ISRO SSLV Launch: इसरो का नया रॉकेट SSLV-D1 श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च

ISRO SSLV Launch: इसरो का नया रॉकेट SSLV-D1 श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च

ISRO SSLV Launch: इसरो का नया रॉकेट SSLV-D1 श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च

ISRO SSLV Launch: इसरो का नया रॉकेट SSLV-D1 श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च

नई दिल्लीः ISRO SSLV Launch: इसरो ने रविवार सुबह 9:18 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से अपने पहले लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान SSLV-D1 को पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (EOS-02) और छात्र-निर्मित एक उपग्रह,  ‘AzadiSAT’  के साथ लाॅन्च किया. रॉकेट ने सही तरीके से काम करते हुए दोनों सैटेलाइट्स को उनकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया. रॉकेट अलग हो गया. लेकिन उसके बाद सैटेलाइट्स से डेटा मिलना बंद हो गया.  ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि इसरो मिशन कंट्रोल सेंटर लगातार डेटा लिंक हासिल करने का प्रयास कर रहा है.  हम जैसे ही लिंक स्थापित कर लेंगे, देश को सूचित करेंगे.

ISRO SSLV Launch: EOS02 एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट

एसएसएलवी के जरिए इसरो ने जिन दो सैटेलाइट्स को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया उनमें  EOS02 एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट हैं. जो 10 महीने के लिए अंतरिक्ष में काम करेगा. इसका वजन 142 किलोग्राम है. इसमें मिड और लॉन्ग वेवलेंथ इंफ्रारेड कैमरा लगा है. जिसका रेजोल्यूशन 6 मीटर है. यानी ये रात में भी निगरानी कर सकता है. AzaadiSAT सैटेलाइट्स स्पेसकिड्ज इंडिया नाम की देसी निजी स्पेस एजेंसी का स्टूडेंट सैटेलाइट है. इसे देश की 750 लड़कियों ने मिलकर बनाया है.

ISRO SSLV Launch: इसरो ने SSLV से पहला प्रक्षेपण किया

अपने भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV), भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) के माध्यम से सफल अभियानों को अंजाम देने में एक खास जगह बनाने के बाद इसरो ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) से पहला प्रक्षेपण किया. एसएसएलवी का फुल फॉर्म है स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (Small Satellite Launch Vehicle – SSLV). यानी छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग के लिए अब इस रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा.  इसके जरिए धरती की निचली कक्षा (Lower Earth Orbit) में 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स को निचली कक्षा यानी 500 किलोमीटर से नीचे या फिर 300 किलोग्राम के सैटेलाइट्स को सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेजा जाएगा. सब सिंक्रोनस ऑर्बिट की ऊंचाई 500 किलोमीटर के ऊपर होती है.

लाॅन्चिंग के लगभग 13 मिनट बाद एसएसएलवी ने सबसे पहले ईओएस-02 को इच्छित कक्षा में स्थापित किया. इस उपग्रह को इसरो द्वारा डिजाइन किया गया है. इसके बाद आजादीसैट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया. लेकिन इन दोनों उपग्रहों से इसरो का संपर्क टूट गया है. एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है, जो पीएसएलवी से लगभग 10 मीटर कम है और पीएसएलवी के 2.8 मीटर की तुलना में इसका व्यास 2 मीटर है. एसएसएलवी का उत्थापन द्रव्यमान 120 टन है, जबकि पीएसएलवी का 320 टन है, जो 1800 किलोग्राम तक के उपकरण ले जा सकता है.