माकपा ने बिजली और पानी की बढ़ी दरों पर जताई चिंता

माकपा ने बिजली और पानी की बढ़ी दरों पर जताई चिंता

Electricity and Water Rates in Himachal

Electricity and Water Rates in Himachal

Electricity and Water Rates in Himachal: भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) प्रदेश सरकार द्वारा बिजली व पानी की दरों में की गई वृद्धि(Increase in electricity and water rates) की कड़ी निन्दा करती है ये बात माकपा के जिला शिमला सचिव संजय चौहान(Shimla Secretary Sanjay Chauhan) ने कही ये भी कहा कि माकपा सरकार से मांग करती है कि इस वृद्धि को तुरन्त वापिस किया जाए तथा विधानसभा चुनाव के दौरान 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की गारंटी को तुरंत प्रभाव से लागू कर जनता को राहत प्रदान करे। यदि सरकार तुरन्त जनता पर महंगाई का बोझ(burden of inflation) डालने वाले इस निर्णय को वापिस नही लेती तो पार्टी इसको लेकर जनता को लामबंद कर इस जनविरोधी निर्णय(anti people decision) को वापिस लेने के लिए आंदोलन चलाएगी।
                     सरकार द्वारा अप्रैल से बिजली की दरों में 22 से 46 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही पेयजल की दरों में भी 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इससे पहले भी प्रदेश सरकार ने जनवरी के माह में डीजल की दरों में 3 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की थी। केन्द्र सरकार की नीतियों के चलते जनता पहले ही मंहगाई से त्रस्त है अब प्रदेश सरकार के द्वारा बिजली, पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की दरों में वृद्धि से महंगाई बढ़ेगी और जनता पर और अधिक आर्थिक बोझ पड़ेगा।
             शिमला शहर में तो सरकार के बिजली, पेयजल की दरों मे वृद्धि के साथ ही साथ कूड़ा उठाने की फीस में भी अप्रैल से 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है और अब घरेलू दर बढ़ा कर 117 रुपए प्रति माह कर दी गई है। जोकि वर्ष 2017 में 40 रुपए प्रति माह थी। गत पांच वर्षो में यह 300 प्रतिशत बढ़ा दिया है। 
       सरकार द्वारा लागू की जा रही नीतियों के चलते जनता पर एक ओर टैक्स का बोझ डाला जा रहा है और साथ ही साथ बिजली, पानी व अन्य मूलभूत आवश्कताओ को महंगा कर जीवन यापन कठिन किया जा रहा है। इससे विशेष रूप से गरीब जनता प्रभावित हो रही है। एक ओर सरकार की इन नीतियों को लागू कर रोजगार समाप्त कर रही है और जो रोजगार दिया भी जा रहा है वह भी ठेकेदारों के माध्यम से निजी या आउटसोर्स के रूप में दिया जा रहा है। जिससे कम वेतन देकर अधिक काम लिया जा रहा है। सीपीएम सरकार की इन महंगाई, बेरोजगारी व असमानता पैदा करने वाली नीतियों के विरूद्ध आंदोलन करती रही है तथा आम जनता से भी अपील करती है कि सरकार की इन विरोधी नीतियों को पलटने व वैकल्पिक नीतियों के लिए लामबंद होकर इससंघर्ष में शामिल हो।

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