Institutions should increase studies according to the needs of the society
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समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप अध्ययन बढ़ाएं संस्थान : मुख्यमंत्री योगी

Institutions should increase studies according to the needs of the society

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Institutions should increase studies according to the needs of the society- गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों या अन्य शिक्षण संस्थानों को टापू या तटस्थ बने रहने की बजाय समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा। उच्च शिक्षण संस्थानों को चाहिए वे समाज की व्यावहारिक आवश्यकताओं के अनुरूप अध्ययन बढ़ाएं।

मुख्यमंत्री योगी शुक्रवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय व फार्मेसी संकाय के संयुक्त तत्वावधान एवं ट्रांसलेशन बायोमेडिकल रिसर्च सोसायटी के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे।

एडवांसेज एंड ऑपर्चुनिटीज इन ड्रग डिस्कवरी फ्रॉम नेचुरल प्रोडक्ट्स 'बायोनेचर कॉन-2023' विषयक संगोष्ठी के शुभारंभ पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नवाचार और अनुसंधान से तटस्थ होने के कारण भारत पिछड़ गया था और यहां के शिक्षण संस्थान डिग्री बांटने के केंद्र तक सीमित हो गए थे। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले नौ सालों में इस दिशा में सुधार के प्रयास हुए तो अब अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि दुनिया में प्राकृतिक संसाधनों से पारंपरिक चिकित्सा भारत की देन है। आयुर्वेद, फार्मेसी, बायो केमिस्ट्री, कृषि जैसे कई विभागों के समन्वय से प्राकृतिक संसाधनों से चिकित्सा को एक नई ऊंचाई मिल सकती है। कृषि से जुड़े लोग प्राकृतिक संसाधनों से औषधि बनाने के क्षेत्र में बहुत योगदान दे सकते हैं। प्राकृतिक संसाधनों से बनने वाली औषधियों की क्वालिटी पर फोकस करने के साथ पैकेजिंग पर भी पूरा ध्यान देना होगा।

उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की दवा पुड़िया बांधकर देने से रोगी को ही विश्वास नहीं होता, जबकि यही दवा टैबलेट के रूप में उसका विश्वास बढ़ाती है। दवाओं को इसी अनुरूप में तैयार और पैक करना होगा। सरकार ललितपुर में दो हजार एकड़ में फार्मा पार्क बना रही है। इसके साथ ही मेडिकल डिवाइस पार्क को विकसित करने पर भी तेजी से काम चल रहा है। डॉक्टर और नर्स रोगियों से जुड़े विभिन्न आंकड़ों को संग्रहित कर उसे एक बड़े शोध का आधार बना सकते हैं।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान मुख्यमंत्री ने इंसेफेलाइटिस नियंत्रण के अपने अनुभव को भी साझा किया। बताया कि 1977 से लेकर 2017 तक करीब 50 हजार बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस की वजह से हो गई। जापान में इसके लिए वैक्सीन 1905 में ही बन गई थी जबकि भारत में वैक्सीन 2005 में उपलब्ध हुई, उसका भी उत्पादन मांग से काफी कम रहा। पूर्वी उत्तर प्रदेश की करीब तीन करोड़ की आबादी के सापेक्ष इंसेफेलाइटिस वैक्सीन महज एक लाख डोज मिल रही थी।

एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि पूरा विश्व एक बार फिर आरोग्यता व रोग निदान के लिए प्राकृतिक संसाधनों से बनीं औषधियों को तेजी से अपना रहा है। प्राकृतिक संसाधनों से बनने वाली दवाओं के प्रति भारत के लिए यह अवसर है क्योंकि भारत के हर गांव में पौधों, पत्थरों और यहां तक कि मिट्टी के रूप में औषधियोग्य प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं। भारत प्राकृतिक संसाधनों से चिकित्सा करने की जननी है। ब्रह्मांड के पहले चिकित्सक चरक और सुश्रुत यहीं होते थे। प्राचीन काल में यहां सर्जरी भी होती थी।

डॉ. रेड्डी ने कहा कि करीब दो सौ साल से मॉडर्न साइंस टेक्नोलॉजी से आई दवाओं का नकारात्मक असर लोगों को फिर से प्राकृतिक संसाधनों से चिकित्सा की तरफ मोड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि 60 प्रतिशत लोग हर्बल या नेचुरल मेडिसिन का इस्तेमाल कर रहे हैं। लोग यह मानने लगे हैं कि सस्टेनेबल लिविंग के लिए नेचुरल होना पड़ेगा।

डीआरडीओ के पूर्व में अध्यक्ष रहे डॉ. रेड्डी ने यूपी में डिफेंस कॉरिडोर और ब्रह्मोस मिसाइल बनाने का केंद्र बनाए जाने को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजनरी नेतृत्व का परिणाम बताया। भारत सरकार के पूर्व औषधि महानियंत्रक डॉ. जीएन सिंह ने कहा कि प्राचीन काल में भारत अपनी संस्कृति के साथ विज्ञान और अनुसंधान के लिए विख्यात था। गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में योगी आदित्यनाथ ने संस्कृति, विज्ञान और अनुसंधान की इसी परिकल्पना को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के रूप में साकार दिया है।