एआईआरएफ के आह्वान पर रनिंग कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ देषव्यापी प्रदर्षन
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एआईआरएफ के आह्वान पर रनिंग कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ देषव्यापी प्रदर्षन

Nationwide Demonstration

Nationwide Demonstration

नई दिल्ली- 20 मार्च 2023: Nationwide Demonstration: चीफ लोको इंस्पेक्टर सहित लोको रनिंग स्टाफ(loco running staff), फ्रंटलाइन स्टाफ होने के नाते, भारतीय रेलवे की सबसे महत्वपूर्ण और कमजोर श्रेणियां हैं और ट्रैफिक रनिंग स्टाफ(traffic running staff) (ट्रेन प्रबंधक) के साथ-साथ सभी मौसम की परिस्थितियों में दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं। रनिंग कर्मचारी पूरे वर्ष 24ग7 सभी प्रकार के आवश्यक सामान और यात्री यातायात को सुरक्षित(safe traffic) एक जगह से दूसे जगह समय से पहुंचाते है। फिर भी द्वारा, उनके वेतन संरचना और पदोन्नति के मामले में रेल मंत्रालय द्वारा अनुचित व्यवहार किया जा रहा है। एआईआरएफ के महामंत्री श्री षिव गोपाल मिश्र ने कहा रेल मंत्रालय द्वारा रनिंग कर्मचारियों के साथ किये जा रहे अन्याय पूर्ण रवैये के खिलाफ आज पूरे भारतीय रेलवे मे आॅल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेषन(All India Railway Men's Federation) के आह्वान पर सभी रनिंग लाबियो पर रनिंग कर्मचारियों द्वारा प्रंचड विरोध प्रदर्षन आयोजित किया गया।

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एआईआरएफ के महामंत्री श्री षिव गोपाल मिश्र आगे कहा कि विडंबना यह है कि जहां तक उनके वेतनमान और पदोन्नति की संभावनाओं का संबंध है, इन लोको रनिंग स्टाफ के साथ बिल्कुल अनुचित व्यवहार किया गया है। लोको पायलट (शंटिंग) से लोको पायलट (सामान), लोको पायलट (यात्री) और लोको पायलट (मेल/एक्सप्रेस) सभी को 4200 रुपये के पूर्ववर्ती जीपी के बराबर 7वें सीपीसी वेतन मैट्रिक्स के सामान्य वेतन-स्तर में रखा गया है। इसी तरह ट्रैफिक रनिंग स्टाफ यानी ट्रेन मैनेजर को भी ट्रेन मैनेजर (पैसेंजर) से लेकर ट्रेन मैनेजर (मेल/एक्सप्रेस) तक समान वेतनमान आवंटित किए जाते हैं। पिछले कई वर्षों से लगातार मांग के बावजूद लोको और ट्रैफिक रनिंग स्टाफ के वेतनमान में सुधार नहीं किया गया है। उन्हें एमएसीपीएस के तहत इस दलील पर वित्तीय उन्नयन से भी वंचित किया जा रहा है कि वे अपने सेवा करियर के दौरान तीन या अधिक पदोन्नति ही पा रहे है जो उनके साथ घोर अन्याय का कारण बनता है।

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श्री मिश्रा ने बताया  कि फेडरेशन द्वारा निरंतर मांगों और के बावजूद उनकी ड्यूटी के घंटे 08 घंटे तक सीमित नहीं किए जा रहे हैं। रेलवे बोर्ड ने एआईआरएफ की मांग पर पूर्व में 36 घंटे के भीतर मुख्यालय लौटने के संबंध में निर्देश जारी किए थे, लेकिन बाद में वही आदेश वापस ले लिए गए। इसके परिणामस्वरूप लंबे समय तक काम करने के साथ-साथ उनकी अप्रतिबंधित आउट ऑफ स्टेशन ड्यूटी भी हुई है। आए दिन नए-नए आदेश जारी कर उन पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। रेलवे बोर्ड कड़ी मेहनत से लिंक तैयार करने के लिए जोनल मुख्यालय और मंडलों पर दबाव बना रहा है। उसके कारण यात्री ट्रेनों में रनिंग ड्यूटी भी 8 घंटे से अधिक आ रही है, जिससे ट्रेन सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है। 

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महामंत्री श्री मिश्रा ने ष्ह भी कहा कि कुछ लोका/यातायात स्टाफ लॉबियों में, ड्यूटी रोस्टर ऐसे हैं कि वे प्रकृति के विरुद्ध एक सप्ताह से अधिक लगातार रात्रि ड्यूटी करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कई बीमारियाँ हो जाती हैं। इसके अलावा जहां तक ज्ञड।ध्।स्ज्ञ पर आयकर कटौती का संबंध है, 70 प्रतिषत ज्.। की छूट की सबसे न्यायसंगत और वास्तविक मांग को भी स्वीकार किया जाना अभी बाकी है। रेलवे बोर्ड द्वारा विभिन्न प्रतिगामी निर्देश जारी कर उनके साथ बेहद अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। ैच्।क् मामलों के मामले में उन्हें सेवा से हटाने की अत्यंत कठोर सजा दी जाती है, उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी के दौरान 3,000 से अधिक रेलकर्मियों ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया, जिनमें से अधिकांश रनिंग स्टाफ श्रेणियों के थे, जिन्होंने उस अवधि के दौरान माल ढुलाई के साथ-साथ यात्री ट्रेनों के संचालन में अपने जीवन की परवाह नहीं की उसके बावजूद भी उन्हे ‘‘फ्रंटलाइन स्टाफ‘‘ के रूप में तक नहीं माना गया ।

म्हामंत्री श्री षिव गोपाल मिश्रा ने मांग की कि रेल प्रंषासन तत्काल रनिंग कर्मचारियों के खिलाफ अपना अन्यायपूर्ण रवैये को बन्द कर दे ओर उनकी मांगो ओर उपरोक्त समस्याआंे का समाधान करे अन्याथा इसका उन्हेें इसका जबरदस्त खामियाजा भुगतना पडेगा ओर एआईआरएफ इसके खिलाफ बडे आंदोलन पर उतर जायेगी।

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