Samrat Ashok Jayanti 2023 birth anniversary celebrated today read his full life Biography

Samrat Ashok Jayanti 2023: आज मनाई जा रही है सम्राट अशोक की जयंती, ख़बर में पड़ें उनका पूरा जीवन परिचय

Samrat Ashok Jayanti 2023 birth anniversary celebrated today read his full life Biography

Samrat Ashok Jayanti 2023 birth anniversary celebrated today read his full life Biography

Samrat Ashok Jayanti 2023: भारत के इतिहास में बहुत से शक्तिशाली एवं चक्रवर्ती राजाओं का वर्णन आता है इन्ही में से एक मौर्य वंश के सम्राट अशोक भी है। इन्हे इतिहास में देवानाम्प्रिय एवं प्रियदर्शी के नाम से भी उल्लेखित करते है। अशोक ने मगध के राज्य को तो अपना बना लिया किन्तु उनके राजतिलक में विभिन्न बाधाओं का आनाजाना लगा रहा जिसका उन्होंने शक्ति से सामना भी किया। अशोक (Samrat Ashok) को चक्रवर्ती राजा इस कारण से कहा जाता है कि वे अपने राज में भोग विलास में ना रहकर निरंतर पराक्रम करते रहते थे। इसी कारण उन्होंने उत्तर भारत से दक्षिण के मैसूर, कर्णाटक, बंगाल से लेकर अफगानिस्तान तक अपनी शौर्य पताका फहरा दी थी। इस प्रकार से उनका साम्राज्य उस समय तक का सर्वाधिक फैला हुआ साम्राज्य था।

चक्रवर्ती सम्राट अशोक जन्म 
चक्रवर्ती सम्राट अशोक का 304 ई.पू वर्तमान बिहार के पाटलिपुत्र में हुआ था। सम्राट बिन्दुसार के पुत्र और मौर्य वंश के तीसरे राजा के रूप में जाने गए थे। चन्द्रगुप्त मौर्य की तरह ही उनका पोता भी काफी शक्तिशाली था। पाटलिपुत्र नामक स्थान पर जन्म लेने के बाद उन्होंने अपने राज्य को पुरे अखंड भारतवर्ष में फेलाया और पुरे भारत पर एकछट राज किया। अशोक को अपने जीवन में बहुत से सौतेले भाइयों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। थोड़ा ही बड़ा होने के बाद अशोक की सैन्य कौशल देखने को मिलने लगी थी। उनके युद्ध कौशल को और अधिक निखार देने के लिए शाही प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गयी थी। इस प्रकार से अशोक को काफी कम आयु में तीरंदाजी के साथ अन्य जरुरी युद्ध कौशलो में काफी अच्छी महारत मिल चुकी थी। इसके साथ ही वे उच्च कोटि के शिकारी भी थे और उनके द्वारा एक छड़ी से शेर में मारने की कला का भी वर्णन मिलता है। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हे मौर्य शासन के अवन्ति में होने वाले दंगों को रोकने भी भेजा गया था। अपने समय के दो हजार वर्षो ने बाद भी अशोक के राज्य के प्रभाव दक्षिण एशिया में देखने को मिलते है। अपने काल में जो अशोक चिन्ह निर्मित किया था उसका स्थान आज भी भारत के राष्ट्रीय चिन्ह में है। बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध के बाद सर्वाधिक स्थान राजा अशोक और उनके धर्म कार्यों को ही दिया जाता है।