Sheetala Ashtami 2023 know the timing of puja shubh muhurat and significance of the day

Sheetala Ashtami 2023: कब है शीतला अष्टमी व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Sheetala Ashtami 2023 know the timing of puja shubh muhurat and significance of the day

Sheetala Ashtami 2023 know the timing of puja shubh muhurat and significance of the day

Kab Hai Sheetala Ashtami 2023: हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवता हैं जिनकी बहुत मान्यता है और साथ ही लोग के इन देवी-देवताओं के लिए व्रत पूजा आदि जरूर रखते है तांकि उनकी मनकामनाएं पूरी हो जाएं। इस प्रकार हर देवी-देवता की पूजा का विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक है शीतला देवी। विवाह आदि से पहले शीतला माता की पूजा का विधान है। होलिका पूजन के ठीक 6 दिन बाद शीतला माता की पूजा की जाती है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि के दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। इसलिए इसे बसौड़ा, बसोरा आदि के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते है इस दिन के महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में। 

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शीतला अष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त 
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ
- 15 मार्च को सुबह 12 बजकर 09 मिनट से
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त- 16 मार्च को रात 10 बजकर 04 मिनट पर
शीतला अष्टमी पूजन का उत्तम मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शाम 06 बजकर 35 मिनट तक

दो दिन की जाती है शीतला माता की पूजा
आपको बतादें कि शीतला माता की पूजा 2 दिन की जाती है। कहीं चैत्र माह की सप्तमी तिथि के दिन शीतला माता की पूजा की जाती है, तो कहीं चैत्र माह अष्टमी तिथि के दिन ये पूजा होती है। इन्हें शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इस बार शीतला सप्तमी 14 मार्च और शीतला अष्टमी 15 मार्च को मनाई जाती है। 

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शीतला अष्टमी का महत्व
शीतला माता गधे की सवारी करती हैं, उनके हाथों में कलश, झाड़ू, सूप (सूपड़ा) रहते हैं और वे नीम के पत्तों की माला धारण किए रहती हैं। मान्यता है कि शीतला अष्टमी पर महिला माता का व्रत रखती है और उनका श्रद्धापूर्वक पूजन करती हैं, उनके परिवार और बच्चे निरोगी रहते हैं। देवी शीतला की पूजा से बुखार, खसरा, चेचक, आंखों के रोग आदि समस्याओं का नाश होता है। शीतला अष्टमी के दिन मातारानी को सप्तमी को बने बासे भोजन का भोग लगाकर लोगों को ये संदेश दिया जाता है कि आज के बाद पूरे ग्रीष्म काल में अब ताजे भोजन को ही ग्रहण करना है।