बिहार विधानसभा में प्राईवेट मेडिकल कॉलेजों में फीस कम करने का उठा मामला

बिहार विधानसभा में प्राईवेट मेडिकल कॉलेजों में फीस कम करने का उठा मामला

बिहार विधानसभा में प्राईवेट मेडिकल कॉलेजों में फीस कम करने का उठा मामला

बिहार विधानसभा में प्राईवेट मेडिकल कॉलेजों में फीस कम करने का उठा मामला

यूक्रेन में फंसे बिहारी मेडिकल स्टूडेंट्स ने बिहार सरकार की खोली नींद

मुकेश कुमार सिंह

पटना (बिहार) : भारत में नीट के जरिये चयनित स्टूडेंट्स का दाखिला, भारत के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या कम होने की वजह से नहीं हो पाती है। नीट क्वालीफाई करने वाले हजारों बच्चों का एडमिश्म कटअप की वजह से सरकारी अस्पतालों में नहीं होने की वजह से स्टूडेंट्स प्राईवेट कॉलेजों का रुख करते हैं। लेकिन भारत के प्राईवेट कॉलेजों में मेडिकल की पढ़ाई में लाखों से लेकर करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में बेहद सम्पन्न लोग ही, अपने बच्चों का दाखिला प्राईवेट कॉलेज में करा पाते हैं।बिहार में भी मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को प्राइवेट कॉलेजों में मोटी फीस देनी पड़ती है। इस मामले को लेकर आज बिहार विधानसभा में खूब बहस हुई। दरअसल, जेडीयू विधायक डॉ संजीव कुमार सहित अन्य सदस्यों की तरफ से सदन में ध्यानाकर्षण सूचना लाई गई थी। इस पर सरकार की तरफ से जवाब भी दिया गया। जेडीयू विधायक ने कहा कि प्राईवेट मेडिकल कॉलेजों में होने वाले खर्च का मूल्यांकन कर, फीस का निर्धारण किया जाता है। विधानसभा में जब इस बात पर चर्चा होने लगी तो, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी बात रखी। नीतीश कुमार ने कहा कि यूक्रेन में इतनी तायदाद में भारत के छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने जा रहे हैं, इस बात की जानकारी अब सामने आई है। लेकिन यह भी सच है कि मेडिकल और इस तरह की पढ़ाई को लेकर जो भी स्ट्रक्चर तय होता है, वह केंद्र सरकार की तरफ से तय किया जाता है। नीतीश कुमार ने कहा कि यह बात भी सामने आई है कि यूक्रेन में अपने देश से सस्ती मेडिकल की पढ़ाई होती है। अगर ऐसा है तो, केंद्र सरकार को इसे देखना चाहिए। नीतीश कुमार ने कहा कि पहले जो लेफ्ट विचारधारा के लोग होते थे, वही पढ़ाई के लिए रूस जाते थे लेकिन अब इतनी बड़ी तायदाद में अगर बिहार से छात्र जा रहे हैं, तो इसे देखना होगा। सरकार की तरफ से मिले जवाब पर सभी दलों के विधायकों ने असंतोष जताया। सबने कहा कि सरकार को इस मामले में कोई ठोस पहल करनी चाहिए। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि इस मामले में जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जजों की कमेटी बनाई गई है, उसके सामने राज्य सरकार की तरफ से प्रस्ताव भेजा जाएगा। इस कमेटी को अवगत कराया जाएगा कि प्राईवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस कम की जाए। जेडीयू विधायक डॉ. संजीव कुमार सहित अन्य विधायकों ने इस मसले पर अपनी-अपनी राय रखी। इसके बाद बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है। यूक्रेन में बिहार के कई छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने गए हैं, जो युद्ध की वजह से वहाँ फंसे हुए हैं। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री मंडल पांडे ने सदन में कहा कि इन सभी छात्रों को राज्य सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर स्वदेश लाया जा रहा है। जाहिर तौर पर बिहार सरकार ने मेडिकल फीस को लेकर सवाल खड़ा किया है। इस तरह की आवाज, अन्य प्रांतों से भी उतनी चाहिए। केंद्र सरकार की महती भूमिका से इस बड़ी समस्या का हल तलाशा जा सकता है। यूक्रेन में मेडिकल पढ़ाई की मान्यता विश्व भर में है जबकि करीब सौ देशों में भारत के स्टूडेंट्स मेडुकल की पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन यूक्रेन को छोड़ कर किसी भी देश से मेडिकल की पढ़ाई कर के स्वदेश लौटने ओर कड़े इम्तिहान से गुजरना पड़ता है। केंद्र सरकार के सामने मेडिकल की मोटी फीस को देखते हुए, कोई बड़ा कदम उठाने की जरूरत है। यूक्रेन में हो रहे युद्ध ने भारत सरकार की नींद तोड़ने का मजबूती से प्रयास किया है।