Budget session of haryana assembly

हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र: सत्र में पहली बार विधानसभा पहुंचे संदीप सिंह, विपक्ष को मिला मुद्दा; कांग्रेस ने हंगामा कर किया वाकआउट

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Budget session of haryana assembly- महिला कोच द्वारा यौन उत्पीडऩ के आरोप लगाए जाने पुलिस जांच का सामना कर रहे हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह शुक्रवार को पहली बार विधानसभा में पहुंचे। संदीप सिंह के सदन में पहुंचने पर विपक्ष को फिर से मुद्दा मिल गया और कांग्रेस ने संदीप सिंह से इस बारे में सदन के भीतर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। 

काफी देर चले हंगामे के बीच संदीप सिंह ने तो कोई बयान नहीं दिया अलबत्ता कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सदन से वाकआउट कर दिया। हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र 20 फरवरी से 23 फरवरी तक चला था। पहले चरण की कार्यवाही के दौरान संदीप सिंह सदन में नहीं आए। शुक्रवार को दूसरे चरण की कार्यवाही शुरू होने पर संदीप सिंह सदन में पहुंचे और यहां राज्य मंत्री कमलेश ढांडा के साथ वाली सीट पर बैठे। सदन में शून्य काल की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायक दल के उपनेता आफताब अहमद ने संदीप सिंह प्रकरण पर सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग करते हुए कहा कि क्या सरकार ने संदीप सिंह को क्लीन चिट दे दी है।

स्पीकर ने संदीप सिंह का बचाव करते हुए कहा कि वह सदन के सम्मानित सदस्य हैं और उनके सदन में आने पर मनाही नहीं है। उन पर लगे आरोपों की जांच चल रही है। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा, कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल, पूर्व स्पीकर रघुबीर कादयान सीटें छोडक़र खड़े हो गए और मांग की कि संदीप सिंह सदन में यह बोलें कि उन पर लगे आरोप झूठे हैं। कांग्रेस विधायकों ने कहा कि अपने उपर लगे आरोपों पर मंत्री खुद स्थिति साफ करें। इस मुद्दे पर जब सरकार घिरी तो स्पीकर ने कहा कि पूर्व की सरकारों के कार्यकाल में भी इस तरह के आरोप लगते रहे हैं। आरोप लगने से कोई भी दोषी नहीं बन जाता।

नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बहस तो नया मोड़ देते हुए कहा कि संदीप सिंह सदन को बताएं कि उनके पास से विभाग वापस लिया गया है अथवा उन्होंने खेल विभाग खुद छोड़ा है। हुड्डा ने कहा कि पिछली सरकारों में जिन पर आरोप लगे हैं उन्होंने सदन में अपनी स्थिति भी स्पष्ट की है। सरकार अगर मंत्री को बचाना चाहती है तो बचाए लेकिन मंत्री खुद जवाब देकर विपक्ष को शांत करें आज प्रदेश की जनता इस बारे में जानना चाहती है। संदीप सिंह से जवाब तलब करते हुए कांग्रेसियों ने सदन में काफी हंगामा किया लेकिन संदीप सिंह अपनी सीट पर ही मौजूद रहे। जिसके बाद कांग्रेस ने इस मुद्दे पर शून्यकाल में सदन से वाकआउट कर दिया। कांग्रेसियों के सदन से बाहर जाते ही सदन के नेता एवं मुख्यमंत्री ने स्पीकर को सिफारिश की कि इस प्रकरण पर सदन में जो भी चर्चा हुई है उसे रिकार्ड से बाहर किया जाए। जिसके बाद स्पीकर ने निर्देश जारी किए प्रदेश के एक मंत्री के संबंध में हुई सारी बातचीत को सदन की आज की कार्यवाही से बाहर किया जाए।

