Sukhbir Badal Resignation: सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा मंजूर; चंडीगढ़ में SAD वर्किंग कमेटी की मीटिंग में फैसला
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सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा मंजूर; चंडीगढ़ में SAD वर्किंग कमेटी की मीटिंग में फैसला, 16 नवंबर को अकाली दल का अध्यक्ष पद छोड़ा

Sukhbir Singh Badal Resignation Accepted SAD Working Committee Meeting

Sukhbir Singh Badal Resignation Accepted SAD Working Committee Meeting

Sukhbir Badal Resignation Accept: पंजाब की सियासत से एक बड़ी खबर है। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है। शुक्रवार को चंडीगढ़ में SAD वर्किंग कमेटी की मीटिंग में इस्तीफा मंजूर किए जाने का फैसला हुआ। इस मीटिंग में सुखबीर बादल भी शामिल होने आए थे।

बादल ने 16 नवंबर 2024 को अकाली दल का अध्यक्ष पद छोड़ दिया था और पार्टी की कार्यसमिति को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। जिसके बाद उनके इस्तीफे को मंजूर किए जाने की देरी थी। सुखबीर बादल को 5 साल पहले शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी मिली थी। इस्तीफा मंजूर होने के बाद बादल ने कहा, मुझे 5 साल पहले पार्टी की ज़िम्मेदारी मिली और मैंने 5 साल पार्टी की सेवा की।

सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि, अब मैंने इस्तीफा दे दिया है। मैं SAD वर्किंग कमेटी की मीटिंग में खासतौर से आया था ताकि मेरा इस्तीफा मंजूर किया जाये। मैंने पार्टी का आभार जताता हूं कि पार्टी की तरफ से मुझे इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। अब वर्किंग कमेटी अध्यक्ष पद पर नई भर्ती करे।

वहीं SAD वर्किंग कमेटी ने भी सुखबीर सिंह बादल का आभार जताया है। क्योंकि उन्होंने पार्टी की सेवा की। फिलहाल, अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि, सुखबीर सिंह बादल के बाद आखिर कौन होगा अकाली दल का नया अध्यक्ष?

चुनावों में लगातार हार के चलते पार्टी में अंदरूनी उथल-पुथल

जिस अकाली दल ने पंजाब में लम्बे समय तक सत्ता का सुख भोगा उसी अकाली दल को अब जब लगातार हार चखनी पड़ रही है तो इससे पार्टी पर गहरा असर हुआ है। चुनावों में लगातार हार के चलते अकाली दल में अंदरूनी उथल-पुथल देखी जाती रही है। पार्टी में अंदर ही अंदर बगावती सुर सामने आए। पार्टी के नेतृत्व और नीतियों पर पार्टी के लोगों द्वारा ही सवाल उठाए गए। खासकर प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद सुखबीर सिंह बादल को पार्टी को बांधकर रखना और मुश्किल हो गया।

ऐसे में शिरोमणि अकाली दल (SAD) में लीडरशिप को लेकर भी तकरार पैदा हुई। पिछले दिनों में बार-बार सुखबीर सिंह बादल के इस्तीफे की मांग की गई। वहीं हाल ही लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेताओं के एक गुट ने सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और मांग की थी कि लोकसभा चुनावों में SAD की हार के बाद बाद उन्हें पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में अकाली दल को करारी हार का सामना करना पड़ा। अकाली दल पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से केवल एक पर ही जीत पाया। बादल की पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बठिंडा सीट बरकरार रखी। लेकिन SAD के 10 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, जबकि 2019 में उसका वोट प्रतिशत 27.45 प्रतिशत से घटकर 13.42 प्रतिशत रह गया।

इससे पहले अकाली दल को जहां 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से करारी हार झेलनी पड़ी तो वहीं 2022 के चुनाव में तो पार्टी की शर्मनाक हार हुई। इतनी बड़ी पार्टी सिर्फ तीन सीटें ही हासिल कर पाई। दिग्गज नेता 5 बार के CM प्रकाश सिंह बादल, प्रधान सुखबीर बादल तक अपनी सीट नहीं बचा पाए थे.