जमीयत उलेमा-ए-हिंद को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका, याचिका खारिज, की गई थी ये मांगे

Allahabad High Court dismisses Criminal PIL

Allahabad High Court dismisses Criminal PIL

Allahabad High Court dismisses Criminal PIL: जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से मॉब लिंचिंग को लेकर दाखिल जनहित याचिका को उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया. मंगलवार (15 जुलाई) को सुनवाई के बाद जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस अवनीश सक्सेना की डबल बेंच ने जनहित याचिका खारिज कर दी.

उत्तर प्रदेश सरकार ने PIL की पोषणीयता पर आपत्ति की थी. हाईकोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने ऐसे मामलों में सरकार की कार्रवाई की जानकारी दी. सरकार के जवाब से संतुष्ट कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस अवनीश सक्सेना की डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई की.

याचिका में मॉब लिंचिंग की घटनाओं का जिक्र

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से PIL में तहसीन एस. पूनावाला बनाम भारत संघ (2018) मामले में मॉब लिंचिंग रोकने और ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों का अनुपालन करने का अनुरोध किया गया था. वकील सैयद अली मुर्तजा, सीमाब कय्यूम और रजा अब्बास के जरिए से जनहित याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें कुछ घटनाओं का भी जिक्र किया गया था, जिसमें अलीगढ़ में मई 2025 में हुई घटना भी शामिल थी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य की तरफ से मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए हाईकोर्ट में क्रिमिनल जनहित याचिका दाखिल की गई थी.

याचिका में की गई मांग

जनहित याचिका में हाई कोर्ट से मांग की गई थी कि वो राज्य सरकार को मॉब लिंचिंग के मामलों से निपटने के लिए प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति से संबंधित अधिसूचना और परिपत्र जारी किए जाने और ऐसे मामलों में स्टेटस रिपोर्ट बताए. इसके साथ ही मांग की गई थी कि DGP को निर्देश दिया जाए कि वो पिछले 5 सालों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं की आपराधिक जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें.

इसके साथ ही ये भी मांग की गई थी कि भीड़-हिंसा के मामलों के लिए विशेष या फास्ट-ट्रैक अदालतों के गठन और मुकदमों की वर्तमान स्थिति बताई जाए. नोडल अधिकारियों और पुलिस खुफिया प्रमुखों के साथ पिछले 5 सालों में आयोजित तिमाही समीक्षा बैठकों के परिपत्र और कार्यवृत्त प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाए. याचिका में मांग की गई थी कि राज्य को निर्देश दिया जाए कि वो CRPC की धारा 357A के तहत मुआवजा योजना और पीड़ितों को दिए गए मुआवजे का विवरण करे. साथ ही अलीगढ़ घटना के पीड़ितों को मुआवजे के रूप में 15 लाख रुपए प्रदान करने का निर्देश दिया जाए.