Municipal Mayor Election

Chandigarh :मेयर चुनाव : सभी दलों की सरगर्मियां तेज, एक दूसरे के घर में सेंधमारी के प्रयास ने जोर पकड़ा, सभी दलों के अपनी-अपनी जीत के दावे

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Municipal Mayor Election

अर्थ प्रकाश/वीरेंद्र सिंह

Municipal Mayor Election : चंडीगढ़। नगर निगम (Municipal Corporation) चंडीगढ़ में नये मेयर, के चुनावों को लेकर गहमागमी तेज हो गई है। आगामी 17 जनवरी को निगम सदन में मतदान प्रक्रिया का शुभारंभ शहर के डीसी द्वारा किया जायेगा। मेयर चुनाव के बाद अन्य दो पदों के चुनाव नवनिर्वाचित मेयर द्वारा सम्पन्न होगा। आज नामांकन पत्रों के दाखिले के उपरांत चुनावी सरगर्मियां तेज हो जाएंगी। नामांकन के बाद फिर दूसरे दलों के पार्षदों के साथ सांठ-गांठ होना और उन्हें अपने पक्ष में मतदान करने का अभियान भी अंदरखाते शुरू हो जायेगा। इसका मुख्य कारण है कि किसी भी दल के पास जीत का जादुई आंकड़ा नहीं है। 

जीत के लिए 19 वोट जरूरी / 19 votes needed for victory

नगर निगम में कुल 35 पार्षदों की वोटें हैं नगर सांसद को मिलाकर कुल 36 वोटें बनती हैं, ऐसे में विजय दर्ज  करने के लिए 19 वोटें प्राप्त करनी होंगी। इनमें से भाजपा व आप की 14-14 वोटें हैं, जबकि सांसद की मिलाकर भाजपा की 15 वोटें हो जाती हैं, किंतु जीत के जादुई आकड़े से वह चार वोट नीचे है। ऐसे में उसे ‘आप’ या कांग्रेस के पार्षदों की तरफ समर्थन के लिए मदद की दरकार होगी। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस के पार्षदों के साथ अंदरखाते बातचीत कर अपना मेयर बनाने की जीतोड़ कोशिश में लगी है। किंतु कांग्रेस यदि एलायंस में शामिल होती है तो उसका अपना खुद का वजूद खतरे में पड़ सकता है। किंतु कांग्रेस के कुछ पार्षदों का मानना है कि उन्हें तीनों पदों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर चुनावी समर में उतरना चाहिए। कुछ लोगों का मानना है कि इस बार कांग्रेस को ‘आप’ के साथ अलायंस बना लेना चाहिए। अन्यथा अगले चार सालों तक भाजपा का ही नगर निगम पर राज होगा। इसका असर आगामी वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों पर भी पड़ेगा। अत: अपना वजूद बचाते हुए मेयर चुनावों तक ‘आप’ के साथ हाथ मिलाने में कोई हर्ज नहीं होगा। सांसद चुनाव में गठजोड़ तोड़ लिया जाएगा। 

भाजपा का तीनों सीटों पर जीत का दावा / BJP claims victory on all three seats

दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के चंडीगढ़ प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद (Chandigarh State President Arun Sood) का बार-बार यह दावा करना कि मेयर के अलावा सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर की सीट भी भाजपा को ही मिलने जा रही है। इस बात को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि भाजपा जीत के लिए इतनी कॉनफिडेंट कैसे हो सकती है। फिर भी केंद्र से लेकर चंडीगढ़ प्रशासन पर भारतीय जनता पार्टी का ही आधिपत्य है। इसलिए मेयर चुनाव जीतने के लिए 3-4 वोटें लेने में उसे किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होने वाली है। 

रणनीति हो चुकी है तैयार / Strategy is Ready

चर्चा यह भी है कि भाजपा का अपने पक्ष में मतदान कराने की रणनीति काफी पहले से तैयार हो चुकी है। जिन पार्षदों के मत उसके पक्ष में आएंगे, उन पर किसी का नाम नहीं लिखा होगा। इस प्रकार काम भी हो जायेगा और वोट क्रॉस करने वालों की पहचान भी गुप्त ही रहेगी। इस प्रकार उनका बाहर से समर्थन लेकर वह अपना मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर भी बनवाने में कामयाब हो जाएगी।

एक वोट इनवैलिड होने से हुई थी जीत / The victory was due to one vote being invalid.

बता दें कि पिछली बार के चुनाव में भी मेयर के लिए आप के पक्ष में पड़ी एक वोट इनवैलिड घोषित कर दी गई थी और एक क्रॉस वोट की बदौलत भाजपा अपना मेयर बनाने में सफल रही थी।

ड्रा के जरिये बना था डिप्टी मेयर / The deputy mayor was made through a draw

फिर सीनियर डिप्टी मेयर के चुनाव में भी एक क्रॉस वोट लेकर भाजपा प्रत्याशी दलीप शर्मा विजयी घोषित हुए थे। इसी प्रकार डिप्टी मेयर के चुनाव में आप और भाजपा को बराबरी की वोट पड़ीं। फिर लॉटरी का ड्रा निकाला गया, जिसमें भाजपा के ही अनूप गुप्ता विजयी रहे। 

अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा का समर्थन : आप / Indirectly supporting BJP: AAP

आठ पार्षदों के साथ कांगे्रस ने पूरी मतदान प्रक्रिया का बहिष्कार कर अपने पार्षदों को लेकर राजस्थान चली गई। इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से यह भाजपा के पक्ष में गई और उसने तीनों पदों पर कब्जा जमा लिया।  भाजपा के आकाओं को विपक्ष की कमजोर नसें पता है, इस लिए उसकी तरफ से बार-बार तीनों पदों पर फिर से कब्जा करने की बात की जा रही है।

आप के आका भी सक्रिय / Aap boss is also active

इधर ‘आप’ के कर्ताधर्ता भी कांग्रेस के पार्षदों के साथ सांठ-गांठ करने में जुटे हैं यदि इसका गठजोड़ हो जाता है फिर भारतीय जनता पार्टी के मनसूबों पर पानी फिर सकता है। इसके बाद यह अलायंस अगले तीन साल भी निगम पर अपना राज कायम रखने में सफल हो सकता है। फिलहाल अभी यह सब बातें अटकलों पर आधारित हैं। देखना यह है कि भाग्य किसका वरण करता है, जो अभी भविष्य के गर्भ में है। 

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