Land use conversion certificate not taken for building bird project

Chandigarh- सभी नियम कानून ताक पर रख कर बनाया गया पंजाब के पूर्व राज्यपाल और यूटी के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर का ड्रीम प्रोजेक्ट: बर्ड प्रोजेक्ट बनाने को नहीं लिया गया लैंड यूज कनवर्जन सर्टिफिकेट

Land use conversion certificate not taken for building bird project

Land use conversion certificate not taken for building bird project

Land use conversion certificate not taken for building bird project- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I चंडीगढ़ के बर्ड पार्क को सभी नियम कानून ताक पर रख कर प्रशासन की ओर से बनाया गया। इसे बनाने से पहले लैंड यूज कनवर्जन सर्टिफिकेट हासिल नहीं किया गया, हालांकि सुखना के किनारे बने इस प्रोजेक्ट में नगर वन की जमीन टूरिज्म प्रोजेक्ट के लिये प्रयोग हुई थी। यह पंजाब के पूर्व राज्यपाल और यूटी के प्रशासक वीपी बदनौर का ड्रीम प्रोजेक्ट था। यही वजह रही कि इसके निर्माण में न केवल कोताही बरती गई बल्कि सब नियम कायदे दरकिनार कर दिये गए। प्रशासन के विभागों को नसीहत देने वाला चंडीगढ़ का पर्यावरण विभाग सभी नियमों को धत्ता बताते रहा।

नगर वन में बर्ड प्रोजेक्ट बनाने को लेकर बड़े स्तर पर सीमेंट और लोहे का प्रयोग हुआ। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि करीब 5 हजार सीमेंट की बोरी से बर्ड पार्क का स्ट्रक्चर खड़ा किया गया। यानि बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का जोरशोर से काम हुआ हालांकि यह फोरेस्ट कंजर्वेशन एरिया के साथ साथ सुखना लेक के किनारे बना प्रोजेक्ट है जहां कंस्ट्रक्शन की गतिविधियों पर प्रशासन ने खुद रोक लगा रखी है।

यह रोक भी पर्यावरण विभाग की ओर से ही मुख्य रूप से लगी है। बर्ड पार्क की ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया कि इसके निर्माण पर 5 करोड़ रुपये का खर्चा हुआ है। हैरानी वाली बात जो सामने आ रही वो यह है कि बर्ड पार्क के निर्माण से पहले कोई लैंड यूज नहीं कनवर्जन नहीं हुआ। चूंकि यह फोरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के तहत लैंड थी लिहाजा इसका कमर्शियल यूज के लिये लैंड कनवर्जन होना जरूरी था। पर्यावरण विभाग व प्रशासन ने बर्ड पार्क की इस जमीन का लैंड कनवर्जन कराना जरूरी नहीं समझा। पर्यावरण विभाग दूसरों को तो फोरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट व सुखना का हवाला देकर नसीहतें देता रहा और खुद अपने ही आदेशों की फजीहत करता रहा।

पर्यावरण विभाग से आरटीआई में जानकारी मांगी गई थी कि बर्ड पार्क के स्ट्रक्चर में बड़े पैमाने पर लोहा और बिल्डिंग मैटीरियल प्रयोग हुआ था। पर्यावरण व वन विभाग से बर्ड पार्क प्रोजेक्ट के लिये वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस, एनवायरमेंट क्लीयरेंस और फोरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट क्लीयरेंस सर्टिफिकेटों की कापी मांगी गई थी। चूंकि नगर वन की जमीन टूरिज्म प्रोजेक्ट के लिए प्रयोग किया गया लिहाजा लैंड यूज कनवर्जन सर्टिफिकेट भी मांगा गया था। 1 मई 2023 से अब तक आईएफएस अफसरों की सभी विभागों से टीए बिल जिनका भुगतान किया गया की कापी मांगी गई थी। वर्ष 2022-23 के ऑडिट ऑब्जेक्शंस की कापी भी मांगी गई थी।

बर्ड पार्क के लिये लैंड यूज कनवर्जन सर्टिफिकेट को लेकर कहा गया कि इसे फोरेस्ट विभाग देखता है। बर्ड पार्क बर्ड कंजर्वेशन और इससे संबंधित जानकारी एकत्र करने की दृष्टि से शुरू किया गया। कनवर्जन ऑफ लैंड यूज सर्टिफिकेट जैसा कोई दस्तावेज रिकार्ड पर नहीं है। अन्य जानकारियों के लिये कुछ राशि विभाग की ओर से मांगी गई। एक्टीविस्ट आरके गर्ग का कहना है कि नियमों को ताक पर रख कर बर्ड पार्क का निर्माण करने वाले व धत्ता बताने वाले अफसरों पर कानून सम्मत कार्रवाई होनी चाहिए।