हरियाणा में 'नॉन परफॉर्मर' और भ्रष्ट कर्मचारियों के लिए नौकरी करना हुआ असंभव

हरियाणा में 'नॉन परफॉर्मर' और भ्रष्ट कर्मचारियों के लिए नौकरी करना हुआ असंभव

Corrupt Employees in Haryana

Corrupt Employees in Haryana

प्रदेश सरकार ने 48 अधिकारियों और कर्मचारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया 
कुछ पर गिरी गाज तो कुछ ने मजबूरन प्रीमैच्योर रिटायरमेंट ली
कई कर्मचारी भ्रष्टाचार के पाए गए दोषी, कुछ ने बरती लापरवाही
प्रदेश में स्थापित की जा रही भ्रष्टाचार मुक्त एवं पारदर्शी व्यवस्था: मुख्यमंत्री

चंडीगढ़। Corrupt Employees in Haryana: मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व में प्रदेश में स्थापित की जा रही भ्रष्टाचार मुक्त एवं पारदर्शी व्यवस्था(Corruption free and transparent system) से भ्रष्टाचार करने वाले या काम करने में लापरवाही बरतने वाले सरकारी अधिकारियों(negligent public officials) और कर्मचारियों के लिए नौकरी में बने रहना असम्भव होता जा रहा है. श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा सरकार प्रदेश में पारदर्शी व्यवस्था स्थापित करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। सरकार द्वारा भ्रष्टाचार में संलिप्त कर्मचारियों(employees involved in corruption) और अधिकारियों के खिलाफ कड़े फैसले लिए गए हैं। इसी कड़ी में सरकार ने 48 नॉन परफॉर्मर और भ्रष्ट कर्मचारियों पर सख्त एक्शन लिया है। 

48 अधिकारियों/कर्मचारियों को नौकरी से हटाया / 48 officers/employees removed from service

केंद्र सरकार के पदचिन्हों पर चलते हुए हरियाणा सरकार ने पिछले 8 वर्षों में 50 से 55 साल की उम्र के 48 अधिकारियों/कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है। कुछ कर्मचारियों ने जहां प्रीमैच्योर रिटायरमेंट ले ली तो वहीं कुछ को सरकार ने घर बैठा दिया। इनमें असिस्टेंट प्रोफेसर, सब इंस्पेक्टर, हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर, इंडस्ट्रियल एक्सटेंशन ऑफिसर, नायब तहसीलदार, डीआरओ, सुपरवाइजर, मैनेजर, रेजिडेंट ऑडिट ऑफिसर, जूनियर ऑडिटर, असिस्टेंट रजिस्ट्रार, डिप्टी इंजीनियर, क्लर्क, असिस्टेंट, हवलदार, पियुन, गोडाउन कीपर आदि पदों के अधिकारी और कर्मचारी शामिल है। ये कर्मचारी हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों, बोर्ड और निगमों के कार्यालय में कार्यरत थे। इन अधिकारियों/कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार में शामिल होने, ड्यूटी से अनुपस्थित रहने, नॉन-परफॉर्मेंस, लापरवाही बरतने और जाली सर्टिफिकेट बनाने आदि कारणों के चलते कार्रवाई की गई है। 

कर्मचारियों की परफॉर्मेंस का समय-समय पर मूल्यांकन / Periodic evaluation of the performance of the employees

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार अधिकारियों और कर्मचारियों की परफॉर्मेंस का समय-समय पर मूल्यांकन करती रहती है। सर्विस रिकॉर्ड रिव्यू करने के बाद ईमानदारी से काम करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया जाता है तो वहीं नॉन परफॉर्मर कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद शासन प्रणाली को पहले से और बेहतर बनाने का है। प्रदेश सरकार मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस के मूल सिद्धांत पर आगे बढ़ रही है। ऐसी व्यवस्था में भ्रष्टाचार की कतई जगह नहीं है। प्रदेश में भ्रष्टाचार पर पूर्णरूप से अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है।

गौरतलब है कि सरकारी नियमों के मुताबिक ठीक काम न करने वाले अधिकारी या कर्मचारी  50 - 55 वर्ष की आयु या 20 वर्ष की नौकरी के बाद नौकरी से हटा सकती है. लेकिन पूर्व की सरकारों ने जनता की भलाई के लिए बने इन नियमों को कठोरता से लागू नहीं किया जिसकी वजह से नौकरी के लिए नाकाबिल हो चुके अधिकारी व कर्मचारी भी नौकरी करते रहे. वर्ष 2014 तक जहाँ सिर्फ 32 लोगों को घर भेजा वहीँ 2014 के बाद श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में बनी सरकार ने जनहित में इन नियमों को पूरी कड़ाई से लागु करवाया जिसके फलस्वरूप गत 8 वर्षों ने 48 सरकारी कर्मियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है.

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