ब्रह्मलीन हुए जैन मुनि अभय कुमार जी महाराज; चंडीगढ़ में शरीर त्यागा, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, नम हुईं आंखें
Jain Muni Abhay Kumar Passed Away In Chandigarh
Jain Muni Abhay Kumar: परम श्रद्धेय जैन मुनि अभय कुमार जी महाराज (70 साल) ब्रह्मलीन हो गए हैं। चंडीगढ़ में उन्होंने बीते कल शरीर का त्याग कर दिया और धरती से देवलोक की यात्रा पर निकल गए। मुनि अभय कुमार जी का धरती से जाना धर्म के लिए अपूरणीय क्षति है। वह मुनि श्री विनयकुमार जी आलोक के छोटे भाई थे और उन्होंने अपने जीवन में त्याग, साधना, संयम और आत्मकल्याण के उच्च आदर्शों को स्थापित करके समाज का मार्गदर्शन किया और लोगों को सतमार्ग की राह दिखाई। वह मानवता की प्रेरणा बने।
अंतिम दर्शन के लिए जुटे श्रद्धालु
जैन मुनि अभय कुमार जी महाराज के शरीर त्यागने की जानकारी जैसे ही श्रद्धालुओं को हुई तो शोक की भारी लहर दौड़ गई। खासकर जैन समाज के श्रद्धालु बेहद ज्यादा गमगीन दिखे। सबकी आंखें नम हो गईं। सैक्टर-24 अणुव्रत भवन के विशाल मैदान मे मुनि श्री के अंतिम दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का कल से तांता लगा रहा। लोगों ने उनके दर्शन के साथ उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं जब आज मुनि श्री को पंचतत्व में विलीन करने से पहले उनकी सेक्टर 25 शमशानघाट तक पालकी यात्रा निकाली गई तो चंडीगढ़ की सड़कों पर भावुक श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता हुआ देखा गया।
अभय मुनि ने जीवन को पूर्ण तप और त्याग से जिया
अभय कुमार जी महाराज की देवलोक यात्रा पर मुनिश्री विनयकुमार जी आलोक ने भावुक होते हुए कहा अभय मुनि मेरे साथ करीब करीब 70 सालो से साथ थे। जब तक मेरी सांस मे सांस है तब तक वह हर समय मुझे याद रहेगें। अभय मुनि के बारे में कुछ भी कहना बेहद मुश्किल है। वह तप, त्याग की मूर्त रूप थे और उन्होने जीवन को पूर्ण समर्पित,तप और त्याग से जिया। परम पूज्य अभय मुनि ने अपने पवित्र जीवन में त्याग, साधना, संयम और आत्मकल्याण के उच्च आदर्शों को जीकर समाज का मार्गदर्शन किया। आपश्री ने संयम जीवन उनकी साधना-सुगंध सदैव मानवता को प्रेरणा देती रहेगी।