दिल्‍ली MCD उपचुनाव: चांदनी चौक सीट पर लहराया भगवा, ध्‍वस्‍त हुआ कांग्रेस-आप का गढ़, जानें पूरा रिजल्‍ट

दिल्‍ली MCD उपचुनाव: चांदनी चौक सीट पर लहराया भगवा, ध्‍वस्‍त हुआ कांग्रेस-आप का गढ़, जानें पूरा रिजल्‍ट

Delhi MCD By-election Result 2025

Delhi MCD By-election Result 2025

Delhi MCD By-election Result 2025: दिल्ली नगर निगम के चांदनी चौक वार्ड में हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं। इस सीट को पहले कांग्रेस और फिर आम आदमी पार्टी (आप) का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन इस बार बीजेपी ने सफलता हासिल की है। बीजेपी के उम्मीदवार सुमन कुमार गुप्ता को कुल 7,825 वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी के हर्ष शर्मा 6,643 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। दोनों के बीच अंतर 1,182 वोटों का रहा।

निदलीय उम्मीदवार अनिल टंडन और सुनील कुमार भी इस चुनाव में मैदान में थे। यह उपचुनाव न केवल स्थानीय समीकरण तय करेगा, बल्कि दिल्ली की आगामी राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर सकता है। मतदान 30 नवंबर को हुआ था, जिसमें लगभग 35.65% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

चांदनी चौक सीट का चुनावी इतिहास

चांदनी चौक उपचुनाव का इतिहास भी काफी रोचक रहा है।

  • 2017 में, बीजेपी के रविंदर कुमार ने 8,774 वोट हासिल कर कांग्रेस के पुनरदीप सिंह साहनी को 5,245 वोटों से हराया था।

  • 2022 में, वार्ड सीमांकन के बाद हुए MCD चुनाव में पुनरदीप ने कांग्रेस छोड़कर आप का दामन थामा और बीजेपी के रविंदर कुमार को मामूली अंतर से हराया।

इस तरह, यह वार्ड समय-समय पर राजनीतिक धुरी बदलते हुए चुनावी नाटकीयता का केंद्र बनता रहा है।

इस उपचुनाव का महत्व

यह उपचुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कई पार्षदों ने एमसीडी की सीटें छोड़ दी थीं। चांदनी चौक के पूर्व पार्षद पुनरदीप सिंह साहनी ने भी विधानसभा चुनाव में भाग लेने के लिए इस्तीफा दिया था। उन्होंने चांदनी चौक विधानसभा सीट से बीजेपी के सतीश जैन को 16,572 वोटों से हराया था। इसी कारण चांदनी चौक समेत कुल 12 वार्डों में उपचुनाव कराए गए हैं।

बीजेपी और आप के लिए परीक्षा

यह उपचुनाव दिल्ली में राजनीतिक ताकत का भी मापदंड है। मौजूदा विधानसभा में बीजेपी के पास 48 सीटें हैं और आप के पास 22 सीटें। यदि बीजेपी चांदनी चौक वार्ड जीतती है, तो उसकी ‘विकसित दिल्ली’ की मुहिम को मजबूती मिलेगी। वहीं, यदि आप इस सीट को दोबारा जीतती है, तो उसे 2022 के जनादेश को पढ़ने और रणनीति बनाने का अवसर मिलेगा। कांग्रेस की नजरें भी इस पर हैं कि क्या वह इस मुकाबले में फिर से राजनीतिक जमीन बना पाएगी।