श्रद्धालुओं की बढ़ती आवक ने छोटे व्यवसायियों की बदली किस्मत, अयोध्या बनी समृद्धि की नई पहचान
Ayodhya has become a new Symbol of Prosperity
रामनगरी की अर्थव्यवस्था में आया भारी उछाल, हर हाथ को मिला रोजगार का अवसर
अयोध्या, 24 नवंबर। Ayodhya has become a new Symbol of Prosperity: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद धार्मिक पर्यटन में आई भारी वृद्धि ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। मंदिर प्रांगण और प्रमुख मार्गों पर पूजा सामग्री, प्रसाद और स्मृति चिह्न बेचने वाले दुकानदारों की आय में कई गुना की हुई है। रामपथ, कनक भवन, श्री हनुमानगढ़ी मार्ग और आसपास के क्षेत्र अब सिर्फ धार्मिक रूप से ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी समृद्ध दिखाई दे रहे हैं।
हनुमानगढ़ी मार्ग पर स्थित श्री गायत्री भोग प्रसाद भंडार के संचालक जितेंद्र कुमार गुप्ता बताते हैं कि पहले उनका दैनिक कारोबार 3,000 रुपये तक सीमित रहता था। लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद ये कारोबार प्रतिदिन 10,000 रुपये तक पहुंच गया है। वे कहते हैं कि योगी सरकार के प्रयासों से अयोध्या दिव्य, भव्य और नव्य हो गई है। उनका मानना है कि धर्म ध्वजारोहण और मंदिर के कार्यक्रमों के बाद पर्यटकों की आमद और बढ़ेगी जिससे आय में अतिरिक्त वृद्धि की संभावना बनी हुई है।
इसी तरह कनक भवन के पास पूजा सामग्री की दुकान चलाने वाले श्यामजी राय ने बताया कि अयोध्या में तीर्थ यात्रियों का उत्साह अलग ही स्तर पर पहुंच गया है। पहले वे नौकरी करते थे लेकिन अब दुकान संभाल रहे हैं और बताते हैं कि व्यापार में चार गुना की वृद्धि हुई है। वे कहते हैं कि राम मंदिर बनने के बाद यहां रोजगार के अवसर बढ़े हैं, पलायन रुका है और अयोध्यावासी अपने शहर में आत्मनिर्भर हो रहे हैं।
कनक भवन के सामने स्थित गुप्ता जी चंदन वाले दुकान के मालिक प्रशांत गुप्ता भी आर्थिक बदलाव के इस दौर के जीवंत उदाहरण हैं। पहले उनकी दुकान की बिक्री रोजाना 2,000 रुपये तक रहती थी, अब यह आंकड़ा प्रतिदिन 25,000 रुपये तक जा पहुंचा है। वे कहते हैं कि पहले दुकानदारों का खर्च निकलना भी मुश्किल था, लेकिन अब हम लोग भरपूर लाभ में हैं। सफाई, सौंदर्यीकरण और यातायात व्यवस्था में आई सुधार ने भी व्यापार को गति दी है।
जय नारायण मिश्र, जो जय पूजन मूर्ति और सामग्री भंडार के संचालक हैं, बताते हैं कि पहले व्यापार अधिकतर मेले पर आधारित रह्ता था। वर्ष में कुछ ही दिनों में ग्राहक आते थे। आज स्थिति यह है कि वे प्रतिदिन 10,000 रुपये तक कमा रहे हैं, जबकि पहले आय महज 2,000 रुपये थी। वे बताते हैं कि पहले प्रतिदिन करीब 100 लोग मूर्तियां खरीदते थे, मगर अब उनकी दुकान पर प्रतिदिन 1,200 से अधिक ग्राहक आते हैं।
अयोध्या में इस आर्थिक जागरण ने छोटे व्यापारियों का आत्मविश्वास बढ़ाया है। सड़क मार्गों का चौड़ीकरण, अतिक्रमण हटाना, धार्मिक पर्यटन से संबंधित सुविधाओं का व्यवस्थित निर्माण स्थानीय व्यवसाय के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ है। दुकानदारों का मानना है कि मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं रहा बल्कि यह रोजगार सृजन और आर्थिक सुदृढ़ता का भी प्रतीक बन चुका है।
स्थानीय लोगों की उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में अयोध्या विश्वस्तरीय तीर्थ शहर के रूप में स्थापित होगी और यहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था और भी मजबूती प्रदान करेगी।