Pak itself started the fire of anarchy in its own house.

Editorial: पाक ने खुद लगाई अपने घर में अराजकता की आग

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Pak itself started the fire of anarchy in its own house.

Pak itself started the fire of anarchy in its own house. पाकिस्तान के मौजूदा हालात को अगर कोढ़ में खाज का नाम दिया जाए तो गलत नहीं होगा। पहले ही आर्थिक बदहाली से गुजर रहे देश में अब गृहयुद्ध के हालात हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद जिस प्रकार से उनके समर्थकों ने देश में उत्पात मचाया हैै, वह जहां देश के मौजूदा हालात सामने लाता है, वहीं वैश्विक स्तर पर भी यह चिंता कायम करता है।

पाकिस्तान परमाणु बम सम्पन्न देश है और उसके यहां इस तरह की अराजकता जहां उसके खुद के लिए घातक है वहीं बाकी दुनिया के लिए भी बड़ा संकट है। देश में कानून और संविधान नाम की कोई चीज नजर नहीं आती, न कार्यपालिका भरोसेमंद है और न ही न्यायपालिका पर यकीन किया जा सकता है।

पाकिस्तान सेना और उसके अफसरों की ऐसी सैरगाह है, जिनके सहारे सरकारें बनती और बिगड़ती रहती हैं। अगर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जिन्हें बेइज्जत करते हुए गिरफ्तार किया गया है, अगर सेना के प्रति सख्त न होते और उसके खिलाफ बयान न देते तो आज प्रधानमंत्री ही होते। लेकिन उन्होंने सेना को आईना दिखाने की कोशिश की और इसका परिणाम प्राप्त कर लिया है। उनके खिलाफ सैकड़ों केस दर्ज हैं और अब जिस प्रकार के हालात देश में उनके प्रति बन रहे हैं, इमरान खान का जेल से बाहर आना मुश्किल होगा।

पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ़्तारी ऐसे समय में हुई है जब उसके हालात शायद इससे पहले कभी भी इतने खराब नहीं रहे होंगे। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डूबने के कगार पर है और समाज राजनीतिक रूप से इस तरह बंट गया है जितना पहले कभी नहीं था। पाकिस्तान में पिछले साल भीषण बाढ़ आई थी जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए थे। ऐसे लाखों लोग अभी भी उस चोट से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए के मूल्य में पिछले एक साल में सौ रुपए से अधिक की गिरावट आई है।

इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के एक साल बाद भी राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। इमरान खान ने अपनी सरकार को गिराए जाने को हमेशा से एक साजिश करार दिया है और कभी भी इस फैसले को नहीं स्वीकार किया था।  वे जल्दी चुनाव की मांग कर रहे हैं, लेकिन सत्ताधारी गठबंधन जल्द चुनाव के लिए किसी हालत में तैयार नहीं है।  ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि सरकार ने इमरान खान को गिरफ्तार करने का फैसला क्यों किया और इसके बाद पाकिस्तान के हालात बेहतर होंगे या और बदतर हो जाएंगे?

 राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इमरान खान की गिरफ्तारी का वारंट एक मई को जारी किया गया था तो फिर सवाल उठता है कि नैब ने उन्हें अब क्यों गिरफ्तार किया? बताया गया है कि इमरान खान इस समय अपनी लोकप्रियता के शिखर पर हैं और सरकार को लगता है कि अगर कुछ दिनों तक जेल में रहेंगे तो उनकी लोकप्रियता में कमी आएगी। इस तरह की स्थिति में आमतौर पर विपक्षी पार्टी को फायदा होता है, लेकिन अगर बड़े पैमाने पर हिंसा होती है तो सबसे ज्यादा नुकसान इमरान खान को होगा। पिछले दो रोज से पाकिस्तान जल रहा है। सेना के अधिकारियों के आवासों में तोड़ फोड़ की गई है, उन्हें आग के हवाले कर दिया गया है। सडक़ और सरकारी इमारतों पर इमरान समर्थकों का कब्जा है, सरकार ने देखते ही गोली मारने के आदेश दे रखे हैं। लाहौर आदि शहरों में मार्शल लॉ लगाया गया है।

सेना के लोगों को इमरान समर्थक पीट रहे हैं। यह सब स्थिति पाकिस्तान में पहली बार देखने को मिली है। एक देश में ऐसे अराजक हालात सही नहीं हैं, हालांकि पाकिस्तान अपने किए की सजा ही भुगत रहा है, उसने जो बोया है, उसी को अब फसल के रूप में काट रहा है। एक इस्लामिक देश बनने की उसकी चाह ने लोकतंत्र का दम घोट दिया। पाकिस्तान मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघनकर्ता देश बन चुका है और उसके अंदर रहना शायद ही किसी को रास आए। ऐसे में उसकी जनता त्राहिमाम कर रही है तो यह खुद उसके लिए भी सजा है।

इस पर बहस करना गैर जरूरी लगता है कि इमरान खान के साथ सही हुआ या गलत। इमरान खान उन प्रधानमंत्रियों की श्रेणी में अगला नाम हैं, जिन्होंने देश को लूट कर खाया है। उसके खजाने के जरिये अपनी तिजोरियाँ भरी हैं। पाकिस्तान की जनता ऐसे हुक्मरानों से तंग आ चुकी है। वह बार-बार भारत से अपने देश की तुलना करती है। हालांकि जरूरत इसकी थी कि देश का संविधान इतना सक्षम होता कि वह सही को सही और गलत को गलत ही देखता। पाकिस्तान ने अपने घर में खुद आग लगाई है। उसकी तपिश अब उसे बेहाल कर रही है। इस देश के लिए सुधरने का यही तरीका हो सकता है कि वह आतंकवाद की राह छोड़े। अगर ऐसा होता है तो भारत समान देश उसकी मदद को तत्पर मिलेंगे। 

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