The growing business of buying and selling newborn babies is worrying.

Editorial:नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त का बढ़ता धंधा चिंताजनक

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The growing business of buying and selling newborn babies is worrying.

The growing business of buying and selling newborn babies is worrying: बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ अपने आप में चौंकाने वाली बात है। पंजाब-हरियाणा समेत 15 राज्यों में मासूमों की खरीद-फरोख्त का यह धंधा चल रहा था। सीबीआई अब इस मामले की जांच कर रही है। बताया गया है कि 4 से 6 लाख रुपये में 50 नवजात बेचे गए। यह कितनी अनोखी बात है कि एक तरफ देश की आबादी बेहताशा बढ़ रही है, लेकिन दूसरी तरफ नवजात बच्चों की खरीद-बिक्री का धंधा भी बड़े पैमाने पर चल रहा है। जिन माता-पिता के घर संतान का जन्म नहीं होता, उन्हें इस प्रकार से नवजात को बेचकर उनसे नकदी वसूली जाती है।

में बच्चों को गोद लेने के नियम इतने आसान नहीं हैं, हालांकि नवजात को चोरी करके उसे अपनी संतान बनाने वाले माता-पिता का यह व्यवहार भी परेशान करने वाला है। गौरतलब है कि हरियाणा-पंजाब समेत दूसरे राज्यों में ऐसी खबरें लगातार सामने आती रहती हैं, जिनमें बताया जाता है कि अस्पताल से बच्चा चोरी हो गया। बहुत बार यह होता है कि माता ने बेटे को जन्म दिया होता है और नवजात को लेकर कोई चला जाता है। निश्चित रूप से यह बेहद संवेदनशील मामला है और इसमें प्रभावी कार्रवाई जरूरी है। अब केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ली है।

सामने आ रहा है कि एक गिरोह इस प्रकरण में संलिप्त है। इस गिरोह के तार हरियाणा, दिल्ली, यूपी, मध्यप्रदेश, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत 15 से अधिक राज्यों से जुड़े हैं। सामने आ रहा है कि यह गिरोह अस्पतालों आदि से बच्चों को चोरी करता है और फिर उसे नि:संतान दंपतियों को बेच देता है। हरियाणा में लड़कियों का लिंगानुपात लडक़ों की तुलना में सुधरा है, लेकिन प्रदेश से यह बेहद चौंकाने वाली रपट सामने आ रही है कि इसका सोनीपत जिला ऐसे गिरोह का मुख्य पाइंट बन गया है, जोकि नवजात बच्चों को चुरा कर उन्हें आगे बेचता है।

यह अपने आप में एक कारोबार बन चुका है और इसमें तमाम लोग शामिल हैं। अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ की संलिप्तता भी इसमें है। यह इस प्रकरण की गंभीरता को बताता है कि राज्य पुलिस बलों की ओर से इस मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश नहीं की गई। हालांकि इतने राज्यों में जब इतने बड़े पैमाने पर इस धंधे को अंजाम दिया जा रहा है तो राज्य सरकारों की ओर से इस पर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन यह चिंताजनक है कि आखिरकार केंद्रीय जांच एजेंसी को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा गया है।

इसके बाद सीबीआई ने दिल्ली समेत हरियाणा के सोनीपत में सात जगहों पर छापे मारे हैं। जांच एजेंसी ने ऐसे सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह भी कितना हृदयविदारक है कि 3 नवजात भी इन आरोपियों के पास बरामद हुए हैं। यानी जिन बच्चों को उस समय अपनी मां की गोद में होना चाहिए था, वे मासूम पराये हाथों में बोतल का दूध पीने को मजबूर कर दिए गए। बताया गया है कि सीबीआई अधिकारियों ने सोनीपत के खरखौदा में दबिश दी थी। यहां से एक आरोपी नीरज के ठिकाने पर छापामारी कर उसके बैंक अकाउंट और नकदी आदि बरामद की गई है। यह भी चौंकाने वाली बात है कि इन राज्यों में बच्चों की किडनैपिंग के मामले भी बढ़े हैं।

ऐसी रपट लगातार आती हैं, जिनमें पता चलता है कि किस प्रकार बच्चों को फिरौती के लिए अगवा किया जाता है। माना जा रहा है कि इस गिरोह के तार उन अपराधियों से भी जुड़े हैं, जोकि बच्चों को अगवा करते हैं। यह समाज के पतन की एक और कहानी है कि आजकल बिन ब्याही माएं भी इस धंधे में संलिप्त हैं। एक समय माना जाता था कि संतान का जन्म एक मां के लिए सर्वोपरि घटना है, लेकिन अब पैसे के लिए सरोगेसी को धंधा बना लिया गया है। इस प्रकरण में बताया गया है कि जरूरतमंद माता-पिता या बिन ब्याही माएं खुद अपनी संतान को बेच देती हैं।

वास्तव में यह पूरा मामला बेहद गंभीर है। एक तरफ वे परिवार होते हैं, जिनके घर संतान नहीं होती और बच्चों की किलकारी सुनने के लिए वे ऐसे माध्यम चुनते हैं। चूंकि कानूनन इतनी कम उम्र के बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया आसान नहीं है, तो वे अनुचित तरीके से बच्चे को हासिल करते हैं। लेकिन उनका यह कदम किसी परिवार के जीवन में दुख पैदा कर देता है, बेशक उनके यहां किलकारी गूंजेगी लेकिन दूसरे के यहां तो मातम ही मनेगा। सरकार को इस दिशा में और कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी, हालांकि यह भी जरूरी है कि गोद लेने की प्रक्रिया को और सहज एवं स्वीकार्य बनाया जाए।

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