मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की तैयारी में विपक्ष; महाभियोग प्रस्ताव ला सकता, वोटों की धांधली और SIR पर लड़ाई अब चरम पर

Impeachment Motion Against Chief Election Commissioner Gyanesh Kumar
Chief Election Commissioner: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और वोटों की धांधली को लेकर विपक्ष लगातार चुनाव आयोग पर सीधे हमलावर है। विपक्ष के गंभीर आरोपों के बीच चुनाव आयोग (ECI) ने भी रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी और विपक्ष के वोट चोरी समेत तमाम आरोपों और SIR को लेकर जवाब दिया था। मुख्य चुनाव आयुक्त ने राहुल गांधी और विपक्ष को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था।
वहीं मुख्य चुनाव आयुक्त की इस जवाबी कार्रवाई के बाद वोटों की धांधली और SIR पर लड़ाई अब चरम पर पहुंच गई है। सूत्रों के हवाले से जारी रिपोर्ट्स के मुताबिक, विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है। सोमवार सुबह संसद भवन में इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक हुई है। जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बात कही गई है और इसे लाने पर सहमति भी बनी है। वहीं वोट चोरी के खिलाफ प्रदर्शन चलता रहेगा।
क्या होता है महाभियोग प्रस्ताव?
आपको यह मालूम रहे कि, महाभियोग एक संविधानिक प्रक्रिया है। भारतीय संविधान में इसे आयरलैंड से लिया गया है. महाभियोग प्रस्ताव संसद में तब लाया जाता है जब संविधानिक पद पर बैठा कोई व्यक्ति संविधान का उल्लंघन या दुर्व्यवहार करे या फिर इस पद के लिए अक्षम हो जाये। यह प्रस्ताव राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जजों, मुख्य चुनाव आयुक्त आदि के खिलाफ लाया जा सकता है।
भारत में अब तक कई लोगों के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी की गई लेकिन संसद में केवल 3 बार ही यह प्रस्ताव पहुंच सका। साल 2016 और 2017 में तेलंगाना हाईकोर्ट के जस्टिस सीवी नागार्जुन रेड्डी के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया था। संसद में प्रस्ताव पेश हुआ लेकिन दोनों बार ही प्रस्ताव को जरूरी समर्थन नहीं मिला। वहीं साल 2018 में राज्ससभा में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ यह प्रस्ताव आया था लेकिन उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू ने खारिज कर दिया था।
SIR पर चुनाव आयोग की सीधी बात
बता दें कि, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने बीते रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि SIR के बाद बिहार की मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए नामों की सूची SC के आदेश के बाद जिलाधिकारियों की वेबसाइटों पर डाल दी गई है। कुमार ने कहा कि, ये एक मिथक है कि चुनाव में हेरफेर करने के लिए बिहार में SIR जल्दबाजी में किया गया है। हर चुनाव से पहले मतदाता सूची को सही करना चुनाव आयोग का कानूनी कर्तव्य है और चुनाव आयोग ने अपने उसी कर्तव्य को निभाया।
चुनाव आयोग भेदभाव नहीं करता
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के बीच कभी भेदभाव नहीं करता। चुनाव आयोग के लिए न तो कोई विपक्ष है, और न ही कोई पक्ष। चुनाव आयोग के लिए सभी समकक्ष और समान हैं। ज्ञानेश कुमार ने कहा कि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मतदाता सूची में अनियमितताओं के अपने आरोपों पर सात दिन के भीतर शपथपत्र देना चाहिए, अन्यथा उनके वोट चोरी के दावे निराधार और अमान्य माने जाएंगे। उन्हें देश से माफी मांगनी होगी।