36 बादल फटने और 74 अचानक बाढ़: हिमाचल में मानसून ने मचाई तबाही, ₹2,000 करोड़ के पार हुआ नुकसान

Himachal Hit by 36 Cloudbursts, 74 Flashfloods; ₹2,000-Cr Losses, Experts Warn of Climate Change Imp
36 बादल फटने और 74 अचानक बाढ़: हिमाचल में मानसून ने मचाई तबाही, ₹2,000 करोड़ के पार हुआ नुकसान
हिमाचल प्रदेश के नाज़ुक पहाड़ एक बार फिर बेरहम मानसून की मार झेल रहे हैं। मंडी, कुल्लू, चंबा, किन्नौर, लाहौल-स्पीति और शिमला सहित छह ज़िलों में 36 बादल फटने, 74 अचानक बाढ़ और 63 भूस्खलन की घटनाएँ हुई हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नुकसान ₹2,000 करोड़ से ज़्यादा है, जबकि अब तक 35 लोगों की जान जा चुकी है।
मंडी सबसे ज़्यादा प्रभावित है, जहाँ इस सीज़न में 16 बार बादल फटने की घटनाएँ हुई हैं। हालाँकि कुल्लू और मंडी में हुई ताज़ा घटनाओं में लोगों की जान तो नहीं गई, लेकिन सड़कों, घरों और कृषि भूमि को हुए भारी नुकसान ने संकट को और गहरा कर दिया है। विनाश के इस पैमाने ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हिमालय में बेतहाशा मानवीय हस्तक्षेप पर चिंता जताई है।
पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि अंधाधुंध सड़क कटान, चार-लेन राजमार्ग परियोजनाओं, सुरंग निर्माण और वनों की कटाई ने इस क्षेत्र की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर कर दिया है। प्रसिद्ध कार्यकर्ता ओपी भुरैता ने हिमालय में मानवीय हस्तक्षेप को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा, "अत्यधिक निर्माण से लाभ की बजाय नुकसान हो रहा है।"
विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन को भी चरम मौसम में वृद्धि के पीछे एक प्रेरक शक्ति मानते हैं। समुद्र की सतह का बढ़ता तापमान और ग्लोबल वार्मिंग दुनिया भर में वर्षा के पैटर्न को तीव्र कर रहे हैं, जिससे हिमालयी राज्यों में बार-बार बादल फटने और अचानक बाढ़ आने की घटनाएँ हो रही हैं। पर्यावरणविद् सौम्या दत्ता ने आगाह किया है कि आने वाले वर्षों में ऐसी घटनाएँ और बढ़ने की संभावना है, जिससे आपदा की तैयारी और सतत विकास अनिवार्य हो जाएगा।