Shrinking glaciers dwindling ice, world in danger; River water, power generation and beauty will be affected

शिमला में सिकुड़ते ग्‍लेशियर से संसार खतरे में, चार वर्षों में हिमालय पर्वत की चार घाटियों सतलुज,चिनाब, ब्यास और रावी में बर्फ के अधीन क्षेत्रफल में लगातार आ रही है कमी

Shrinking glaciers dwindling ice, world in danger; River water, power generation and beauty will be affected

Shrinking glaciers dwindling ice, world in danger; River water, power generation and beauty will be

शिमला:हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियर हिमाचल ही नहीं देश और विश्व के लिए संजीवनी का कार्य करते हैं। सिकुड़ते और पिघलते ग्लेशियर विश्व के वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। बीते चार वर्षों में हिमालय पर्वत की चार घाटियों सतलुज,चिनाब, ब्यास और रावी में बर्फ के अधीन क्षेत्रफल में लगातार कमी आ रही है। चार वर्षों में इन चार घाटियों में बर्फ के अधीन क्षेत्र में 3563 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्ज की गई है। आने वाले वर्षों में ये कमी और भी बढ़ती जाएगी।

नदियों का पानी बह रहा लगातार

बर्फ से ढका क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है और नदियों का पानी लगातार बह रहा है। ये पानी पीने के साथ-साथ, पन विद्युत परियोजनाओं और सिंचाई, उद्योगों के लिए हिमाचल सहित पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान व अन्य राज्यों में प्रयोग हो रहा है।हिमाचल प्रदेश का एक तिहाई क्षेत्र बर्फ की मोटी चादर के अधीन ढका रहता है। बीते कई वर्षों से लगातार ये घटता जा रहा है।

बर्फ से हमेशा ढ़की रहने वाली चोटियों के क्षेत्र में 10 से 24 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। जबकि अक्टूबर माह में तो सबसे अधिक 27 से 54 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिली है। अक्टूबर से लेकर जून माह तक के आंकड़ों को खंगालने पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हिम आवरण के लगातार घटने के कारण इन नदियों में आने वाले समय में पानी के कमी होने की चिंताएं सताने लगी हैं।

ये होंगे दूरगामी परिणाम व क्या कारण

-ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं

-पृथ्वी के तापमान में लगातार हो रही वृद्धि-बढ़ती जनसंख्या, वनों का कटान, कंक्रीट के जंगल, बढ़ता वायु प्रदूषण

-कम व समय पर बर्फबारी न होने से बर्फ जल्दी पिघल रही हैबर्फ के अधीन क्षेत्र के घटने से नदियों में पानी की कमी से विद्युत उत्पादन प्रभावित होगा, पेयजल व सिंचाई योजना प्रभावित होंगी

-भू-जल स्तर में भी गिरावट आएगी

-प्राकृतिक आपदाओं का कारण ग्लेशियर बनेंगे   

हिमाचल प्रदेश की बर्फ के अधीन हमेशा रहने वाले क्षेत्र में लगातार गिरावट आ रही है। ये गिरावट हर साल बढ़ रही है। ये गिरावट बीते वर्ष की अपेक्षा ज्यादा दर्ज की गई है। एसएस, रंधावा, प्रधान वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन केंद्र हिमाचल प्रदेश