Chemical Engineering Department Case

कैमिकल इंजीनियरिंग विभाग प्रकरण: चंद टीचरों का आरोपी स्टूडेंट्स के ऊपर हाथ

Chemical Engineering Department Case

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Chemical Engineering Department Case- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)। पंजाब यूनिवर्सिटी के कैमिकल इंजीनियरिंग विभाग में इनेक्ट्स बोर्ड की तोडफ़ोड़ के मामले में विभाग के ही कुछ टीचर आरोपी स्टूडेंट्स को शैल्टर दे रहे हैं। इन आरोपी स्टूडेंट्स के ऊपर चंद टीचरों का हाथ है। इन स्टूडेंट्स के खिलाफ घटना के बाद कार्रवाई तो दूर, उल्टा विभाग के कमरों में बिठाकर इन्हें चाय पकौड़ी खिलाई जा रही है। इनेक्ट्स के टीम मेंबर लगातार इन आरोपी स्टूडेंट्स की उन कमरों में जाते हुए बाकायदा वीडियो भी बना रहे हैं जहां इनके ऊपर हाथ रखा जा रहा है। इनका कहना है कि जल्द ही ऐसे गुंडागर्दी करने वाले स्टूडेंट्स और इन्हें प्रश्रय दे रहे टीचरों का भंडाफोड़ करेंगे। ये वीडियो सोशल मीडिया पर जारी करेंगे।

इन आरोपी स्टूडेंट्स को इतना आश्वासन तक दिया जा रहा है कि तुम्हारा कोई बाल बांका भी नहीं बिगाड़ सकता। विभाग की चेयरपर्सन भी अपने स्तर पर कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं। हैरानी वाली बात तो यह है कि ये आरोपी स्टूडेंट्स बेधडक़ विभाग में घूम रहे हैं जैसे उनके ऊपर कोई बड़ा हाथ हो। कैमिकल इंजीनियरिंग विभाग की चेयरपर्सन अमृत को इस मामले में प्रतिक्रिया लेने के लिए कई फोन किये गए लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया और न ही मैसेज का कोई जवाब दिया।

उधर मामले में पंजाब यूनिवर्सिटी अथॉरटी जिसमें वाइस चांसलर रेनु विग, डीयूआई रूमिना सेठी, दोनों डीएसडब्लयू ,सिक्योरटी चीफ और रजिस्ट्रार इत्यादि को इनेक्ट्स बोर्ड तोड़े जाने को लेकर कई शिकायतें भेजी जा चुकी हैं लेकिन कोई कार्रवाई इन अधिकारियों की तरफ से नहीं हो रही। इनके भी जैसे हाथ बंधे हैं। इस मामले की कई बार शिकायत इन अधिकारियों को दी जा चुकी है लेकिन मामला टस से मस नहीं हो रहा। डीयूआई रूमिना सेठी ने जरूर इस मामले में कमेटी बनाये जाने की बात कही लेकिन जब उनसे इसको लेकर प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उन्होंने भी फोन नहीं उठाया और न ही मैसेज का कोई जवाब दिया।

इनेक्ट्स के टीम मेंबर व विभाग के अन्य स्टूडेंट्स इस प्रकरण और विभाग की चेयरपर्सन और अन्य अधिकारियों के रवैये से बहुत परेशान हैं। उनका कहना है कि इनेक्ट्स जैसी संस्था जो अपनी स्टूडेंट्स टीम के बूते बेहतरीन काम कर रही है, उसे नीचे गिराने की साजिश रची जा रही है। कुछ टीचर भी इस संस्था के उठते रुतबे से परेशान हैं। यही वजह है कि तीन स्टूडेंट्स को मोहरा बनाकर इनेक्ट्स बोर्ड में तोडफ़ोड़ का काम कराया गया। इस तोडफ़ोड़ से पहले यह भी देखा गया कि यहां लगे सीसीटीवी कैमरों का मुंह उल्टी दिशा में है लिहाजा तोडफ़ोड़ करने पर कोई इमेज कैच नहीं होगी।

