MP Mausi Tigress: मौसी होके 'मां' बनी बाघिन, ममता देख लोगों की आंखें भर आ रहीं

जज्बात जानवरों में भी: इंसानी तस्वीर छोड़िये जनाब! मौसी होके 'मां' का फर्ज निभा रही है यह बाघिन, ममता देख लोगों की आंखें भर आ रहीं

MP Mausi Tigress

MP Mausi Tigress

MP Mausi Tigress : जज्बातों की जब बात आती है तो सामने एक इंसानी तस्वीर सी उमड़ पड़ती है| लेकिन क्या ऐसा जानवरों को लेकर भी हो सकता है? बिलकुल हो सकता है| जानवरों में भी अपने जज्बात हैं| आज आप एक ऐसी कहानी से रूबरू होंगे| जिसे जानकर आप सोचेंगे कि जानवर भी किस कदर भावनाओं को समझते हैं और वो भी शायद इंसानों से बेहतर|

दरअसल, बात हो रही है एक ऐसी बाघिन की| जो इस वक्त मौसी होके एक 'मां' का शानदार फर्ज अदा कर रही है| यह बाघिन जिस प्रकार से अपने शावकों को प्यार-दुलार करती है, उनका पेट भरती है, उन्हें सीख देती है| ठीक इसी प्रकार का सलूक यह बाघिन अपनी मृत बहन के शावकों के साथ भी कर रही है| जो भी इस तस्वीर को देख रहा है वो वहीं का वहीं थम सा जा रहा है| उसकी आंखें नम हो जा रही हैं|

मध्य प्रदेश के सीधी स्थित संजय दुबरी नेशनल पार्क में यह सब

बतादें कि, इस प्रकार की तस्वीर जो सामने आई है वह मध्य प्रदेश के सीधी स्थित संजय दुबरी नेशनल पार्क (Sanjay Dubri National Park and Tiger Reserve) की है| मां का फर्ज निभाने वाली बाघिन का नाम T-28 (Tigress T-28) है| बताया जा रहा कि कुछ समय पहले उसकी बाघिन T-18 (Tigress T-18) की ट्रेन से टकरा कर मौत हो गई थी। जिस समय बाघिन T-18 की मौत हुई उसके कुछ महीने पहले ही उसने चार शावकों को जन्म दिया था|

फिलहाल, अब T-28 ने बहन के मरने के बाद चारों शावकों को अपना लिया है| उन्हें सहारा देकर उनकी जिंदगी बचा ली है| हालांकि, इनमें से एक शावक की किसी कारण से मौत हो चुकी है| लेकिन तीन शावक T-28 मौसी के प्यार-दुलार में खूब फल-फूल रहे हैं| वह अपनी मौसी से शिकार करने की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं| बरहाल, यह पूरा नजारा अब यहां के अधिकारियों और आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है|

MP Mausi Tigress
MP Mausi Tigress

T-18 को बचाने की कवायद हुई पर

संजय दुबरी टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर वाईपी सिंह बताते हैं कि इस साल 16 मार्च को हमें सूचना मिली थी कि दुबरी रेंज के रिजर्व कोर एरिया में एक बड़ी बाघिन रेलवे ट्रैक के पास पड़ी है। वन विभाग की एक टीम मौके पर पहुंची तो वहां बाघिन T-18 मिली। हमने उसे बचाने के लिए बड़ी कवायद की। हालांकि, काफी कोशिश के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। कुछ समय बाद ही उसकी मौत हो गई। वाईपी सिंह ने कहा कि बाघिन T-18 की मौत के बाद, हमारी प्रमुख चिंता उसके चार शावकों की सुरक्षा और उनका पालन-पोषण थी| जो उस समय महज नौ महीने के थे। दुर्भाग्य से इनमें से एक शावक की मौत हो गई।

'मौसी' बाघिन ने हमारी चिंता दूर कर दी

वाईपी सिंह ने कहा कि बाघिन T-18 के चार शावक में से एक के मरने के बाद हमारी चिंता इस तरफ बढ़ती जा रही थी कि आखिर इन्हें कैसे पाला जाए| कैसे इनकी जान बचाई जाए| लेकिन फिर एक दृश्य ने हमारी चिंता दूर कर दी| बाघिन T-28 बहन बाघिन T-18 के तीनों शावकों का ख्याल रखती दिखी| वाईपी सिंह ने कहा कि हम देख रहे हैं कि बाघिन T-28 शावकों का न केवल ध्यान रख रही है बल्कि उन्हें शिकार करने और खुद के बचने की ट्रेनिंग भी दे रही है। एक मां की तरह ही वो अपने शावक के साथ इन तीन शावकों को भी सारी बातें सिखा रही हैं। इसी वजह से बाघिन T-28 को 'मौसी' बाघिन कहकर संबोधित किया जा रहा है|