आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang) 27 नवंबर 2025 : आज मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी तिथि, जानें शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय
Aaj ka Panchang 27 November 2025
Aaj ka Panchang 27 November 2025: आज यानी 27 नवंबर को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस तिथि पर गुरुवार पड़ रहा है। यह दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गुरुवार के दिन श्रीहरि की पूजा-अर्चना करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 27 November 2025) के बारे में।
तिथि: शक्ल सप्तमी
मास पूर्णिमांत: मार्गशीर्ष
दिन: गुरुवार
संवत्: 2082
तिथि: शुक्ल सप्तमी – 28 नवंबर को रात्रि 12 बजकर 29 मिनट तक
योग: ध्रुव – दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक
करण: गरज – प्रातः 12 बजकर 20 मिनट तक
करण: वणिज – 28 नवंबर को रात्रि 12 बजकर 29 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 53 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 24 मिनट पर
चंद्रोदय: 28 नवंबर को रात 12 बजकर 15 मिनट पर
चंद्रास्त: रात्रि 11 बजकर 32 मिनट पर
सूर्य राशि: वृश्चिक
चन्द्रमा की राशि: मकर
आज के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक
अमृत काल: सायं 03 बजकर 42 मिनट से सायं 05 बजकर 22 मिनट तक
आज के अशुभ समय
राहुकाल: दोपहर 01 बजकर 28 मिनट से दोपहर 02 बजकर 46 मिनट तक
गुलिकाल: प्रातः 09 बजकर 31 मिनट से प्रातः 10 बजकर 50 मिनट तक
यमगण्ड: प्रातः 06 बजकर 53 मिनट से प्रातः 08 बजकर 12 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव धनिष्ठा नक्षत्र में रहेंगे।
धनिष्ठा नक्षत्र: 28 नवंबर को रात्रि 02 बजकर 32 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: आत्मविश्वासी, शक्तिशाली, धैर्यवान, परिश्रमी, प्रसिद्धि, सौंदर्य, धन, कलात्मक प्रतिभा, स्वतंत्र स्वभाव, स्वार्थी, लालची, क्रोधी, विश्वसनीय और दानशील
नक्षत्र स्वामी: मंगल देव
राशि स्वामी: शनि देव
देवता: आठ वसु (भौतिक समृद्धि के देवता)
प्रतीक: ढोल या बांसुरी
विष्णु मंत्र
1. ॐ नमोः नारायणाय॥
2. विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