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पंजाब सरकार के बड़े फैसले : पंजाब में फिर 184 वीआईपीज की सिक्योरिटी वापिस, किसानों के गिरफ्तारी वारंट भी होंगे रद्द

CM Maan

चंडीगढ़। Big decisions of Punjab government: पंजाब सरकार ने शुक्रवार को फिर एक बड़ा फैसला लेते हुए अब 184 वीआईपीज की सिक्योरिटी वापस ले ली है। इससे पहले सरकार ने 122 वीआईजीज की सिक्योरिटी वापस ली थी। सिक्योरिटी वापस लेने वालों में अकाली नेता व पूर्व मंत्री बीबी जगीर कौर, पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह, जनमेज सिंह सेखों, मदनमोहन मित्तल, गुलजार सिंह रणके, सोहन सिंह थंडल, तोता सिंह, पूर्व सांसद राजीव शुक्ला, संतोष चौधरी, वीरेंद्र सिंह बाजवा समेत अनेक विधायक एवं नेता तथा कुछ सामाजिक संस्थाओं के प्रमुख शामिल हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने दो हजार किसानों के गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाते हुए वापस लेने का फैसला किया है। 
 

ज्ञात रहे किसानों की गिरफ्तारी के चलते सरकार बैकफुट पर आ गई थी। किसान यूनियनें गुस्से में आ गई थीं। उन्होंने पंजाब को सिंघु बॉर्डर बनाने की चेतावनी दे डाली थी। इसके बाद वित्तमंत्री हरपाल चीमा ने सफाई दी कि यह वारंट पिछली कांग्रेस सरकार ने जारी किए थे, जिन पर हमने पूर्णतय रोक लगा दी है। अब पंजाब में किसी किसान की गिरफ्तारी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जितने भी वारंट जारी हुए थे, सब वापस ले लिए हैं।
 

 वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था। उन्होंने दिसंबर 2021 में कहा था कि 2 एकड़ से कम या ज्यादा जमीन वाले किसानों का कर्ज माफ होगा। हालांकि कर्ज माफ करने की जगह जाते-जाते उन्होंने किसानों के गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए। 2017 में भी कांग्रेस ने मुकम्मल कर्ज माफी की बात कही थी।

अफसरों ने री-इश्यू किए वारंट
वित्त मंत्री ने कहा कि अब पंजाब खेती विकास बैंक के कुछ अफसरों ने यही वारंट री-इश्यू कर दिए। पंजाब सरकार किसी किसान की गिरफ्तारी नहीं करेगी। हम पॉलिसी बना रहे हैं कि किसानों को कर्जे से कैसे बाहर निकाला जाए?। खेती को फायदेमंद बनाने और किसानों की उन्नति के लिए सरकार पूरे प्रयास कर रही है। किसान को हम कर्जे से बाहर निकालेंगे।

किसानों के कर्ज के लिए विरोधी जिम्मेदार
चीमा ने कहा कि पिछली कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा की सरकारों ने पंजाब के किसानों को कर्जे में डुबो दिया। किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो गए। इन्होंने कोई पॉलिसी नहीं बनाई। उलटा गलत पॉलिसी बना किसानों को मजबूर किया जाए।