विधानसभा में नहीं पढ़े जाएंगे सवालों के जवाब

हरियाणा विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान मंत्रियों द्वारा विधायकों के सवालों के जवाब नहीं पढ़े जाएंगे। विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता आगामी सत्र में प्रश्नकाल की अवधि बढ़ाने को लेकर पहले ही संकेत दे चुके हैं। शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर प्रश्नकाल के दौरान स्पीकर ने नए संकेत दिए। सदन में विधायकों द्वारा अपने-अपने हलकों के सवाल उठाए जाते हैं। तारांकित व अतारांकित सवालों के जवाब संबंधित मंत्रियों द्वारा लिखित में दिए जाते हैं।  तारांकित सवालों के जवाब लिखित में दिए जाने के बावजूद सदन में इन्हें पढऩे का भी चलन है। जिसमें समय बर्बाद होता है। पड़ोसी राज्य पंजाब में ऐसी परंपरा नहीं है। वहां सीधे ही मंत्री से पूरक सवाल किए जाते हैं। इसी तरह से स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि अगर समूचे सदन की सहमित हो तो समय की बचत और प्रश्नकाल के दौरान अधिक सवालों को कवर करने के उद्देश्य से जवाब को पढऩे की बजाए सीधे पूरक सवालों को ही सदन में उठाया जाए। इस पर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने सुझाव दिया कि स्क्रीन पर सवालों के जो जवाब आते हैं उन्हें लिखित में भी दिया जाए।

विधानसभा में नहीं पढ़े जाएंगे सवालों के जवाब

हरियाणा विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान मंत्रियों द्वारा विधायकों के सवालों के जवाब नहीं पढ़े जाएंगे। विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता आगामी सत्र में प्रश्नकाल की अवधि बढ़ाने को लेकर पहले ही संकेत दे चुके हैं। शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर प्रश्नकाल के दौरान स्पीकर ने नए संकेत दिए। सदन में विधायकों द्वारा अपने-अपने हलकों के सवाल उठाए जाते हैं। तारांकित व अतारांकित सवालों के जवाब संबंधित मंत्रियों द्वारा लिखित में दिए जाते हैं।  तारांकित सवालों के जवाब लिखित में दिए जाने के बावजूद सदन में इन्हें पढऩे का भी चलन है। जिसमें समय बर्बाद होता है। पड़ोसी राज्य पंजाब में ऐसी परंपरा नहीं है। वहां सीधे ही मंत्री से पूरक सवाल किए जाते हैं। इसी तरह से स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि अगर समूचे सदन की सहमित हो तो समय की बचत और प्रश्नकाल के दौरान अधिक सवालों को कवर करने के उद्देश्य से जवाब को पढऩे की बजाए सीधे पूरक सवालों को ही सदन में उठाया जाए। इस पर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने सुझाव दिया कि स्क्रीन पर सवालों के जो जवाब आते हैं उन्हें लिखित में भी दिया जाए।

स्पीकर ने निकलवाई हुड्डा कार्यकाल की कार्यवाही

विधानसभा में कांग्रेसियों ने आज शून्यकाल के दौरान संदीप सिंह के माध्यम से सरकार को घेरने में लगे हुए थे। इस बीच स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने पूर्व सरकारों के कार्यकाल में लगे आरोपों का हवाला दिया। इस पर भी जब कांग्रेसी शांत नहीं हुए तो उन्होंने हुड्डा सरकार में हुए इस तरह के घटनाक्रम को लेकर सदन की कार्यवाही को निकलवाया। स्पीकर पूर्व सरकार के समय की कार्यवाही को सदन में पढऩा चाहते थे लेकिन कांग्रेसी इससे पहले ही शांत हो गए।

बीसी आयोग की रिपोर्ट तय करेगी कुरैशी जाति का भविष्य

हरियाणा में कुरैशी जाति के लोगों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने पर कोई भी फैसला पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा। आयोग इस मामले की सुनवाई कर रहा है। हरियाणा विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस विधायक मामन खान इंजीनियर ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुरैशी अथवा कसाई समाज के करीब सवा लाख लोग रहते हैं। इनका मुख्य धंधा मृत पशुओं की खरीद-बेच का है। मामन खान ने कहा कि इस जाित के लोगों का शैक्षणिक स्तर पर भी बहुत नीचे है। उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार राज्यों की सरकारों द्वारा इन्हें बी.सी. बी तथा केंद्र सरकार ने इन्हें ओबीसी में शामिल कर रखा है। हरियाणा में इनकी स्थिति बेहद दयनीय होने के बावजूद इन्हें सामान्य श्रेणी में ही रखा गया है। इस मुद्दे पर पहले भी चर्चा होती रही है, लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हवाले से समाज कल्याण मंत्री ओपी यादव ने बताया कि नागरिक अनुरोध पर हरियाणा सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया है। आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही सरकार इस बारे में फैसला लेगी। वर्तमान में कसाई जाति के लोगों को बीसी या ओबीसी में कवर नहीं किया जाएगा।