Political parties reacted to the increase in Electricity Rates

बिजली दरें बढ़ाए जाने को लेकर राजनीतिक दलों ने जताई तीखी प्रतिक्रिया

Nachhatar

Political parties reacted to the increase in Electricity Rates

चंडीगढ़: 16 मई, 2023 : (अर्थ प्रकाश संवाददाता):: Political parties reacted  to the increase in Electricity Rates


 


पंजाब में घरेलु और औद्योगिक बिजली दरें बढ़ाए जाने को लेकर राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इन दलों का कहना है कि राज्य में मुफ्त बिजली दरों की घोषणा जालंधर उप चुनाव तक ही सीमित था। चुनाव खत्म और मुफ्त बिजली भी खत्म। आज पंजाब के लोग राज्य सरकार के हाथों खुद को लुटा महसूस कर रहे हैं।


बहुजन समाज पार्टी पंजाब इकाई के इंचार्ज नछत्तर पाल सिंह बताते हैं कि राज्य के लोगों पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की यह पहली किस्त है। आने वाले दिनों में ऐसी और भी कई किस्तें लोगों को मिलेंगी। लोगों को इन किस्तों का वजन सहने के लिए तैयार रहना होगा। सरकार के पास बिजली दरें बढ़ाए जाने के अलावा कोई चारा भी नहीं है। पावर निगम का राज्य सरकार पर करोड़ों का बकाया पड़ा है। आम आदमी की तरह बिजली निगम भी इससे ज्यादा दबाव सहन नहीं कर पाएगा। आज हालत यह है कि फंड नहीं होने के कारण सरकार की कई कल्याणकारी योजनाएं बंद हो चुकी हैं। सरकार ने पंजाब के साथ जो वादे किए उन्हें पूरा करने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है।


मुकेरियां से भाजपा के विधायक जंगी लाल महाजन बताते हैं बिजली की दरें बढ़ा कर आम आदमी पार्टी ने पंजाब के लोगों को जालंधर जीत का तोहफा दिया है। यह तो होना ही था। यही आम आदमी पार्टी की रणनीति भी है और पैंतरा भी। दिल्ली में भी आप ने यही सब किया अब बारी पंजाब की है। शुरूआत हो गई है। धीरे धीरे मुफ्त बिजली का तोहफा छीन लिया जाएगा। पंजाब के लोगों को सब्ज बाग दिखाए जा रहे हैं। आज हालत यह है कि सरकार पर पहले ही तीन लाख करोड़ का कर्ज है। अपना राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार के पास सिवाय बिजली दरें बढ़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं है। कुल मिला कर नजला राज्य के लोगों पर गिरना तय है।


पंजाब के जाने माने व्यवसायी सुखबीर शेरगिल बताते हैं पहली बात तो मुफ्त बिजली देना ही किसी भी कीमत पर उचित नहीं है। अगर किसी भी देश को बरबाद करना हो तो उसके नागरिकों को मुफ्तखोरी की आदत डाल दो। वेनेजुएला देश इसी मुफ्तखोरी का जीता जागता उदाहरण है। इसके बावजूद सरकारें सुनने समझने को तैयार नहीं है। जो भी कुछ हो रहा है सब वोटों के लिए हो रहा है। लेकिन इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। भुगतना पंजाब को ही पड़ेगा।