पितृ पक्ष के अवसर पर श्री मद भागवत कथा का अयोजन

पितृ पक्ष के अवसर पर श्री मद भागवत कथा का अयोजन

पितृ पक्ष के अवसर पर श्री मद भागवत कथा का अयोजन

पितृ पक्ष के अवसर पर श्री मद भागवत कथा का अयोजन

श्री सनातन मंदिर सभा सैक्टर 45 सी चण्डीगढ़ द्वारा पितृ पक्ष के  अवसर पर श्री मद भागवत कथा का अयोजन कथा व्यास आचार्य श्री हरि जी महाराज हिमाचल वाले के द्वारा 18 सितंबर 2022 से 24 सितंबर 2022 तक दोपहर 3 बजे से  साय 7  बजे  तक श्री सनातन धर्म मंदिर सैक्टर 45 सी चण्डीगढ़ के  परिसर में हो रही हैं और 25 सितंबर कथा विराम के अवसर पर सुबह हवन यज्ञ 8 बजे से कथा सुबह 10 से 12 बजे दोपहर और भंडारा 1 बजे दोपहर से प्रभु इच्छा तक होगा कथा में आज मुख्य अतिथि चैयरमैन ज्ञान चंद अरोड़ा मुम्बई से अपने परिवार और मित्र गण के साथ व्यास पीठ की पुजा कर महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया इस अवसर पर श्री सनातन धर्म सभा के प्रधान हर्ष कुमार महासचिव शिव कुमार कोसिक उपप्रधान लक्ष्मी शंकर चतुर्वेदी प्रेस सेक्टरी यश पाल शर्मा कैशियर एम एल गोयल ,टी एस राणा, बलदेव सहाय एवम रमन चुतुर्वेदी प्रधान महीला संकिर्तन मंडल , उषा शर्मा,वीना रानी,समस्त कार्यकारणी सदस्यो ने स्वागत किया श्रीमद् भागवत कथा में आज तीसरे दिन कथाकार आचार्य श्री हरी महाराज जी ने अपनी अमृतमयी वाणी से कथा का वाचन शुरू करते हुए कहा कि भागवत अवरोध मिटाने वाली उत्तम अवसाद है। भागवत का आश्रय करने वाला कोई भी दुखी नहीं होता है। भगवान शिव ने शुकदेव बनकर सारे संसार को भागवत सुनाई है। आचार्य जी ने श्रोताओं को कर्मो का सार बताते हुए कहा कि अच्छे और बुरे कर्मो का फल भुगतना ही पडता है। उन्होंने भीष्म पितामह का उदाहरण देते हुए कहा कि भीष्म पितामह 6 महीने तक वाणों की शैय्या पर लेटे थे। जब भीष्म पितामह वाणों की शैय्या पर लेटे थे तब वे सोच रहे थे कि मैंने कौन सा पाप किया है जो मुझे इतने कष्ट सहन करना पड रहे है। उसी वक्त भगवान कृष्ण भीष्म पितामह के पास आते है। तब भीष्म पितामह कृष्ण से पूछते है कि मैंने ऐसे कौन से पाप किये है कि वाणो की शैय्या पर लेटा हूं पर प्राण नहीं निकल रहे है। तब भगवान कृष्ण ने भीष्म पितामह से कहा कि आप अपने पुराने जन्मों को याद करो और सोचो कि आपने कौन सा पाप किया है। भीष्म पितामह बहुत ज्ञानी थे। उन्होंने कृष्ण से कहा कि मैंने अपने पिछले जन्म में रतीभर भी पाप नहीं किया है। इस पर कृष्ण ने उन्हें बताते हुए कहा कि पिछले जन्म में जब आप राजकुमार थे और घोडे पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। उसी दौरान आपने एक नाग को जमीन से उठाकर फेंक दिया तो कांटों पर लेट गया था पर 6 माह तक उसके प्राण नहीं निकले थे। उसी कर्म का फल है जो आप 6 महीने तक वाणों की शैय्या पर लेटे है। इसका मतलब है कि कर्म का फल सभी को भुगतना होता है। इसलिए कर्म करने से पहले कई बार सोचना चाहिए। भागवत भाव प्रधान और भक्ति प्रधान ग्रंथ है। भगवान पदार्थ से परे है, प्रेम के अधीन है। प्रभु को मात्र प्रेम ही चाहिए। अगर भगवान की कृपा दृष्टि चाहते है तो उसको सच्चाई की राह पर चलना चाहिए। भगवान का दूसरा नाम ही सत्य है। सत्यनिष्ठ प्रेम के पुजारी भक्त भगवान के अति प्रिय होते है। कलयुग में कथा का आश्रय ही सच्चा सुख प्रदान करता है। कथा श्रवण करने से दुख और पाप मिट जाते है। सभी प्रकार के सुख एवं शांति की प्राप्ति होती है। भागवत कलयुग का अमृत है और सभी दुखों की एक ही औषधि भागवत कथा है। आचार्या जी ने उपस्थित सभी श्रोताओं से कहा कि जब मौका मिले तब कथा सुनो और भगवान का भजन करो। अच्छे या बुरे कर्मो का फल हमें जरूर भुगतना पडता है।कथा के साथ आचार्या जी ने कृष्ण जी के भजनों का गुणगान किया  कथा में ट्राइसिटी एवम हरियाणा, हिमाचल और पंजाब के भगतो ने भाग लिया इस अवसर पर मंदिर कमेटी के कार्यकारणी सदस्य गिरधारी लाल,संजय महिंदीरता, सुशील धवन, के के शर्मा, एस पी मल्होत्रा, विनय मेहरा, आर के शर्मा, ए एल नागपाल, पी के पुष्करणा, यश पाल गोयल, अशोक कपिला,परदीप कुमार,मंगत राम, मंजीत शर्मा,सहित मंदिर के सभी सदस्य उपास्थित रहे कथा उपरान्त आरती कर प्रसाद वितरीत किया गया