इनेक्ट्स से जुड़े स्टूडेंट्स का कहना है कि आरोपी तीन स्टूडेंट्स और उन्हें शैल्टर दे रहे टीचर यह भूल गए कि एक कैमरा ऊपर भी लगा था जिसका शायद उन्हें शायद नहीं पता था और इसमें उनकी रॉड से तोडफ़ोड़ की सारी प्रक्रिया कैद हो गई। सीसीटीवी में कैद  होने के बावजूद ये स्टूडेंट्स से माफी मंगाना तो दूर, बल्कि इन्हें वीआईपी जैसा ट्रीटमेंट विभाग में दिया जा रहा है। ये आरोपी स्टूडेंट्स दूसरे क्लबों की मीटिंगों व जिम्मेदारियों में बढ़चढ़ कर भाग ले रहे हैं। विभाग के एल्यूमनी सैल की इनके पास जिम्मेदारी है। अन्य क्लबों में भी इनको जिम्मेदारी है।

इनेक्ट्स के टीम मेंबरों की डिमांड है कि इन आरोपी स्टूडेंट्स से कम से कम लिखित माफी तो मंगवाई जाए। हिसाब से तो इन पर तोडफ़ोड़ के जुर्म में एफआईआर बनती है लेकिन इनके करियर को देखते हुए कम से कम इनके अभिभावकों को बुलाकर इनसे लिखित में एक अंडरटेकिंग ली जानी चाहिए कि आगे से यह ऐसा नहीं करेंगे। उधर टीचरों के व्हाट्सऐप ग्रुप पर इस पूरे तोडफ़ोड़ प्रकरण पर विभाग की काफी थू-थू हो रही है।

टीचर स्टूडेंट्स की गुंडागर्दी पर भी सख्त प्रक्रियाएं दे रहे हैं। उनका कहना है कि अगर ऐसे स्टूडेंट्स को बिना किसी कार्रवाई के छोड़ेंगे तो यही आगे गुंडागर्दी का बड़ा नाच करेंगे। इन पर नकेल डालना जरूरी है। कईयों ने तो इसे इनेक्ट्स के बेहतरीन कामकाज से जोड़ा। कहा कि चूंकि यह संस्था बढिय़ा काम कर रही है और एक मुकाम इसने बना लिया है, शायद यही इससे जुड़े टीचर व स्टूडेंट्स से ईष्र्या का कारण बना है।  मामले में उड़ती उड़ती खबर ये लग रही है कि डॉ. आशुतोष की रहनुमाई में कमेटी बनाई गई है। ये कमेटी इस प्रकरण को देखेगी और जरूरत हुई तो आगे एफआईआर की सिफारिश करेगी।

बड़ी बड़ी वारदातें, सिक्योरटी कर्मचारी गुमशुदा

पंजाब यूनिवर्सिटी के सिक्योरटी इंचार्ज विक्रम सिंह के फोन का तो ये सूरते हाल है कि उनका फोन ही नहीं मिलता। 24 घंटे में शायद ही कोई वक्त है जब उनका फोन ऑन रहता हो। खासतौर से शाम के वक्त तो उनका फोन आउट ऑफ रेंज रहता है या जानबूझ कर ऐसा किया जाता है, इसका जवाब  सिक्योरटी इंचार्ज ही दे सकते हैं। यूनिवर्सिटी में बीते कुछ समय से बड़ी बड़ी वारदातें हो रही हैं लेकिन यहां सिक्योरटी शायद सोई पड़ी है। कई टीचरों ने तो वीसी सहित अन्य अधिकारियों को चेताया है कि कहीं ऐसा न हो कि पूर्व वीसी अरुण ग्रोवर के कार्यकाल की तरह अगला निशाना वीसी ऑफिस को ही यह गुंडागर्दी करने वाले स्टूडेंट्स बनायें।