reshuffle in punjab cabinet

Editorial : पंजाब मंत्रिमंडल में फेरबदल सही, बचना होगा भ्रष्टाचार के आरोपों से  

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Reshuffle in punjab cabinet पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करके यह संदेश दिया है कि वे आरोपी मंत्रियों के साथ सरकार नहीं चलाएंगे। यह प्रदेश की जनता से किए आम आदमी पार्टी के वादे अनुसार है कि दस माह के कार्यकाल में दूसरे मंत्री को हटा कर उनकी जगह किसी और को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

बेशक, यह मुख्यमंत्री मान CM Man की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर आम आदमी पार्टी जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने की दुहाई दी थी, के मंत्रियों पर आखिर भ्रष्टाचार के आरोप क्यों लग रहे हैं? पूर्व कैबिनेट मंत्री फौजा सिंह सरारी लंबे समय से भ्रष्टाचार Corruption के मामले में विवादित चल रहे थे। उनके पास खाद्य प्रसंस्करण व बागवानी विभाग था। तीन महीने पहले उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसमें वे कथित रूप से अपने पीए के साथ बातचीत कर रहे थे, जिसमें पैसों के लेन-देन की बात हो रही थी। इससे पहले विजय सिंगला को भी भ्रष्टाचार के आरोप में न केवल स्वास्थ्य मंत्री के पद से हटा दिया गया था, अपितु मुख्यमंत्री ने खुद उन्हें पुलिस को पकड़वाया था। सिंगला पर टेंडर में कमीशन लेने के आरोप लगे थे।

मान सरकार के गठन Man government formation के बाद से भ्रष्टाचार समेत अनेक ऐसे मामले हैं, जिन्होंने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। आम आदमी पार्टी ने जनसामान्य से अपने उम्मीदवार छांट कर उन्हें टिकट दी थी। उन लोगों से भ्रष्टाचार जैसे कृत्यों में शामिल होने की उम्मीद नहीं की जा सकती। लेकिन फिर भी सरकार बनते ही पूर्व स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला पर आरोप लगे और उसके बाद अब पूर्व मंत्री फौजा सिंह सरारी पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं। बीती कांग्रेस सरकार में तमाम ऐसे मंत्री हैं, जिन पर आरोपों की लंबी फेहरिस्त है।

उस समय आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उन आरोपी मंत्रियों के खिलाफ धरना-Protest against the accused ministers प्रदर्शन करते थे। जाहिर है, सत्ता का अपना प्रभाव होता है, और इसकी प्राप्ति के बाद जनसामान्य भी खास बन जाता है। बावजूद इसके मुख्यमंत्री भगवंत मान का यह कदम सही लेकिन देरी से उठाया गया है कि वे आरोप लगे मंत्रियों को अपनी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं। यह जरूरी है और इससे उन विधायकों एवं मंत्रियों को संदेश मिल रहा है, जोकि किन्हीं अनुचित कार्यों में शामिल होने की सोचते भी हंैं।
 

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने चेतन सिंह जौड़ामाजरा से भी स्वास्थ्य विभाग ले लिया। अब यह विभाग डॉ बलबीर सिंह को सौंपा गया है, जोकि पेशे से भी एक नेत्र विशेषज्ञ हैं। इस मामले में भी यह प्रश्न पूछा जा रहा है कि आखिर जौड़ामाजरा से स्वास्थ्य विभाग वापस लेने में इतना समय क्यों लग गया। जौड़ामाजरा एक नवोदित राजनीतिक हैं और पहली बार चुनाव जीत कर आए हैं, हालांकि उन्होंने हड्डी रोग विशेषज्ञ एवं तत्कालीन बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ. राज बहादुर के साथ दुव्र्यवहार किया था।

एक संस्थान में खामी के लिए उसके निदेशक से जवाबतलबी हो सकती है लेकिन यह स्वीकार्य नहीं हो सकता कि उन्हें सार्वजनिक रूप से इस तरह से अपनानित किया जाए। डॉ बहादुर को फटे हुए गद्दे पर लिटा दिया गया था। इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। दरअसल, यह ऐसा मामला था, जिसने मान सरकार को शर्मिंदगी झेलने को मजबूर किया। जनमत से ही एक राजनीतिक दल सत्ता में आता है, और जनमत के बूते ही सरकार आगे बढ़ती है। अगर उसकी नीतियों, कार्यक्रमों में जनता की रायशुमारी नहीं होगी, स्वीकार्यता नहीं होगी तो फिर सरकार किस पर शासन करेगी और कैसे आगे के लिए अपना जनमत तैयार करेगी।
 

होना तो यह चाहिए था कि जिस समय मुख्यमंत्री तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री से तुरंत पद छोडऩे को कहते। हालांकि उन्होंने यह कार्य चार माह के अंतराल के बाद किया। खैर, सरकार भी अपने प्रयोगों से सीखती है और मान सरकार ने अपने दस माह के कार्यकाल में जहां अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं, वहीं कई दुश्वारियों से भी निकली है। सरकार ने अनेक जन हितैषी योजनाओं की शुरुआत की है।

राज्य में इस समय स्वास्थ्य, शिक्षा और उद्योगों के संबंध में प्रमुखता से काम किए जाने की जरूरत है। यही वे क्षेत्र होते हंै, जोकि एक सरकार की छवि को गढ़ते हैं। नए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह New Health Minister Dr. Balbir Singh ने कहा है कि उनके सामने अनेक चुनौतियां हैं। पंजाब में नशाखोरी भयंकर समस्या है, युवा और प्रत्येक आयु के लोग नशे की चपेट में हैं। अब डॉ. बलबीर सिंह का कहना है कि वे युवाओं को मेडिकल नशे से दूर किया जाए। ऐसे युवाओं को टीके लगाकर नशे से दूर किया जाएगा। इसके अलावा मेंटल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाएगा।
 

जाहिर है, सरकार को ऐसे अनेक कार्य करने की जरूरत है, जिनसे जनता का कल्याण हो। हालांकि मुख्यमंत्री मान को भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। मंत्रियों का लगातार भ्रष्टाचार में संलिप्त मिलना चिंताजनक बात है और आशंका बलवती होती है कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि जो पकड़े गए उनका सच सामने आ गया और जो नहीं पकड़े जा सकें वे अभी बचे हुए हैं।

यह मामला आम आदमी पार्टी Aam Aadmi Party को सवालों के घेरे में लेता है। बेहतर यह होगा कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों और विधायकों को भी सचेत करें कि ऐसे आरोप न लगने पाएं। इनसे सरकार की छवि खराब हो रही है, मान सरकार को अपनी नीतियों, कार्यक्रमों को पूरा करने के प्रति संकल्पबद्ध होना चाहिए। 

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