं घसीटना चाहिए, बीते दिनों अनेक बार ऐसा होते देखा गया है। सेना का स्वाभिमान और उसका सम्मान बरकरार रखा जाना चाहिए।  

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