Nirankari Sant Samagam

Sant Nirankari Samagam मानव हैं तो मानवीय गुणों को अपनायें: निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

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Grand inauguration of 56th Annual Nirankari Sant Samagam of Maharashtra

 चंडीगढ़ /पंचकूला /मोहाली 28  जनवरी|  Nirankari Sant Samagam of Maharashtra संसार में हम मानव के रूप में पैदा हुए हैं तो मानवीय गुणों को अपनायें और यथार्थ मानव बनकर जीवन जियें |” यह उद्गार निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 56वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम में मानवता के नाम प्रेषित किए अपने संदेश में व्यक्त किए | औरंगाबाद के बिडकीन डीएमआयसी इलाके में आयोजित इस तीन दिवसीय संत समागम में महाराष्ट्र के कोने-कोने से एवं देश-विदेशों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों का जनसैलाब उमड़ा हुआ है |

सत्गुरु माता जी satguru mata ji ने कहा कि जिस परमात्मा ने संसार की रचना की है उसी की अंश हर मानव के भीतर निवास करती है | जब मनुष्य परमात्मा को जान लेता है तो वह हर किसी के अंदर परमात्मा का अंश देखता है और उसके मन में एकत्व का भाव उत्पन्न हो जाता है | फिर वह खान-पान, वेशभूषा, ऊंच-नीच, जाति-पाति इत्यादी की विभिन्नता के  कारण किसी से घृणा नहीं करता |

नफ़रत की दीवारों के स्थान पर उसके मन में प्रेम के पुल बन जाते हैं | जब मन में परमात्मा बस जाता है तो हर चीज ही रूहानियत से युक्त हो जाती है | परमात्मा के अहसास में किया हुआ हर कार्य फिर खुद-ब-खुद इन्सानियत से युक्त होता चला जाता है |

शोभा यात्रा

इसके पूर्व आज सुबह दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडॉर (डीएमआयसी) के अंतर्गत मार्गों पर एक भव्य शोभा यात्रा Shobha Yatra का आयोजन किया गया | इस शोभा यात्रा में एक स्थान पर सदगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी एक फुलों से सजाई गई पालकी में विराजमान थे | शोभा यात्रा द्वारा उनके सामने से अपने पारंपारिक कलाओं का प्रदर्शन करते हुए गुजर रहे श्रद्धालु भक्त इस दिव्य युगल को अभिवादन कर रहे थे | दिव्य युगल भी उनके अभिवादन का स्वीकार करते हुए उन्हें अपनी मधुर मुस्कान द्वारा अपने आशीर्वाद प्रदान कर रहे थे |  समागम में पहुंचे श्रद्धालु भक्त शोभा यात्रा का अवलोकन करते हुए आनंदविभोर हो रहे थे |

अपनी अपनी लोक संस्कृतियों का प्रकटाव करते हुए श्रद्धालु भक्त रूहानियत के संग मानवता के रंग दर्शा रहे थे | शोभा यात्रा में मुख्यत: लोक नृत्य, लोक कलाओं का समावेश था | इसमे वाशिम से पावली, अकोला एवं कोटारी आंध्र प्रदेश से बंजारा नृत्य, शहापूर से तारपा नृत्य, मुंबई, महाड एवं सावरगांव से लेझियम, राळेगणसिद्धी एवं कलंबोली से दिंडी, जामखेड से समूह नृत्य, शिवडी (मुंबई) एवं कोपरखैरणे (नवी मुंबई) से वारकरी, चिपलून से ढोल पथक, विट्ठलवाडी से समूह नृत्य, महाड से आदिवासी नृत्य, दापोली एवं पालघर से कोली नृत्य, कराड से धनगर गजनृत्य, चारोटी से तारपा नृत्य आदि का समावेश था |

शोभा यात्रा के अंतिम पड़ाव में दिव्य युगुल स्वयं भी शोभा यात्रा में शामिल हुए | इसके उपरान्त समागम समिति के सदस्य एवं मिशन के केन्द्रीय पदाधिकारियों ने दिव्य युगल की पालकी की अगुवाई करते हुए उन्हें समागम पंडाल के मध्य से मुख्य मंच तक ले जाया गया |

इस समय पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु अपने हृदयसम्राट सत्गुरू को अपने मध्य में पा कर हर्षोल्लासित हुए और  आनंद से सराबोर भीगी नयनो से हाथ जोडकर एवं धन निरंकार के जयघोष के साथ दिव्य युगल का अभिवादन किया |  भ्रक्तों के अभिवादन को स्वीकार करतें हुए दिव्य युगल ने अपनी मधुर मुस्कान द्वारा उन्हे अपने आशीर्वाद प्रदान किये | 

इसके पहले आज दोपहर समागम स्थल पर आज संत निरंकारी मंडल के प्रेस एवं पब्लिसिटी विभाग की मेंबर इंचार्ज पूज्य श्रीमती राज कुमारी जी की अध्यक्षता में एक पत्रकार परिषद का आयोजन किया गया जिसमें जिले के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं प्रिंट मीडिया के प्रतिनिधियों ने समागम सम्बन्धि जानकारी प्राप्त की

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