श्राद्ध में पितरों की तरह पूजे जाते हैं यह तीन वृक्ष और पक्षी
- By Habib --
 - Saturday, 17 Sep, 2022
 
                        Worshiped like ancestors in Shradh
Worshiped like ancestors in Shradh: हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए लोग हर साल पंड़ितों को घर बुलाकर श्राद्ध करते हैं। विष्णु पुराण के अनुसार श्रद्धा और भक्ति से किए गए श्राद्ध से व्यक्ति के पितर तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं हिंदू धर्म में तीन ऐसे वृक्ष और पक्षी हैं जिन्हें पितरों के समान माना जाता है।
पीपल का वृक्ष: हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष को बेहद पवित्र माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के वृक्ष में विष्णु का निवास होने के साथ उसे पितृदेव के रुप में भी पूजा जाता है। पितृ पक्ष में इस वृक्ष की उपासना करना बेहद शुभ माना जाता है। 
 
बरगद का वृक्ष: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बरगद के वृक्ष में भगवान शिव का वास माना जाता है। यदि आपको कभी यह महसूस हो कि आपके किसी पितर को मुक्ति नहीं मिली है तो बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
 
बेल का वृक्ष: पितृ पक्ष के दौरान भगवान शिव को प्रिय बेल के वृक्ष का पत्ता चढ़ाने से अतृप्त आत्मा को शान्ति मिलती है। कहा जाता है कि अमावस्या के दिन शिव जी को बेल पत्र और गंगाजल चढ़ाने से भी पितरों को मुक्ति मिलती है।
 
कौआ: श्राद्ध में घर के आसपास कौए का दिखना बेहद शुभ माना जाता है। माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति श्राद्ध के दौरान किसी कौए को खाना खिलाता है तो वह पितरों को भोजन कराने के बराबर माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार कोई भी आत्मा कौए के शरीर में स्थित होकर विचरण कर सकती है।
 
हंस: पक्षियों में हंस एक ऐसा पक्षी है जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके भीतर देव आत्माएं आश्रय लेती हैं। हो सकता है कि आपके पितरों ने भी पुण्य कर्म किए हों। 
 
गरुड़: गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन माने गए हैं। गरुड़ पुराण में श्राद्ध कर्म, स्वर्ग नरक, पितृलोक आदि का उल्लेख मिलता है। पक्षियों में गरुढ़ को बहुत ही पवित्र माना गया है। 
 
श्राद्ध में ब्राह्मण भोज के यह हैं 8 जरूरी नियम
हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध आने पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए लोग श्राद्ध करते हैं। श्राद्ध में तर्पण, पिंड दान और ब्राह्मण भोजन का विशेष महत्व बताया जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध आने पर ब्राह्मण के मुख द्वारा ही देवता और पितर भोजन ग्रहण करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण को भोजन करवाने के भी कई विशेष नियम होते हैं। श्राद्ध का भोजन ग्रहण करने से पहले हर ब्राह्मण को इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। आइए जानते हैं आखिर क्या हैं ये नियम। 
 
श्राद्ध पर भोजन ग्रहण करने वाले ब्राह्मण को हमेशा मौन रहकर भोजन करना चाहिए। जरुरत पडऩे पर सिर्फ हाथों से संकेत देने चाहिए। 
श्राद्ध भोज करते समय किसी भी ब्राह्मण को वहां परोसे गए भोजन की निंदा या प्रशंसा नहीं करनी चाहिए।
 
श्राद्ध में भोजन ग्रहण करने के लिए बुलाए गए ब्राह्मण को सिर्फ चांदी, कांसे या पलाश के पत्तों पर ही खाना परोसना चाहिए। ध्यान रखें कभी भी श्राद्ध में किसी ब्राह्मण को लोहे या मिट्टी के बर्तनों में खाना नहीं परोसना चाहिए। हिंदू धर्म में ऐसा करना निषेध बताया गया है।
 
श्राद्ध का भोजन ग्रहण करने आए ब्राह्मण से कभी भी भोजन कैसा बना है, यह सवाल नहीं पूछना चाहिए। 
 
श्राद्ध का भोजन ग्रहण करने के लिए बुलाए गए ब्राह्मण को कभी भी श्राद्ध के दिन दान नहीं देना चाहिए। इसके अलावा ब्राह्मण को भी ध्यान रखना चाहिए कि वो एक ही दिन में दो से तीन जगह श्राद्ध भोज ग्रहण करने न जाए।