सुनीता आहूजा का जया बच्चन के समर्थन में खुला बयान: पैपराजी कल्चर पर प्रतिक्रिया

सुनीता आहूजा का जया बच्चन के समर्थन में खुला बयान: पैपराजी कल्चर पर प्रतिक्रिया

Sunita Ahuja Supports Jaya Bachchan

Sunita Ahuja Supports Jaya Bachchan

Sunita Ahuja Supports Jaya Bachchan: गोविंदा की पत्नी सुनीता आहूजा हमेशा हर मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय रखने के लिए जानी जाती हैं। वह सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती हैं और अपने फॉलोअर्स के साथ जीवन के अलग-अलग पहलुओं को साझा करती रहती हैं। उनके व्लॉग्स को फैंस विशेष रूप से पसंद करते हैं। हाल ही में, सुनीता ने अपने व्लॉग में जया बच्चन के समर्थन में अपनी राय साझा की, जो पैपराजी कल्चर पर अपनी टिप्पणी के कारण ट्रोल हो रही हैं।

सुनीता ने अपने व्लॉग में बताया कि कभी-कभी लगातार मीडिया का ध्यान बहुत भारी पड़ जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि जया बच्चन का रिएक्शन केवल थोड़ी सी चिड़चिड़ाहट की वजह से प्रतीत हुआ।

फैंस के सवालों का जवाब

अपने लेटेस्ट व्लॉग में सुनीता ने फैंस के कई सवालों का भी जवाब दिया। एक फैन ने यह पूछने की कोशिश की कि कैसे सुनीता पैपराजी के साथ हमेशा हंस-मजाक करती हैं और उन्हें मिठाई भी देती हैं, जबकि जया बच्चन अक्सर उनका सामना तीखे अंदाज में करती हैं।

सुनीता का स्पष्ट समर्थन

सुनीता ने कहा, "देखो, सबकी अपनी सोच होती है। जया मैम जरूर चिढ़ रही होंगी। मैं उनके बारे में कुछ नहीं कह सकती। वह बहुत बड़ी हस्ती हैं। अगर उन्हें पैपराजी का यह व्यवहार पसंद नहीं है, तो यह उनका अधिकार है। मुझे सबके साथ मज़ा आता है और मैं अपनी जिंदगी को खुशी-खुशी जीती हूं। जिंदगी एक बार ही मिलती है। हमें इसे मुस्कुराते हुए जीना चाहिए। लड़ाई या झगड़ा करने से कुछ हासिल नहीं होता। आखिर में हम सबको ऊपर जाना है, इसलिए जिंदगी को हंसते-खेलते जियो। अगर जया जी को यह पसंद नहीं है, तो मैं उनके फैसले का सम्मान करती हूं। मैं जया जी से बहुत प्यार करती हूं और हमेशा करती रहूंगी।"

जया बच्चन का पैपराजी पर रुख

इसके पहले एक इवेंट में, जया बच्चन ने पैपराजी कल्चर पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था, "यह अजीब है। मैं खुद मीडिया का ही हिस्सा हूं, लेकिन पैपराजी के साथ मेरा रिश्ता बिल्कुल शून्य है। ये लोग कौन हैं? क्या इन्हें देश के लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है?"

जया ने आगे कहा, "आप इन्हें मीडिया कहते हैं? मैं खुद मीडिया परिवार से हूं। मेरे पिता जर्नलिस्ट थे और मुझे इस क्षेत्र के लोगों के लिए इज्जत है। लेकिन ये लोग जो बाहर गंदे कपड़े पहनकर हाथ में मोबाइल लेकर घूमते हैं, उन्हें लगता है कि सिर्फ इसलिए कि उनके पास मोबाइल है, वे आपकी तस्वीर ले सकते हैं और जो चाहें बोल सकते हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई, बैकग्राउंड क्या है? क्या ये हमारी पहचान का सही प्रतिनिधित्व कर सकते हैं?"